किसान आंदोलन: मशहूर हस्तियों द्वारा केंद्र के समर्थन में ट्वीट करने की जांच करेगी महाराष्ट्र सरकार

अंतरराष्ट्रीय हस्तियों द्वारा किसान आंदोलन को मिले समर्थन के बाद कई भारतीय कलाकारों और खेल हस्तियों ने केंद्र सरकार के समर्थन वाले हैशटैग के साथ जवाबी ट्वीट किए थे. महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि राज्य का ख़ुफ़िया विभाग कुछ हस्तियों पर ट्वीट के लिए दबाव डाले जाने के आरोपों की जांच करेगा.

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अनिल देशमुख. (फोटो: ट्विटर/@AnilDeshmukhNCP)

अंतरराष्ट्रीय हस्तियों द्वारा किसान आंदोलन को मिले समर्थन के बाद कई भारतीय कलाकारों और खेल हस्तियों ने केंद्र सरकार के समर्थन वाले हैशटैग के साथ जवाबी ट्वीट किए थे. महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि राज्य का ख़ुफ़िया विभाग कुछ हस्तियों पर ट्वीट के लिए दबाव डाले जाने के आरोपों की जांच करेगा.

महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख. (फोटो: ट्विटर/@AnilDeshmukhNCP)
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख. (फोटो: ट्विटर/@AnilDeshmukhNCP)

मुंबई/नई दिल्ली: महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सोमवार को कहा कि राज्य का खुफिया विभाग कुछ हस्तियों पर किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट करने का दबाव डाले जाने के आरोपों के संबंध में जांच करेगा.

एनडीटीवी के अनुसार, देशमुख ने कहा कि प्रदेश के कांग्रेस नेताओं की ओर से इस मुद्दे की जांच करने के आग्रह आए हैं.

उन्होंने कहा, ‘ऐसा सामने आया है कि कुछ सेलेब्रिटीज़ की ओर से एक ही पोस्ट एक ही वक्त पर आए हैं. ऐसे में इसकी जांच होगी कि ऐसा क्यों हुआ है.’

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय पॉप स्टार रिहाना और स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किए थे. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय शख्सियतों की ओर इस आंदोलन को लेकर ट्वीट आने शुरू हो गए थे.

इसके बाद अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया में विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया था कि कुछ लोग निहित स्वार्थ के तहत इस आंदोलन का फायदा उठाना चाहते हैं.

सरकार ने सुझाव दिया था कि ‘ऐसे मुद्दों पर टिप्पणियां करने से पहले, तथ्यों की पुष्टि की जानी चाहिए और मुद्दे को अच्छे से समझा जाना चाहिए.’

मंत्रालय ने इसे सोशल मीडिया हैशटैग्स और कमेंट्स की सनसनी का लालच बताया था. इस पर कांग्रेस ने विदेशी हस्तियों के ट्वीट करने पर ‘विदेश मंत्रालय के इतना परेशान हो जाने’ पर सवाल उठाया था.

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि ट्रंप सरकार के लिए वोट मांगने पर या फिर जॉर्ज फ्लॉयड पर हुई क्रूरता के खिलाफ हमारी प्रतिक्रियाओं से अमेरिका को कोई फर्क नहीं पड़ा. हम एक ग्लोबल गांव में रह रहे हैं. तो फिर हमें किसी आलोचना से क्यों डरना चाहिए?

इसके बाद भारत रत्न ने सम्मानित क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और गायिका लता मंगेशकर सहित कई कलाकारों और खेल जगत की कई हस्तियों ने सरकार के समर्थन वाले हैशटैग के साथ जवाबी ट्वीट किए थे कि भारत की संप्रुभता से समझौता नहीं हो सकता और आंदोलन की स्थिति सरकार के नियंत्रण में है.

सोमवार को राज्य के गृहमंत्री के साथ बैठक के दौरान महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत और पार्टी के कुछ अन्य नेताओं ने किसान आंदोलन को लेकर कुछ हस्तियों के ट्वीट का भाजपा से कथित तौर पर संबंधित होने का आरोप लगाया था.

देशमुख के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस बैठक के बाद सावंत ने ट्वीट किया, ‘मशहूर हस्तियों द्वारा किए गए ट्वीट का भाजपा के साथ संबंध होने की जांच करने और आवश्यकतानुसार हमारे राष्ट्रीय नायकों को सुरक्षा प्रदान किए जाने की मांग की गई. साथ ही इस बात की भी जांच की मांग की गई कि कहीं भाजपा ने इन हस्तियों पर ट्वीट करने का दबाव तो नहीं डाला?’

देशमुख ने इस बात का उल्लेख किया कि बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल और अभिनेता अक्षय कुमार द्वारा किए गए ट्वीट में समानता थी.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का सवाल है कि कहीं दोनों हस्तियों ने एक ही तरह के ट्वीट एक साथ किसी दबाव में तो नहीं किए?

