ट्विटर ने 500 से अधिक एकाउंट निलंबित किए हैं. हालांकि उसने अभिव्यक्ति की आज़ादी को अक्षुण्ण रखने की ज़रूरत का हवाला देते हुए मीडिया संस्थानों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के एकाउंट पर रोक लगाने से इनकार किया है.
नई दिल्ली: सरकार ने किसान आंदोलन के बारे में दुष्प्रचार और भड़काऊ बातें फैला रहे एकाउंट और हैशटैग के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने में ट्विटर के देरी करने पर बुधवार को नाराजगी’ प्रकट की.
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कंपनी के अपने भले ही कोई नियम हों, लेकिन उसे देश के कानूनों का पालन करना ही चाहिए.
ट्विटर ने 500 से अधिक एकाउंट निलंबित किए हैं. हालांकि उसने अभिव्यक्ति की आजादी को अक्षुण्ण रखने की जरूरत का हवाला देते हुए मीडिया संस्थानों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के एकाउंट पर रोक लगाने से इनकार किया है.
आईटी सचिव और ट्विटर के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच डिजिटल संवाद के दौरान सरकार ने इस मंच से कहा कि भारत में काम कर रहे कारोबारी निकाय के रूप में उसे कानूनों एवं लोकतांत्रिक संस्थानों का सम्मान करना ही चाहिए और देश में सद्भाव बिगाड़ने और अशांति फैलाने से जुड़े अभियानों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
सचिव ने किसान आंदोलन के संदर्भ में भड़काऊ बातों पर कार्रवाई करने से जुड़े सरकारी आदेशों का पालन नहीं करने पर ट्विटर की आलोचना की.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक आईटी मंत्रालय ने अमेरिका में कैपिटल हिल प्रकरण के दौरान ट्विटर द्वारा उठाए गए कदमों को याद दिलाया और इसकी तुलना 26 जनवरी को भारत के लाल किले में हुए घटना से की.
आईटी सचिव ने दोनों घटनाओं पर ट्विटर द्वारा उठाए गए कदमों पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया.
सरकार ने ट्विटर पर फर्जी, असत्यापित, गुमनाम और स्वचालित बॉट एकाउंट को आधिकारिक रूप से अपने प्लेटफॉर्म पर संचालित करने की अनुमति देने के तरीके पर सवाल उठाया और कहा कि इससे प्लेटफॉर्म पर पारदर्शिता और स्वस्थ बातचीत की प्रतिबद्धता पर संदेह पैदा होता है.
सरकार के साथ बातचीत में ट्विटर का प्रतिनिधित्व ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी वाइस प्रेसिडेंट मोनीके मेशे ने किया.
सरकार ने अपने बयान में कहा कि कंपनी को सूचित किया गया था कि ट्विटर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ नहीं, बल्कि उन लोगों के साथ है जो इस तरह की स्वतंत्रता का दुरुपयोग करते हैं और कानून व्यवस्था के लिए गड़बड़ी पैदा हैं.
आईटी सचिव ने किसानों के विरोध प्रदर्शनों के बीच ट्विटर पर एक ‘टूलकिट’ साझा करने के मुद्दे को भी उठाया और कहा, ‘एक टूलकिट से जुड़ीं जो जानकारियां सामने आई हैं, उससे साफ होता है कि विदेशों में भारत के खिलाफ सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन से जुड़ा अभियान चलाने की योजना बनाई गई.’
सरकार ने बयान में कहा, ‘भारत में वैमनस्य और अशांति पैदा करने के लिए डिजाइन किए गए ऐसे अभियानों के लिए ट्विटर का दुरुपयोग अस्वीकार्य है. ट्विटर को भारत के खिलाफ चल रहे ऐसे अभियानों के खिलाफ कानूनों का पालन करते हुए सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.’
बयान में ये भी कहा गया है कि सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को महत्व देती है और इस पर भी संविधान के तहत उचित प्रतिबंध लागू होते हैं.
सचिव ने ट्विटर के प्रतिनिधियों से कहा है कि भारत में खुले इंटरनेट के साथ व्यापार के लिए निवेशकों का स्वागत है लेकिन ट्विटर को भारत के कानूनों और लोकतांत्रिक संस्थानों का भी सम्मान करना होगा.
उन्होंने आगे कहा कि कानूनन पारित आदेश किसी भी व्यावसायिक संस्था के लिए बाध्यकारी हैं.
बयान में कहा, ‘उन्हें आदेशों का तुरंत पालन करना चाहिए. यदि वे उन दिनों उन्हें पालन नहीं करते हैं तो यह अर्थहीन हो जाता है.’
सचिव ने अधिकारियों के साथ ‘किसान नरसंहार’ हैशटैग का मुद्दा उठाया और नाराजगी जाहिर की. सरकार ने ट्विटर को इस हैशटैग का इस्तेमाल करके ट्वीट करने वाले अकाउंट को प्रतिबंधित करने के लिए कहा था.
सरकार की तरफ से कहा गया है कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने क़ानूनी प्रक्रिया के तहत ट्विटर को इस हैशटैग के बारे में जानकारी देने के बावजूद इसके भड़काऊ और भ्रामक जानकारियों को ट्विटर पर इस हैशटैग से जुड़े कंटेंट को प्रसारित होने दिया.
बता दें कि ट्विटर का कहा है कि उसने हाल ही में भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आदेशों के अनुरूप कुछ कार्रवाई की है, लेकिन वह मीडिया संस्थाओं, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और नेताओं से जुड़े ट्विटर एकाउंट को ब्लॉक नहीं करेगा.
ट्विटर इंडिया ने एक ब्लॉगपोस्ट में कहा कि ऐसा करना भारतीय कानून के तहत उनके अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा.
माइक्रोब्लॉगिंग मंच ने यह भी कहा कि वह अपने और प्रभावित हुए एकाउंट दोनों के लिए भारतीय कानून के तहत विकल्प तलाश कर रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)