अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ का सुझाव, शहरी रोज़गार गारंटी योजना शुरू करे सरकार

अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ ने लैंगिंग समानता पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शहरी रोज़गार गारंटी योजना शुरू करने की बात कहते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चलते ऐसा करना ज़रूरी है. उन्होंने कहा कि इसके तहत करीब एक तिहाई नौकरियां महिलाओं को दी जा सकती हैं.

अर्थशास्त्री और कार्यकर्ता ज्यां द्रेज. (फोटो: द वायर)

अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ ने लैंगिंग समानता पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शहरी रोज़गार गारंटी योजना शुरू करने की बात कहते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चलते ऐसा करना ज़रूरी है. उन्होंने कहा कि इसके तहत करीब एक तिहाई नौकरियां महिलाओं को दी जा सकती हैं.

अर्थशास्त्री और कार्यकर्ता ज्यां द्रेज. (फोटो: द वायर)
अर्थशास्त्री और कार्यकर्ता ज्यां द्रेज. (फोटो: द वायर)

कोझिकोड: जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने गरीबी की समस्याओं को दूर करने के प्रयासों के तहत शहरी रोजगार गारंटी योजना की जोरदार वकालत की है.

उन्होंने कहा कि खासतौर से कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चलते ऐसा करना जरूरी है.

उन्होंने यह सुझाव गुरुवार को आयोजित तीन दिवसीय लैंगिक समानता पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीजीई-दो 2021) में दिया, जिसका आयोजन यूएन वुमेन के साथ मिलकर केरल सरकार के महिला और बाल विकास विभाग ने किया था.

इस योजना को उन्होंने विकेंद्रीकृत शहरी रोजगार और प्रशिक्षण (डीयूईटी) नाम दिया और कहा कि इसका उपयोग शहरों और कस्बों में सार्वजनिक स्थानों, जैसे शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, बस और रेलवे स्टेशनों की साफ-सफाई जैसे कामों के लिए किया जा सकता है.

ज्यां द्रेज ने कहा कि डीयूईटी के तहत कम से कम एक तिहाई नौकरियां महिलाओं को दी जा सकती हैं और सुझाव दिया कि फर्जी कर्मचारियों के रूप में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए नियोक्ताओं को नकद लाभ उपलब्ध कराने की जगह जॉब स्टैंप जारी करने चाहिए.

उन्होंने केरल सरकार से इन सुझावों को पायलट आधार पर शुरू करने के लिए कहा.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस सम्मेलन में अन्य पैनलिस्ट- आईटी सचिव के मोहम्मद वाई. सफिरुल्ला, महिला और बाल विकास विभाग के निदेशक टीवी अनुपमा और ओडिशा के वाणिज्यिक कर अधिकारी ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान थे.

एक ट्रांसजेंडर अधिकारी प्रधान ने कहा कि उनके अनुभव से पता चला है कि कानून और सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के माध्यम से लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक मानसिकता में बदलाव महत्वपूर्ण है.

अनुपमा ने सभी संस्थाओं से लैंगिक समानता को बढ़ाने का आह्वान किया.

उन्होंने कहा कि महिलाओं को उनकी रूढ़ीवादी भूमिकाओं से बाहर निकलने की सुविधा दी जानी चाहिए और ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्रों में, जिन्हें पुरुषों का विशेष संरक्षण माना जाता है में जगह देना चाहिए.

सफीरुल्ला ने महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए बढ़ावा देने में आईटी विभाग की उपलब्धियों के बारे में बताया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)