उत्तराखंड के चमोली ज़िले की ऋषिगंगा घाटी में ग्लेशियर टूटने से रविवार को अचानक आई भीषण बाढ़ से प्रभावित 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा और 480 मेगावाट तपोवन विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजनाओं में काम कर रहे तक़रीबन 200 लोग लापता हो गए हैं. उनकी तलाश के लिए सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के जवान जुटे हुए हैं.
देहरादून/तपोवन/नई दिल्ली: उत्तराखंड के आपदाग्रस्त चमोली जिले में सोमवार को बचाव और राहत अभियान में तेजी आने के साथ ही 200 से अधिकत लापता लोगों में से 11 के शव बरामद हो चुके हैं.
उत्तराखंड के चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में हिमखंड (ग्लेशियर) टूटने से रविवार को अचानक आई भीषण बाढ़ से प्रभावित 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा और 480 मेगावाट तपोवन विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजनाओं में लापता हुए लोगों की तलाश के लिए सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के जवान जुटे हुए हैं.
ग्लेशियर टूटने से अलकनंदा और इसकी सहायक नदियों में अचानक आई विकराल बाढ़ के कारण हिमालय की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी तबाही मची है.
अचानक आई इस आपदा के चलते वहां दो पनबिजली परियोजनाओं (ऋषिगंगा और तपोवन विष्णुगढ़) में काम कर रहे तकरीबन 200 लोग लापता हो गए हैं.
एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजना और ऋषिगंगा पनबिजली परियोजना को बड़ा नुकसान हुआ तथा उनके कई श्रमिक सुरंग में फंस गए.
तपोवन विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजना की एक सुरंग में तकरीबन 35 लोगों के फंसे होने की सूचना है, उन्हें बचाने का प्रयास जारी है. दूसरी ओर एक अन्य सुरंग में फंसे लोगों में 10 से अधिक को रविवार को बचा लिया गया था.
https://twitter.com/ANI/status/1358645556306792448
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, ‘अब तक तकरीबन 203 लोग लापता है, जिनमें से 11 के शव बरामद हो चुके हैं. हमें कल तक एक सहायक कंपनी की तपोवन परियोजना के बारे में पता नहीं था. एक दूसरी सुरंग में करीब 35 लोगों के फंसे होने की सूचना है. बचाव कार्य जारी है.’
मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा देने की भी घोषणा की है.
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘हमारे बहादुर जवान रात भर के बचाव कार्य के पश्चात सुरंग के मुहाने तक पहुंच गए हैं. बचाव कार्य पूरे जोरों से चल रहा है और हम और अधिक लोगों की जान बचाने की उम्मीद कर रहे हैं. मेरी संवेदनाएं सभी प्रभावित लोगों के साथ हैं.’
हमारे बहादुर जवान रात भर के बचाव कार्य के पश्चात सुरंग के मुहाने तक पहुँच गए हैं ।बचाव कार्य पूरे जोरों से चल रहा है और हम और अधिक लोगों की जान बचाने की उम्मीद कर रहे हैं। दुर्भाग्य से, बचाव दलों ने अब तक 11 शवों को भी बरामद किया है। मेरी संवेदनाएँ सभी प्रभावित लोगों के साथ हैं। https://t.co/eI13b1ZjqU
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) February 8, 2021
रविवार को बाढ़ के रास्ते में आने वाले मकान बह गए. निचले हिस्सों में मानव बस्तियों को नुकसान पहुंचने की आशंका हैं. कई गांव खाली करा लिए गए हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.
शाम तक यह मान लिया गया था कि निचले क्षेत्र सुरक्षित हैं और केंद्रीय जल आयेाग ने कहा कि समीप के गांवों को खतरा नहीं है, लेकिन धौली गंगा नदी का जलस्तर रविवार की रात एक बार फिर बढ़ गया. इसके चलते आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों में घबराहट पैदा हो गई.
रविवार रात करीब आठ बजे अचानक धौली गंगा का जलस्तर बढ़ जाने के चलते अधिकारियों को एक परियोजना क्षेत्र में जारी राहत एवं बचाव कार्य को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्रातः अचानक जोर जोर की आवाजों के साथ धौली गंगा का जलस्तर बढ़ता दिखा. पानी तूफान की शक्ल में आगे बढ़ रहा था और वह अपने रास्ते में आने वाली सभी चीजों को अपने साथ बहाकर ले गया.