उधर, महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने मुंबई में संवाददताओं से बातचीत में केंद्र सरकार पर मशहूर हस्तियों पर ‘अंडरवर्ल्ड की तरह’ दबाव डालने का आरोप लगाया.

केंद्र को अपने अभियान में भारत रत्नों को नहीं उतारना चाहिए था: राज ठाकरे

इससे पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार को आंदोलनरत किसानों के समर्थन में ट्वीट करने वाली विदेशी हस्तियों पर पलटवार के लिए चलाए गए अपने अभियान में लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर को नहीं उतारना चाहिए था.

राज ठाकरे ने संवाददाताओं से कहा था, ‘केंद्र को लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर को उसके रुख के समर्थन में ट्वीट करने के लिए नहीं कहना चाहिए था और उनकी प्रतिष्ठा को दाव पर नहीं लगाना चाहिए था. अब उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ेगा.’

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को अपने अभियान के लिए अक्षय कुमार जैसे अभिनेताओं का उपयोग ही सीमित रखाना चाहिए.

ठाकरे ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान मोदी की ह्यूस्टन रैली को हवाला देते हुए कहा था, ‘इस आधार पर अमेरिका में ‘अगली बार, ट्रंप सरकार’ जैसी रैली करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. यह उस देश का आंतरिक मामला था.’

उन्होंने यह भी कहा कि किसान जिन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, उनमें कुछ कमियां हो सकती हैं, जिन्हें दूर किया जाना चाहिए.

राष्ट्रभक्त भारतीयों को ‘प्रताड़ित’ कर रही महाराष्ट्र सरकार: भाजपा

इस बीच, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उसके शासन का अंदाज बहुत निराला है जो विदेशों की ‘अराजक आवाजों’ की सराहना करती है लेकिन देश के हित में आवाज उठाने वाले राष्ट्रभक्त भारतीयों को ‘प्रताड़ित’ कर रही है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘महाराष्ट्र में एमवीए (महाराष्ट्र विकास आघाड़ी) सरकार का शासन का अनोखा मॉडल है. विदेशों से आ रही अराजक आवाजों की सराहना कर रही है जो भारत की खराब छवि प्रस्तुत करती हैं लेकिन राष्ट्रभक्त भारतीयों को प्रताड़ित कर रही है, जो देश हित में खड़े हुए हैं. यह निर्णय कर पाना मुश्किल है कि कौन ज्यादा दोषपूर्ण है- उनकी प्राथमिकताएं या उनकी मानसिकता.’

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर कहा, ‘महाराष्ट्र में अब देशभक्ति गुनाह हो गया है। लता मंगेशकर, सचिन तेंदुलकर, अक्षय कुमार, अजय देवगन इत्यादि द्वारा भारत के पक्ष में दिए गए बयानों के कारण इन सभी की महाराष्ट्र सरकार जांच करेगी!’

भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने इस कदम को ‘घृणास्पद और अत्यंत निंदनीय’ बताया और कहा कि सत्तारूढ़ एमवीए सरकार को भारत रत्न विजेताओं के लिए ‘जांच’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए शर्मिंदगी महसूस होना चाहिए.

उन्होंने कहा ऐसा लगता है कि उन सबकी ‘मानसिक हालत’ की जांच होनी चाहिए जिन्होंने इस जांच की मांग की है और इसका आदेश दिया है.

फडणवीस ने ट्वीट किया, ‘क्या यह एमवीए सरकार सारा विवेक खो चुकी है? एमवीए को भारत रत्न विजेताओं के लिए जांच शब्द के इस्तेमाल पर शर्मसार होना चाहिए. भारत रत्न विजेताओं के खिलाफ इस तरह की मांग और ऐसे आदेश देने वालों के मानसिक स्वास्थ्य की जांच कराने की जरूरत है.’

पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार पर परोक्ष हमला करते हुए कहा, ‘आपका मराठी गौरव अब कहां गया? आपका महाराष्ट्र धर्म अब कहां है? देश के लिए एकजुट होने वाले ‘भारत रत्न’ के खिलाफ जांच का आदेश देने वाले ऐसे ‘रत्न’ हमें देश भर में नहीं मिलेंगे.’

मालूम हो कि किसान आंदोलन ने उस समय अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींचा है, जब दिल्ली की सीमाओं को किले में तब्दील कर दिया गया. पुलिस ने वाहनों की आवाजाही को रोकने के लिए कई स्तरीय बैरिकेडिंग की है. इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है.

केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020- के विरोध में पिछले दो महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

इसे लेकर सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है.

किसान तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिए जाने की अपनी मांग पर पहले की तरह डटे हुए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)