विश्वसनीय ख़ुफ़िया जानकारियां होने के बावजूद हुआ था पुलवामा हमला: रिपोर्ट

फ्रंटलाइन पत्रिका की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 जनवरी 2019 से 13 फरवरी 2019 तक मिली श्रृंखलाबद्ध ख़ुफ़िया जानकारियों पर अगर सुरक्षा एजेंसियों ने सफलतापूर्वक कार्रवाई की होती, तो पुलवामा आतंकी हमले को रोका जा सकता था.

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पुलवामा हमले के बाद घटनास्थल पर क्षतिग्रस्त वाहन और सुरक्षाकर्मी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

फ्रंटलाइन पत्रिका की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 जनवरी 2019 से 13 फरवरी 2019 तक मिली श्रृंखलाबद्ध ख़ुफ़िया जानकारियों पर अगर सुरक्षा एजेंसियों ने सफलतापूर्वक कार्रवाई की होती, तो पुलवामा आतंकी हमले को रोका जा सकता था.

Lathepora: Security personnel carry out the rescue and relief works at the site of suicide bomb attack at Lathepora Awantipora in Pulwama district of south Kashmir, Thursday, February 14, 2019. At least 30 CRPF jawans were killed and dozens other injured when a CRPF convoy was attacked. (PTI Photo/S Irfan) (PTI2_14_2019_000167B)
पुलवामा आतंकी हमले के बाद राहत एवं बचाव कार्य में लगे सुरक्षाकर्मी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: साल 2019 के पुलवामा आतंकी हमले पर फ्रंटलाइन ने अपनी एक इनवेस्टिगेटिव  रिपोर्ट में खुलासा किया है कि 2 जनवरी, 2019 और 13 फरवरी, 2019 के बीच जम्मू कश्मीर पुलिस सहित आतंकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सभी विभागों के साथ कई खुफिया जानकारियां साझा की गई थीं, जिन पर या तो कार्रवाई नहीं की गई या फिर उन पर सफल कार्रवाई नहीं हो सकी जिसके कारण केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 44 जवानों ने अपनी जान गंवाई.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उपरोक्त समयावधि में कई खुफिया जानकारियां दी गईं, जिनमें दो सफल कार्रवाई की जानकारियां थीं और अगर उन पर कार्रवाई की जाती तो हमले को रोका जा सकता था.

इंस्टिट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट के कार्यकारी निदेशक अजय साहनी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया, ‘यदि कोई खुफिया इनपुट खास है, मान लीजिए कि आतंकवादियों पर एक खुफिया इनपुट में उनके ठिकाने या उनकी पहचान या उसके किसी अन्य विवरण की जानकारी शामिल है, इसे कार्रवाई योग्य खुफिया (जानकारी) माना जाता है.’

घातक आतंकी हमले से पहले सुरक्षा अधिकारियों को जो खुफिया जानकारियां मिली थीं, नीचे उनकी सूची है:

2 जनवरी, 2019: एक खुफिया इनपुट ने पुलवामा के राजपुरा में अपने चार आतंकवादियों की हत्याओं का बदला लेने के लिए दक्षिण कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के किसास मिशन के बारे में एजेंसियों को सतर्क किया. यह पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), जम्मू कश्मीर, और पुलिस महानिरीक्षक, कश्मीर के साथ साझा किया गया था और किसास खतरे की सत्यता पर जोर दिया गया था.

साधारण शब्दों में कहें तो किसास मिशन का मतलब सरकार ऑपरेशन ऑल आउट के जवाब में जैश द्वारा तैयार किए जा रहे जवाबी हमले से थी. ऑपरेशन ऑल आउट उग्रवाद पर लगाम लगाने के लिए सभी उग्रवादियों को मार गिराने की योजना है जो कश्मीर घाटी में साल 2017 में शुरू हुई थी.

3 जनवरी, 2019: एक आसन्न खतरे की ओर इशारा करते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट साझा की गई थी. रिपोर्ट को विश्वसनीयता प्रदान करने के लिए साझा की गई खुफिया जानकारियों में किसास मिशन पर 2018 के इनपुट को भी शामिल किया गया था जिसके बाद घातक हमले भी हुए थे.

खुफिया इनपुट के हवाले से फ्रंटलाइन ने कहा, ‘यह उल्लेख करना उचित है कि किसास मिशन 2018 के ऐसे ही संदेश के बाद सीआरपीएफ कैंप की 183वीं बटालियन न्यूवा पुलवामा पर हमला हुआ था, (और) उसी महीने सोपोर में जेईएम संगठन द्वारा रसूल मीर के बेटे कथित सैन्य मुखबिर मुश्ताक अहमद मीर का अपहरण और उसके बाद हत्या कर दी गई थी.’

7 जनवरी, 2019: यह पता चला कि स्थानीय युवाओं को दक्षिण कश्मीर में आईईडी के निर्माण और प्लांट करने के लिए एक विदेशी आतंकी से प्रशिक्षित किया जा रहा था.

खुफिया इनपुट के हवाले से फ्रंटलाइन ने कहा, ‘यह बताया गया है कि तीन आतंकवादियों के एक समूह, उनमें से एक शोपियां जिले में सक्रिय एक विदेशी माना जाता है, विस्फोटक उपकरणों को संभालने में स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि युवाओं को आईईडी बनाने और बलों पर हैंड ग्रेनेड फेंकने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है.’