रैणी में एक मोटर मार्ग तथा चार झूला पुल बाढ़ की चपेट में आकर बह गए हैं. सात गांवों का संपर्क टूट गया है जहां राहत सामग्री पहुंचाने का कार्य सेना के हेलीकॉप्टरों के जरिये किया जा रहा है.
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने सोमवार को बताया कि बचाव और राहत अभियान पुरजोर तरीके से जारी है जिसमें बुलडोजर, जेसीबी आदि भारी मशीनों के अलावा रस्सियों और खोजी कुत्तों का भी उपयोग किया जा रहा है.
पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार एवं देहरादून समेत कई जिलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और आईटीबीपी एवं राष्ट्रीय आपदा मोचन बल को बचाव एवं राहत के लिए भेजा गया.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है कि अगले दो दिनों तक क्षेत्र में वर्षा की संभावना नहीं है.
तपोवन: सुरंग में फंसे 30-35 श्रमिकों को बचाने के लिए प्रयास
उत्तराखंड में धौली गंगा नदी पर स्थित तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना की सुरंग में फंसे 30-35 श्रमिकों को बचाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.
परियोजना के महाप्रबंधक अहिरवार ने कहा कि जलविद्युत परियोजना क्षेत्र की एक सुरंग में श्रमिकों एवं अन्य कर्मचारियों समेत करीब 30-35 लोगों के फंसे होने की आशंका है.
उन्होंने कहा कि सुरंग को खोलने के लिए मलबे को हटाने के वास्ते जेसीबी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है.
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि तपोवन क्षेत्र में स्थित बड़ी सुरंग में बचाव और राहत अभियान चलाने में मुश्किल आ रही है, क्योंकि सुरंग सीधी न होकर घुमावदार है.
We were informed that 178 people were issued passes here. Of which, 15 were rescued y'day. Rescue operation underway in another tunnel. There's possibility that 35 people are stranded in it. Priority is to rescue them as soon as possible:Neeru Garg, DIG Garhwal range #Uttarakhand pic.twitter.com/3vLSHcMt1t
— ANI (@ANI) February 8, 2021
गढ़वाल रेंज की डीआईजी नीरू गर्ग ने कहा, ‘दूसरी सुरंग में बचाव कार्य जारी है. इस सुरंग में तकरीबन 35 लोगों के फंसे होने की संभावना है. उन्हें जल्द से जल्द उन्हें बचाने की प्राथमिकता है.’
सोमवार को केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, ‘यह बहुत कठिन परिस्थिति है, लेकिन आईटीबीपी ने पहली सुरंग से सफलतापूर्वक लोगों को बचा लिया है और अब वे तकरीबन तीन किलोमीटर लंबी दूसरी सुरंग से लोगों को बचाने के लिए काम कर रहे हैं. एनडीआरएफ और मिलिट्री भी इसमें शामिल है. दोपहर तक कुछ सकारात्मक परिणाम आ सकता है.’
It's a very difficult situation, but ITBP successfully rescued people from 1st tunnel & now they're working on 2nd tunnel which is approx 3 km long. NDRF&military are also on it. By afternoon we can expect some positive results: Union Min Ramesh Pokhriyal Nishank in Uttarakhand pic.twitter.com/4clLhCiFHP
— ANI (@ANI) February 8, 2021
बचावकर्मियों ने बाढ़ प्रभावित एक अन्य सुरंग से श्रमिकों को बचाया
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के कर्मचारियों ने उस तपोवन विद्युत परियोजना क्षेत्र में स्थित एक सुरंग से एक-एक करके कई व्यक्तियों को सुरक्षित बाहर निकाला, जो रविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में एक ग्लेशियर के टूटने से आई बाढ़ से बह गई थी.
आईटीबीपी ने इस अभियान का एक वीडियो साझा किया. इस वीडियो में बचावकर्मी सुरंग से एक रस्सी के जरिये व्यक्तियों को सुरंग से बाहर निकालते हुए ‘दम लगाके हइशा’ बोलते नजर आ रहे हैं.
