नवदीप कौर मजदूर अधिकार संगठन की सदस्य हैं, जिन्हें 12 जनवरी को सोनीपत में एक औद्योगिक इकाई पर हुए प्रदर्शन के दौरान गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस ने उन पर हत्या के प्रयास और उगाही के आरोप में तीन मामले दर्ज किए हैं, जिनका कौर के परिजनों ने खंडन किया है.
चंडीगढ़ः हरियाणा की जेल में बंद दलित श्रम अधिकार कार्यकर्ता नवदीप कौर मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर 24 फरवरी तक जवाब मांगा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अरुण कुमार त्यागी की पीठ ने आदेश में कहा है कि इस मामले को तत्काल सूची में सूचीबद्ध किया जाए और 24 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई तक स्थगित किया जाए.
दरअसल अदालत ने नवदीप कौर की अवैध हिरासत को लेकर ईमेल के जरिये मिली शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.
नवदीप कौर (24) मजदूर अधिकार संगठन की सदस्य हैं और उन पर हत्या के प्रयास और उगाही सहित तीन मामले दर्ज किए गए हैं.
हरियाणा पुलिस के मुताबिक, उन्हें सोनीपत में एक औद्योगिक इकाई का कथित तौर पर घेराव कर पैसे मांगने के आरोप में 12 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था.
इस मामले की वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओरसे पेश हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता रणवीर सिंह आर्या ने राज्य सरकार की ओर से इस नोटिस को स्वीकार किया और इस पर जवाब देने के लिए समय मांगा.
हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री से याचिका की एक कॉपी राज्य के वकील को देने के निर्देश दिए.
अपने आदेश में जस्टिस त्यागी ने कहा, ‘दलित श्रम कार्यकर्ता नवदीप कौर की अवैध हिरासत के संबंध में ईमेल के जरिये छह फरवरी 2021 और आठ फरवरी 2021 को शिकायतें मिलीं. जस्टिस जसवंत सिंह के आदेशों के तहत इसे आपराधिक रिट याचिका माना गया है और इसे तत्काल सूची में सूचीबद्ध किया गया है.’
जस्टिस त्यागी ने कहा कि ईमेल के जरिये भेजी गई शिकायतों में शिकायतकर्ताओं ने अपने पते और अन्य संबंधित विवरणों का उल्लेख नहीं किया.
इन ईमेल में हरियाणा पुलिस की कैद से कौर की अवैध गिरफ्तारी से रिहाई और उनके उत्पीड़न की न्यायिक जांच की मांग की.
इससे पहले इस महीने की शुरुआत में सोनीपत के सत्र न्यायालय ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था. जमानत याचिका का खारिज करते हुए सत्र न्यायाधीश वाईएस राठौर ने कहा था कि कौर पैसे और धमकियों के जबरन वसूली से संबंधित दो एफआईआर का सामना कर रही हैं.
फैसले में कहा गया, ‘अपराध की गंभीरता को देखते हुए आवेदक जमानत की रियायत के लायक नहीं है और जमानत अर्जी खारिज की जाती है.’
नवदीप कौर की बहन राजवीर ने इससे पहले बताया था कि उन्हें एक कारखाने के पास विरोध प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तार किया गया था, वहीं पुलिस का दावा है कि वह और मजदूर संघ के अन्य सदस्य कर्मचारियों को वेतन न दिए जाने की आड़ में अवैध जबरन वसूली के उद्देश्य से कुंडली में एक कारखाने में घुसने की कोशिश कर रही थीं.
राजवीर का कहना था, ‘नवदीप नवंबर में सिंघू बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुई थीं. वह उन मजदूरों के लिए भी लड़ रही थीं, जिन्हें नियमित तौर पर मजदूरी नहीं मिली. 12 जनवरी को वह कुंडली में एक कारखाने के पास विरोध कर रही थीं कि पुलिस उन्हें उठाकर ले गईं. मैंने उससे मुलाकात की और उसने मुझे बताया कि पुलिसकर्मियों ने हिरासत में उससे मारपीट की है.’
पुलिस ने आरोप लगाया है कि जब पुलिस के अधिकारी मध्यस्थता करने पहुंचे तो लाठी और डंडों से लैस संगठन के सदस्यों ने उन पर हमला किया, जिससे सात पुलिसकर्मी घायल हो गए. तब से दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जिनमें आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) शामिल है.
कौर के रिश्तेदारों ने यह भी बताया था कि वह कुंडली में एक कारखाने में काम करना शुरू करने के बाद मजदूर अधिकार संगठन के साथ जुड़ गई थीं.
उन्होंने कहा, ‘पंजाब के मुक्तसर में मजदूर परिवार में जन्मीं कौर स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेना चाहती थीं, लेकिन जब उनके परिवार को आर्थिक परेशानी हुई तो उन्हें रोजगार की तलाश करनी पड़ी.’
दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहीं उनकी बहन ने कहा, ‘दिसंबर में उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने किसानों के साथ विरोध करना शुरू कर दिया था.’
हालांकि, सोनीपत पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया और उनकी अवैध गिरफ्तारी और उत्पीड़न को लेकर गलत खबरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैलाने का आरोप लगाया है.
पुलिस का दावा है कि नवदीप को सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी सामान्य जांच की गई और यौन उत्पीड़न को आरोपों को लेकर एक महिला चिकित्सक ने उनकी विशेष मेडिकल जांच भी की, जहां उन्होंने (नवदीप) लिखित बयान में कहा कि वह अपनी मेडिकल जांच नहीं कराना चाहती क्योंकि उसका उत्पीड़न नहीं किया गया है.