देश में भूख पर व्यापार नहीं करने देंगे, एमएसपी पर कानून ज़रूरी: राकेश टिकैत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को कहा कि एमएसपी है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा. इस पर अन्य किसान नेताओं ने कहा कि यदि सरकार दावा कर रही है कि एमएसपी जारी रहेगा तो वह क़ानूनी गारंटी क्यों नहीं देती.

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राकेश टिकैत. (फोटो: पीटीआई)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को कहा कि एमएसपी है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा. इस पर अन्य किसान नेताओं ने कहा कि यदि सरकार दावा कर रही है कि एमएसपी जारी रहेगा तो वह क़ानूनी गारंटी क्यों नहीं देती.

New Delhi: BKU spokesperson Rakesh Tikait addresses during the chakka jam by farmers, in solidarity with the ongoing agitation against Centres farm reform laws, at Ghazipur border in New Delhi, Saturday, Feb. 6, 2021. (PTI Photo/Manvender Vashist)(PTI02 06 2021 000127B)
राकेश टिकैत. (फोटो: पीटीआई)

गाजियाबाद: किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश में भूख पर व्यापार करने की इजाजत नहीं दी जा सकती, इसके साथ ही उन्होंने उपज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर कानून बनाने और नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग दोहराई.

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता ने यह टिप्पणी राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के तुरंत बाद की. प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा.’

टिकैत ने संवाददाताओं से कहा, ‘देश में भूख पर व्यापार नहीं होगा. भूख जितनी लगेगी अनाज की कीमत उतनी होगी. देश में भूख से व्यापार करने वालों को बाहर निकाला जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘जिस तरह विमानों के टिकटों की कीमत दिन में तीन से चार बार बदलती है, उस तरीके से फसल की कीमत तय नहीं की जा सकती.’

प्रधानमंत्री ने कहा था कि एक ‘नया समुदाय’ उभरा है जो ‘प्रदर्शनों में लिप्त’ है. इस पर टिप्पणी करते हुए टिकैत ने कहा, ‘हां, इस बार यह किसान समुदाय है जो उभरा है और लोग किसानों का समर्थन कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि नए कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने यह रेखांकित किया है कि एमएसपी को लेकर कोई कानून नहीं है, जिसकी वजह से व्यवसायी कम कीमतों पर उनकी उपज खरीदकर उन्हें लूटते हैं.

उन्होंने किसानों के जारी आंदोलन को जाति और धर्म के आधार पर बांटने के प्रयासों की भी निंदा की.

उन्होंने कहा, ‘इस अभियान को पहले पंजाब के मुद्दे के रूप में दर्शाया गया, उसके बाद सिख और फिर जाट मुद्दे के रूप में इसे पेश किया गया. इस देश के किसान एकजुट हैं. कोई भी किसान बड़ा या छोटा नहीं है. यह अभियान सभी किसानों का है.’

इससे पहले राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा.’ उन्होंने आगे कहा था, ‘गरीबों को सस्ता राशन मिलना जारी रहेगा, मंडियों का आधुनिकीकरण किया जाएगा.’

प्रधानमंत्री के संबोधन पर प्रतिक्रिया देते हुए एक अन्य किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि सरकार यह बात सैकड़ों बार कह चुकी है कि एमएसपी खत्म नहीं होगा.

उन्होंने कहा, ‘यदि सरकार दावा कर रही है कि एमएसपी जारी रहेगा तो हमारी उपज के लिए वह न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी क्यों नहीं देती.’

किसान संघों को प्रधानमंत्री द्वारा वार्ता का आमंत्रण देने के बारे में सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान संघ सरकार के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है लेकिन यह औपचारिक रास्ते से होना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘उचित वार्ता के जरिये कोई भी मुद्दा सुलझाया जा सकता है. वार्ता बहाल करने के लिए हम सैद्धांतिक रूप से तैयार हैं.’

भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) पंजाब के महासचिव सुखदेव सिंह ने यह जानने की कोशिश की कि सरकार फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी क्यों नहीं दे रही है. उन्होंने यह भी कहा कि मुद्दे से ध्यान हटाने की कोशिश की जा रही है.

एक दिन पहले रविवार को हरियाणा के भिवानी जिले के कितलाना में आयोजित कृषक रैली को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि कानून वापस नहीं होने पर अनाज तिजोरियों में रखने वाला सामान बन जाएगा.

संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में आयोजित किसान रैली में किसानों से संगठित रहने की अपील करते हुए कहा था कि उन्हे और ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है, क्योंकि भाजपा के कुछ नेताओं ने उन्हें सिख एवं गैर सिख में बांटने की कोशिश की.

टिकैत ने कहा था कि लेकिन ये लोग अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए और उल्टा हरियाणा एवं पंजाब के लोग अब संगठित हो गए हैं.

उन्होंने कहा था कि यदि कृषि कानून वापिस नहीं होते है तो अनाज तिजोरियों में रखने का सामान बन जाएगा.

टिकैत ने कहा, ‘हम जागरूकता बढ़ाने के लिए (केंद्र द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ) देश के कोने-कोने में जाएंगे. यह हमारा जन आंदोलन है और हम इसे सफल बनाएंगे. जब तक ये कानून निरस्त नहीं हो जाते, हम घर नहीं लौटेंगे.’

मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020- के विरोध में पिछले दो महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

केंद्र सरकार इन कानूनों को कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार के रूप में पेश कर रही है. हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों ने यह आशंका व्यक्त की है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुरक्षा और मंडी प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे तथा उन्हें बड़े कॉरपोरेट की दया पर छोड़ देंगे.

केंद्र और 41 प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के बीच 11 दौर की वार्ता हुई है लेकिन बेनतीजा रही है, हालांकि केंद्र ने 18 महीनों के लिए कानूनों के निलंबन सहित रियायतें देने की पेश की है, जिन्हें किसान संगठनों ने खारिज कर दिया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)