Brave #Himveers of ITBP rescuing trapped persons from the tunnel near Tapovan, #Dhauliganga, #Uttarakhand this evening after 4 hrs of efforts. Total 12 persons were rescued from the tunnel out of which 3 were found unconscious. After first aid, carried on stretchers to road head. pic.twitter.com/iHsrFXjhDd
— ITBP (@ITBP_official) February 7, 2021
मौके पर मौजूद लोग बचावकर्मियों को ‘बहुत बढ़िया’, ‘शाबाश’, ‘जो बोले सो निहाल’ और ‘जय हो’ के नारों के साथ प्रेरित करते दिख रहे हैं.
सुरंग से बचाए गए श्रमिकों में से एक को एक लंबी छलांग लेते देखा गया. वहीं आईटीबीपी के जवानों ने उसकी पीठ इसके लिए थपथपायी कि आपदा की चपेट में आने और कीचड़ में सने होने के बावजूद उसने धैर्य और धीरज का परिचय दिया.
परियोजना क्षेत्र में काम करने वाले एक स्थानीय ने कहा, ‘अपना भाई आ गया’. वहीं एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘नई जिंदगी मिली’ (उन्हें जिन्हें बचाया गया).
सुरक्षा उपकरण और हेलमेट पहने कर्मचारियों वाली बल की कई टीमों को जोशीमठ स्थित आईटीबीपी की पहली बटालियन बेस से और औली स्थित आईटीबीपी पर्वतारोहण एवं स्कीइंग संस्थान से तपोवन बिजली परियोजना स्थल पर खोज और बचाव कार्यों के लिए भेजा गया था.
#WATCH Uttarakhand: ITBP jawans clearing the tunnel in Tapovan, Joshimath.
(Video Source: Indo-Tibetan Border Police) pic.twitter.com/a0PZknhpvc
— ANI (@ANI) February 8, 2021
आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडेय ने दिल्ली में कहा कि जोशीमठ बेस पर तैनात बल के कर्मचारियों ने रविवार 10:45 बजे के बाद एक बड़े धमाके और लोगों की चीख सुनी. यह आवाज तब सुनी गई जब चमोली के रेनी गांव के पास दो बांध स्थलों पर पानी की तेज धार पहुंची.
पांडेय ने कहा, ‘अब तक कुल 12 श्रमिकों को सुरंग स्थल से बचाया जा चुका है. एक दूसरी सुरंग भी है जहां बचाव दल के लोग काम कर रहे हैं.’
धौली गंगा नदी में एक बार फिर से जलस्तर बढ़ा
नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के कारण उत्तराखंड में आई आपदा के बाद धौली गंगा नदी का जलस्तर रविवार की रात एक बार फिर बढ़ गया. इसके चलते आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों में घबराहट पैदा हो गई.
रविवार रात करीब आठ बजे अचानक धौली गंगा का जलस्तर बढ़ जाने के चलते अधिकारियों को एक परियोजना क्षेत्र में जारी राहत एवं बचाव कार्य को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा.
परियोजना के महाप्रबंधक (जीएम) ने कहा कि जलविद्युत परियोजना क्षेत्र की एक सुरंग में श्रमिकों एवं अन्य कर्मचारियों समेत करीब 30-35 फंसे लोगों को बचाने का अभियान सोमवार की सुबह फिर से शुरू किया जाएगा.
प्रमुख संयंत्रों से करीब 200 मेगावाट बिजली आपूर्ति प्रभावित
उत्तराखंड में हुए हिमस्खलन के कारण सावधानी के तौर पर स्थानीय प्रशासन ने दो बिजली संयंत्र को बंद कर दिया, जिसके चलते नेशनल ग्रिड को की जानी वाली करीब 200 मेगावाट विद्युत आपूर्ति प्रभावित हुई. टिहरी और कोटेश्वर के बिजली संयंत्रों को बंद किया गया है.
प्रभावित क्षेत्र के ज्यादातर जल विद्युत संयंत्र निर्माणाधीन हैं या छोटी इकाइयों के तहत आते हैं जोकि 25 मेगावाट तक की क्षमता के होते हैं. यह छोटे संयंत्र अधिकतर राज्य सरकार के अधीन हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि स्थानीय प्रशासन ने आपदा के मद्देनजर टिहरी और कोटेश्वर के संयंत्रों को बंद कर दिया है. इसके चलते नेशनल ग्रिड को होने वाली करीब 200 मेगावाट विद्युत आपूर्ति प्रभावित हुई है.
