एक मीडिया रिपोर्ट में बिहार के जमुई, शेखपुरा और पटना के छह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कोरोना वायरस को लेकर हो रही जांच की पड़ताल की गई है. इसमें पता चला है कि आंकड़ों की पड़ताल की गई है. फ़र्ज़ी नाम और मोबाइल नंबर के सहारे स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा फ़र्ज़ी रिपोर्ट तैयार करने का मामला सामने आया है.
पटनाः बिहार में कोरोना टेस्टिंग प्रक्रिया को लेकर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. पता चला है कि राज्य में कोरोना टेस्टिंग के डेटा में गड़बड़ी पाई गई है. फर्जी नाम और मोबाइल नंबर के सहारे स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा फर्जी रिपोर्ट तैयार की जा रही है.
राज्य के तीन जिलों से कोरोना टेस्टिंग रिकॉर्ड की ऐसी 885 एंट्री का पता चला है, जिनमें फर्जी नाम, पते और अन्य फर्जी जानकारियां शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की एक विशेष रिपोर्ट के मुताबिक, मामला सामने आने के बाद गुरुवार को बिहार सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं. शुक्रवार को यह मामला राज्यसभा में उठाया गया.
रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने बिहार के जमुई, शेखपुरा और पटना के छह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का दौरा किया और वहां के 16,18 और 25 जनवरी के कोरोना जांच डेटा की पड़ताल की.
जमुई में इन तीन दिनों के तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कुल 588 एंट्री दर्ज थीं, जिनमें कई एंट्रियां गलत थीं, जिसके लिए फर्जी नाम, पते और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया गया था.
जमुई के बरहट में 230 एंट्रियों में से सिर्फ 12 एंट्री ही कोरोना पॉजिटिव पाई गईं, यानी सही थी.
जिले के सिकंदराबाद पीएचसी में 208 में से सिर्फ 43 एंट्रियां कोरोना पॉजिटिव मिलीं और जमुई सदर में 150 में से 65 एंट्री ही सही पाई गईं.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात स्वास्थ्यकर्मियों से बातचीत में पता चला कि दैनिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए टेस्टिंग डेटा में गड़बड़ी की गई.
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाडेय ने कहा, ‘इन गड़बड़ियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.’
बिहार के मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) प्रत्यय अमृत ने डेटा में सुधार के लिए जमुई और शेखपुरा के प्रभारी सिविल सर्जन की एक बैठक बुलाई है.
दरअसल इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट जमुई, शेखपुरा और पटना इन तीनों जिलों पर केंद्रित है.
राज्य में विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने शुक्रवार को संसद में भी इस मामले को उठाया.
स्वास्थ्य मंत्री पांडे ने पटना में संवाददाताओं को बताया, ‘मैंने स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव से इस मामले में हर तरह से गौर करने को कहा है और जो भी जिम्मेदार पाया जाएगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. हमने आंतरिक जांच शुरू की है. स्वास्थ्य विभाग हर पहलू पर विचार कर रहा है.’
उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव द्वारा बुलाई गई बैठक के बारे में पूछने पर कहा, ‘सिविल सर्जन से सामने आई हर गड़बड़ी की रिपोर्ट पेश करने और जिम्मेदार अधिकारियों का पता लगाने को कहा है.’
विपक्षी पार्टी आरजेडी ने संसद में मामला उठाया
बिहार में कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट के आंकड़ों में कथित गड़बड़ी का मुद्दा शुक्रवार को राज्यसभा में उठाते हुए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के एक सदस्य ने मांग की कि इसकी जांच की जानी चाहिए और फर्जी प्रविष्टियां दर्ज के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
शून्यकाल में आरजेडी सांसद मनोज झा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि दो-तीन दिनों से बिहार में कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट में आंकड़ों में कथित गड़बड़ी होने की खबरें आ रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘ये खबरें चिंताजनक हैं. इनमें दावा किया गया है कि कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट में फर्जी प्रविष्टियां की गई हैं. इसकी उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए.’
झा ने यह भी कहा, ‘इस तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे दस्तावेज पेश करना अनिवार्य बनाया जाना चाहिए.’
सभापति एम. वेंकैया नायडू ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए सदन में मौजूद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्द्धन से इस पर गौर करने का अनुरोध किया.
वहीं, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मामले पर बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट कर कहा कि बिहार में सबसे खराब टेस्टिंग आंकड़ें हैं.
Bihar had the worst testing statistics we repeatedly requested CM to ramp it up, he responded by transferring 3 health secretaries (who didn’t fudge data) & ultimately faking the numbers through his trusted Babu’s to mint money. CM must reply on this scamhttps://t.co/b4dvnZnks5
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) February 11, 2021
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘विपक्ष ने बार-बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार बढ़ाने का आग्रह किया था, लेकिन उन्होंने इसका जवाब तीन स्वास्थ्य सचिवों (जो डेटा में गड़बड़ी नहीं करते थे) का तबादला कर दिया.’
आरजेडी नेता ने नीतीश कुमार पर अपने विश्वसनीय अधिकारियों के जरिये फर्जी आंकड़ें रिकॉर्ड कर पैसा कमाया है.
वहीं, बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौर ने राज्य सरकार से इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने के आदेश देने को कहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)