गुजरात में ‘लव जिहाद’ के ख़िलाफ़ क़ानून लाएंगे: मुख्यमंत्री विजय रूपाणी

लव जिहाद हिंदूवादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली शब्दावली है, जिसमें कथित तौर पर हिंदू महिलाओं को ज़बरदस्ती या बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम व्यक्ति से उसका विवाह कराया जाता है. भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में ऐसा क़ानून लाया जा चुका है.

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गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी. (फोटो साभार: ट्विटर/@BJP4Gujarat)

लव जिहाद हिंदूवादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली शब्दावली है, जिसमें कथित तौर पर हिंदू महिलाओं को ज़बरदस्ती या बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम व्यक्ति से उसका विवाह कराया जाता है. भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में ऐसा क़ानून लाया जा चुका है.

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी. (फोटो साभार: ट्विटर/@BJP4Gujarat)
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी. (फोटो साभार: ट्विटर/@BJP4Gujarat)

अहमदाबाद: गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार राज्य में ‘लव जिहाद’ के खिलाफ सख्त कानून जल्द लाएगी.

वड़ोदरा में आगामी निकाय चुनाव के लिए एक रैली को संबोधित करते समय उन्होंने यह घोषणा की.

उन्होंने कहा, ‘हम लव जिहाद के खिलाफ विधानसभा में कानून लाने जा रहे हैं. ‘लव जिहाद’ के नाम पर की जा रही ऐसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. आने वाले दिनों में भाजपा सरकार लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून लाएगी.’

लव जिहाद हिंदूवादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली शब्दावली है, जिसमें कथित तौर पर हिंदू महिलाओं को जबरदस्ती या बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम व्यक्ति से उसका विवाह कराया जाता है.

उल्लेखनीय है कि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में ऐसा कानून लाया जा चुका है.

बीते साल 24 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार तथाकथित ‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए शादी के लिए धर्म परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिए ‘उत्‍तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्‍यादेश, 2020’ ले आई थी.

इसमें विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर विभिन्न श्रेणियों के तहत अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हजार तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है, जहां लव जिहाद को लेकर इस तरह का कानून लाया गया.

इसके बाद जनवरी में मध्य प्रदेश सरकार ने धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 प्रदेश में लागू किया है. इसमें धमकी, लालच, ज़बरदस्ती अथवा धोखा देकर शादी के लिए धर्मांतरण कराने पर कठोर दंड का प्रावधान किया गया है.

इस कानून के जरिये शादी तथा किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल की कैद एवं 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

दिसंबर 2020 में ही भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश में जबरन या बहला-फुसलाकर धर्मांतरण या शादी के लिए धर्मांतरण के खिलाफ कानून को लागू किया गया था. इसका उल्लंघन करने के लिए सात साल तक की सजा का प्रावधान है.

इसी तरह, उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता कानून, 2018 में छल कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्मांतरण कराने का दोषी पाए जाने पर दो साल की कैद का प्रावधान है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विवाह के लिए धर्मांतरण को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है.

हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बजट सत्र के दौरान बीते दो फरवरी को कहा था कि धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाने की उसकी फिलहाल कोई योजना नहीं है.

लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा था कि संबंधित मुद्दे बुनियादी रूप से राज्य सरकारों के विषय हैं और क़ानून का उल्लंघन होने पर एजेंसियां कार्रवाई करती हैं.

उल्लेखनीय है कि अभी तक भारत के किसी कानूनी विभाग ने ‘लव जिहाद’ को परिभाषित नहीं किया है.

हालांकि, राज्यों द्वारा बनाए गए नए कानून का दुरुपयोग भी देखने को मिल रहा है, खासकर अतंरधार्मिक युगलों के खिलाफ जो अपनी मर्जी से शादी करना चाहते हैं.

उत्तर प्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आए जिसमें आपसी सहमति अंतरधार्मिक विवाह करने वाले या करने जा रहे युगलों को न सिर्फ प्रताड़ित किया गया बल्कि जेल भी भेजा गया. ऐसे ही एक मामले में एक महिला का गर्भपात तक हो गया था.

बता दें कि उत्तर प्रदेशमध्य प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों ने दूसरे धर्म में शादी के लिए धर्मांतरण के खिलाफ कानून को मंजूरी दी है. उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है, जहां कथित लव जिहाद को लेकर इस तरह का कानून लाया गया था.

इसके अलावा हरियाणा ने भी इसके खिलाफ कानून लाने की मांग की है. कुछ हिंदूवादी संगठन लगातार केंद्र सरकार से कथित लव जिहाद के खिलाफ कानून लाने की मांग करते रहे हैं.

हालांकि केंद्र सरकार ने कहा है कि धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाने की उसकी फिलहाल कोई योजना नहीं है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)