ऋषिगंगा पनबिजली परियोजना बही, निचली इलाकों में बाढ़ का खतरा नहीं: एनसीएमसी
उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी पर 13.2 मेगावाट की एक छोटी पनबिजली परियोजना बह गई है, लेकिन निचले इलाकों में बाढ़ का कोई खतरा नहीं है, क्योंकि जल स्तर सामान्य हो गया है.
रविवार की शाम नई दिल्ली में हुई एक आपात बैठक में मंत्रिमंडल सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) को यह जानकारी दी गई.
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि एनसीएमसी को यह भी बताया गया कि एक पनबिजली परियोजना सुरंग में फंसे लोगों को भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने बचा लिया है, जबकि एक अन्य सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के प्रयास जारी है. अभियान का समन्वय सेना और आईटीबीपी द्वारा किया जा रहा है.
ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी में जलस्तर बढ़ गया और 13.2 मेगावाट की एक छोटी पनबिजली परियोजना बह गई.
प्रवक्ता ने बताया कि ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़ के कारण धौली गंगा नदी पर तपोवन में एनटीपीसी की एक जल परियोजना भी प्रभावित हुई है.
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा नहीं है और जलस्तर में वृद्धि को नियंत्रित कर लिया गया है. पड़ोसी गांवों में भी कोई खतरा नहीं है.
इस बीच केंद्रीय और राज्य सरकार की संबंधित एजेंसियों को स्थिति पर नजर रखने को कहा गया है.
एनटीपीसी के प्रबंध निदेशक को तुरंत प्रभावित स्थल पर पहुंचने के लिए कहा गया है.
एनडीआरएफ की दो टीमों को मौके पर भेजा गया है और गाजियाबाद में हिंडन हवाई अड्डे से तीन अतिरिक्त टीमों को भेजा गया है. सेना के जवान आज रात प्रभावित स्थान पर पहुंच जाएंगे.
प्रवक्ता ने बताया कि आईटीबीपी के 200 से अधिक जवान मौके पर हैं. भारतीय नौसेना के गोताखोर रवाना हो रहे है और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के विमान और हेलीकॉप्टरों को तैयार रखा गया हैं.
जरूरत पड़ने पर बचाव एवं राहत कार्यों में मदद देंगे: संयुक्त राष्ट्र महासचिव
संयुक्त राष्ट्र: भारत में उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने के कारण ऋषिगंगा घाटी में अचानक आई भीषण बाढ़ में जानमाल के नुकसान पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनिया गुतारेस ने दुख जताते हुए कहा कि यदि जरूरत पड़ती है तो उत्तराखंड में जारी बचाव एवं राहत कार्यों में संगठन सहयोग देने के लिए तैयार है.
इस हादसे के बारे में गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, ‘रविवार को भारत के उत्तराखंड राज्य में ग्लेशियर टूटने और उसके परिणामस्वरूप आई बाढ़ में कई लोगों की मौत एवं दर्जनों लोगों के लापता होने की खबर से महासचिव बेहद दुखी हैं.’
उन्होंने एक वक्तव्य में कहा, ‘महासचिव ने पीड़ितों के परिवारों, भारत के लोगों एवं सरकार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है. यदि आवश्यकता पड़ती है तो संयुक्त राष्ट्र वहां जारी बचाव कार्य एवं मदद के प्रयासों में सहयोग देने के लिए तैयार है.’
गुतारेस के वक्तव्य के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने की घटना पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने जो संवेदनाएं व्यक्त की हैं उनकी हम सराहना करते हैं.
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष वोल्कन बाजेकिर ने कहा था कि उत्तराखंड में हालात पर वह नजर रख रहे हैं, जहां ग्लेशियर टूटने के कारण विकराल बाढ़ आई है.
बोजकिर ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन को टैग करते हुए ट्वीट किया, ‘मैं भारत के उत्तराखंड की घटना से संबंधित खबरों पर नजर रख रहा हूं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)