अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को फोन पर बातचीत के दौरान बाइडेन ने विश्वभर में लोकतांत्रिक संस्थानों की रक्षा करने के अपने संकल्प को रेखांकित किया और कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति साझा प्रतिबद्धता भारत अमेरिका संबंधों का आधार है.
नई दिल्ली: सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर बातचीत की. इस दौरान बाइडेन ने विश्वभर में लोकतांत्रिक संस्थानों की रक्षा करने के अपने संकल्प को रेखांकित किया और कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति साझा प्रतिबद्धता भारत अमेरिका संबंधों का आधार है.
मंगलवार को व्हाइट हाउस ने कहा कि जहां जलवायु परिवर्तन, म्यांमार और हिंद-प्रशांत उनके संयुक्त एजेंडा में शामिल थे, वहीं बाइडेन ने मोदी से जोर दिया है कि उनकी इच्छा दुनियाभर के लोकतांत्रिक संस्थानों और मानदंडों की रक्षा करना है.
बातचीत की जानकारी देने वाले एक ट्वीट में मोदी ने कहा कि उन्होंने क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ आगे सहयोग के लिए सहमत हुए.
उन्होने आगे कहा कि दोनों नेता नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय आदेश के लिए प्रतिबद्ध थे. मोदी ने कहा, ‘हम भारत-प्रशांत क्षेत्र और उससे आगे की शांति और सुरक्षा के लिए अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए तत्पर हैं.
President @JoeBiden and I are committed to a rules-based international order. We look forward to consolidating our strategic partnership to further peace and security in the Indo-Pacific region and beyond. @POTUS
— Narendra Modi (@narendramodi) February 8, 2021
वहीं, दो घंटे बाद व्हाइट हाउस द्वारा जारी बातचीत के ब्यौरे में अधिक जानकारी मिली.
बातचीत का ब्यौरा देते हुए व्हाइट हाउस की ओर से कहा गया, ‘राष्ट्रपति जोसेफ आर. बाइडेन जूनियर ने सोमवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अमेरिका और भारत द्वारा कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई.
इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन पर आपसी साझेदारी को नया स्वरूप देने, दोनों देशों के नागरिकों के लाभ के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण और आतंकवाद से मिलकर मुकाबला करने की प्रतिबद्धता जाहिर की.’
व्हाइट हाउस से जारी एक बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने के वास्ते नजदीकी सहयोग को जारी रखने पर सहमति जताई. इसमें नौवहन की स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और ‘क्वाड’ के जरिये मजबूत क्षेत्रीय अवसंरचना का निर्माण शामिल है.
बातचीत के दौरान बाइडेन ने विश्वभर में लोकतांत्रिक संस्थानों की रक्षा करने के अपने संकल्प को रेखांकित किया और कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति साझा प्रतिबद्धता भारत अमेरिका संबंधों का आधार है.
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, भारत द्वारा जारी बातचीत के ब्यौरे में लोकतंत्र को लेकर दोनों नेताओं के सहमत होने के संदर्भ में कहा गया कि ‘भारत-अमेरिका साझेदारी लोकतांत्रिक मूल्यों और आम रणनीतिक हितों के लिए साझा प्रतिबद्धता में दृढ़ता से स्थिर है.’
इसमें कहा गया, ‘इसके अलावा दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि बर्मा में लोकतांत्रिक प्रक्रिया और कानून का पालन होना चाहिए. दोनों नेताओं ने कई वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की प्रकिया को जारी रखने और आने वाले समय में भारत तथा अमेरिका के संबंधों को आगे ले जाने पर सहमति जताई.’
हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान में म्यांमार का कोई खास जिक्र नहीं किया गया.
भारत का ब्यौरा अधिकतर जलवायु परिवर्तन पर आधारित था जहां मोदी ने पेरिस जलवायु समझौते में दोबारा शामिल होने के बाइडेन के फैसले और नवीकरणीय उर्जा को लेकर भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के बात करने का स्वागत किया.
उसमें कहा गया, ‘प्रधानमंत्री ने इस वर्ष अप्रैल में जलवायु नेतृत्व शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए राष्ट्रपति बाइडेन की पहल का स्वागत किया और उस में भाग लेने के लिए तत्पर दिखे.’
भारतीय प्रधानमंत्री ने बाइडेन और उनकी पत्नी को अपनी सुविधानुसार जल्द से जल्द भारत आने का निमंत्रण भी दिया. दोनों नेताओं ने आखिरी बार बाइडेन के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के दो सप्ताह बाद नवंबर में बात की थी.
17 नवंबर की टेलीफोन बातचीत के संदर्भ में भारत ने ब्यौरा पेश करते हुए कहा था कि उन्होंने चर्चा में मुख्य विषयों के रूप में कोविड-19 महामारी, सस्ते टीकों की पहुंच को बढ़ावा देना, जलवायु परिवर्तन से निपटने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा की.
उस समय बाइडेन के कार्यालय ने इस बातचीत का ब्यौरा देते हुए उसमें दो अन्य चीजें भी जोड़ी थीं जो वैश्विक आर्थिक सुधार की शुरुआत और देश और विदेश में लोकतंत्र को मजबूत करना थीं.
बता दें कि, इस बातचीत से पहले पिछले सप्ताह अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने पिछले ढाई महीने से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के बारे में टिप्पणी की थी.
भारत में जारी किसान आंदोलन पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में अमेरिका के नए प्रशासन ने बीते गुरुवार को कहा था कि वह दोनों पक्षों के बीच वार्ता के जरिये मतभेदों के समाधान को प्रोत्साहित करता है और शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी ‘जीवंत लोकतंत्र की निशानी’ होती है.
अमेरिका ने यह भी कहा था कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन और इंटरनेट तक निर्बाध पहुंच किसी भी ‘सफल लोकतंत्र की विशेषता’ है.
अमेरिका ने इसके साथ ही भारत सरकार के कदमों का समर्थन भी किया था और कहा था कि इनसे भारतीय बाजारों की क्षमता में सुधार हो सकता है तथा व्यापक निवेश आकर्षित हो सकता है.
इस टिप्पणी को भारत ने कृषि सुधारों की दिशा में सरकार के कदमों को मिली मान्यता के रूप में देखा.
हालांकि, इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत ने लाल किले की घटना की तुलना अमेरिका के संसद भवन ‘कैपिटल बिल्डिंग’ पर हुए हमले से की थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था, ‘गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को हिंसा की घटनाओं, लाल किले में तोड़फोड़ ने भारत में उसी तरह की भावनाएं और प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कीं, जैसा कि छह जनवरी को (अमेरिका में) ‘कैपिटल हिल’ घटना के बाद देखने को मिला था. साथ ही, भारत में हुई घटनाओं से हमारे संबद्ध स्थानीय कानूनों के मुताबिक निपटा जा रहा है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)