केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह ने कहा कि आप में से किसी को भी पता नहीं है कि हमने कितनी बार अतिक्रमण किया. चीनी मीडिया इसे कवर नहीं करता है. मैं आपको आश्वस्त करता हूं, अगर चीन ने 10 बार अतिक्रमण किया है, तो हमने कम से कम 50 बार किया होगा.
नई दिल्ली: केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री वीके सिंह के अनुसार, भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का चीन की तुलना में अधिक बार अतिक्रमण किया है, लेकिन सरकार हर बार इसकी घोषणा नहीं करती है.
रिपोर्ट के अनुसार, सैन्य प्रमुख के रूप में सेवा दे चुके भारतीय सेना के फोर-स्टार पूर्व जनरल सिंह ने कहा कि चीन के साथ आधिकारिक सीमा का कभी सीमांकन (निर्धारण) नहीं किया गया है.
द हिंदू ने सिंह के हवाले से कहा, ‘दोनों देश कई बार एलएसी की अपनी धारणाओं के परे गए हैं.’ सिंह ने कहा, ‘… आप में से किसी को भी पता नहीं है कि हमने अपनी धारणा के अनुसार कितनी बार अतिक्रमण किया है. चीनी मीडिया इसे कवर नहीं करता है. मैं आपको आश्वस्त करता हूं, अगर चीन ने 10 बार अतिक्रमण किया है, तो हमने कम से कम 50 बार किया होगा.’
सिंह ने कहा, ‘नई जमीन पर कैंप लगाकर और वहां की सेनाओं को मजबूत कर चीन काफी समय से अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र का विस्तार करने का प्रयास करता रहा है. तब समझौते के बाद वह थोड़ा पीछे चला जाता है. लेकिन मौजूदा सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि ऐसा न हो पाए.’
सिंह के अनुसार, जब चीन ने 2020 में पूर्वी लद्दाख में अतिक्रमण किया तब भारत ने उसे उसी के तरीके जवाब देने की धमकी दी.
उन्होंने कहा, ‘आज चीन दबाव में है क्योंकि हम (उन) जगहों (सीमाई इलाकों) में बैठे हैं जहां उसे पसंद नहीं है.’
सिंह के अनुसार, एलएसी पर स्थिति नियंत्रण में है. चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध और सामानों के बहिष्कार के कारण चीन को गहरा धक्का लगने का दावा करते हुए उन्होंने कहा, ‘चीनी समझते हैं कि अगर कुछ गलत होता है, तो भारत जवाबी हमले की स्थिति में है.’
हालांकि, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा था कि भारत और चीन की सेना के शीर्ष कमांडर पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को लेकर नौ दौर की वार्ता कर चुके हैं और भविष्य में भी ऐसी वार्ताएं जारी रहेंगी. लेकिन अब तक हुईं वार्ताओं का कोई खास प्रभाव दिखाई नहीं दिया है.
बता दें कि भारतीय सैनिकों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सामान्य गश्त के बिंदु से परे चीनी घुसपैठ का पता लगाए जाने के बाद पूर्वी लद्दाख में मई की शुरुआत से ही भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कई झड़पें हो चुकी हैं.
पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर भारत और चीन के सैनिक के बीच पिछले साल पांच और छह मई की रात हुई हिंसक झड़प के बाद नौ मई 2020 को नाकु ला में भी दोनों देशों की सेना आमने-सामने आ गई थी. इन दोनों झड़पों में दोनों देशों के दर्जनों सैनिक घायल हुए थे.
सबसे गंभीर झड़प 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई थी, जब एक हिंसक लड़ाई में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. चीन ने अपनी तरफ भी हताहतों की संख्या को स्वीकार की है, लेकिन किसी भी संख्या का खुलासा नहीं किया था.
बीते 45 सालों में दोनों देशों के बीच यह सबसे हिंसक झड़प थी. वर्ष 1967 में सिक्किम के नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव था. उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे.
गलवान घाटी में हिंसक झड़प के ढाई महीने बाद 29 अगस्त 2020 की रात पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित ठाकुंग में एक बार फिर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध देखने को मिला था.
इसके बाद भारतीय सेना ने बयान जारी कर कहा था कि चीनी सेना ने 29-30 अगस्त की रात को यथास्थिति को बदलने के लिए उकसाने वाली सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया था.
इन झड़पों के बाद दोनों देशों ने अपनी 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा ‘लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल’ (एलएसी) पर लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक सेना और टैंक की तैनाती शुरुआत कर दी थी.
मालूम हो कि लद्दाख में शुरू हुए गतिरोध के बाद भारतीय सेना ने 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी ताकत मजबूत की है.
भारत का साफ तौर पर कहना है कि यह चीन की जिम्मेदारी है कि सैनिकों को पीछे ले जाने की प्रक्रिया शुरू करे और पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले इलाके में तनाव कम करे.
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के करीब एक लाख सैनिक तैनात हैं. क्षेत्र में दोनों पक्षों की लंबे समय तक डटे रहने की तैयारी है. इस बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर भी सौहार्दपूण समाधान के लिए वार्ता चल रही है.
हालांकि, इसके बावजूद बीते 20 जनवरी को उत्तरी सिक्किम के नाकू ला में भी दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आए गए थे. इस दौरान हुई झड़प में दोनों देशों के जवान घायल भी हुए थे.
इससे पहले अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा एक गांव बसाए जाने की खबरों की पुष्टि करते हुए 19 जनवरी को विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह देश की सुरक्षा पर असर डालने वाले समस्त घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखता है और अपनी संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाता है.