18 जनवरी, 2019: विशेष खुफिया इनपुट में पुलवामा जिले के अवंतीपोरा क्षेत्र में स्थानीय युवाओं को जुटाने और विदेशी आतंकियों के साथ उनके समन्वय को किसी भी सनसनीखेज गतिविधि को अंजाम देने की योजना के रूप में संदर्भित किया गया है.

खुफिया इनपुट के हवाले से फ्रंटलाइन ने कहा, ‘पुलवामा के अवंतीपोरा इलाके में कुछ विदेशी आतंकियों के अलावा कम से कम 20 स्थानीय आतंकवादियों की आवाजाही की खबरें हैं जिनके पास किसी भी सनसनीखेज गतिविधि को अंजाम देने की योजना है…’

21 जनवरी, 2019: आतंकी कैडर की निरंतर और समन्वित गतिविधियों की जानकारी का जिक्र करते हुए आसन्न किसास हमले की जानकारी को दोहराया गया. इसने विशेष रूप से बोल्ड अक्षरों में उल्लेख किया है कि मसूद अजहर के भतीजे तल्हा रशीद की हत्या का बदला लेने के लिए जेईएम हमले की योजना बना रहा था.

24 जनवरी, 2019: इसे महत्वपूर्ण कार्रवाई योग्य इनपुट के रूप में माना जा सकता है, विशेष रूप से यह बताते हुए कि मुदासिर खान के नेतृत्व वाला जेईएम मॉड्यूल ‘नापाक साजिश’ पर काम कर रहा था. अंततः पता चला कि मुदासिर खान हमले का सरगना था.

खुफिया इनपुट के हवाले से फ्रंटलाइन ने कहा, ‘रिपोर्ट में बताया कि जेईएम संगठन के विदेशी आतंकियों ने  जेईएम आतंकी मुदासिर खान उर्फ मोहम्मद भाई ग्रुप अवंतीपोरा को आने वाले दिनों में कुछ विशेष टास्क पूरा करने उदाहरण के तौर पर कोई बड़ा फिदायीन हमला करने के लिए कहा. यह ग्रुप राजपुरा, पुलवामा के शहीद बाबा जेईएम ग्रुप के भी संपर्क में था.’

24 जनवरी, 2019: पिछले दिन के इनपुट के आधार पर, 25 जनवरी के इनपुट में कहा गया कि इसमें मुदासिर खान के स्थान की जानकारी है. बोल्ड अक्षरों में, इनपुट में कहा गया है कि खान को चार विदेशी आतंकियों के साथ मिदुर और लाम त्राल के गांवों में देखा गया था.

वास्तव में, यह रेखांकित किया गया कि समूह आने वाले दिनों में एक हमले की योजना बना रहा था और संभवतः इसे अवंतीपोरा या पंपोर में निर्धारित कर दिया गया था ताकि उसे अंजाम देने का स्थान मिल सके.

फ्रंटलाइन 24 और 25 जनवरी को दोनों को कार्रवाई योग्य इनपुट’ के रूप में बताता है और संकेत दिया कि खास खुफिया जानकारी पर कार्य करने और मुदासिर खान को गिरफ्तार करने या मार गिराने और उनकी (पुलवामा) साजिश को विफल कर के लिए कम से कम तीन सप्ताह का समय उपलब्ध था.

9 फरवरी, 2019: 14 फरवरी (हमले का दिन) के करीब आने के साथ ही फरवरी, 2019 में आसन्न किसास हमले को लेकर और अधिक इनपुट आने लगे थे. 9 फरवरी के इनपुट ने जेईएम द्वारा अफजल गुरु की फांसी के बदले के लिए एक हमले की चेतावनी दी. इनपुट को जम्मू कश्मीर जोन के सीआरपीएफ के एडीजी के साथ साझा किया गया था.

12 फरवरी, 2019: 12 फरवरी का इनपुट एक ट्विटर हैंडल (Shah GET 313 @313_get) के बारे में था जिसे टॉप सीक्रेट, मैटर मोस्ट अर्जेंट बताया गया था.

खुफिया इनपुट में कहा गया, ‘हैंडल की नियमित आधार पर निगरानी की जा रही थी और 12.02.2019 को जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे मार्गों पर आईईडी विस्फोट दिखाने वाले वीडियो के साथ आईईडी धमाकों को अंजाम देने का हैंडल पर संकेत दिया गया था. इस संबंध में एक इनपुट मैक/एसएमएसी प्लेटफॉर्म पर इनपुट आईडी नंबर 334808 दिनांक 12.02.2019 को 19:27:41 [घंटे] पर साझा किया गया था.’

मैक या मल्टी-एजेंसी-सेंटर एक इंटेलिजेंस ब्यूरो प्लेटफॉर्म है. यह कई एजेंसियों के प्रतिनिधियों के बीच खुफिया (इनपुट) को साझा करने और समन्वय की सुविधा के लिए एक नोडल निकाय है जो 24×7 कार्य करता है.

12 फरवरी, 2019: आखिरी चेतावनी हमले से एक दिन पहले 13 फरवरी को आई थी. इसमें कहा गया, जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों के मार्गों पर आईईडी के हमले.

कौन था मुदासिर खान:

मुदासिर खान दक्षिण कश्मीर का एक जाना-माना आतंकवादी था और 2017 में सीआरपीएफ कैंप पर लेथिपोरा हमले में वांटेड था, जिसमें पांच सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी. वह न केवल वह क्षेत्र में मुख्य जेईएम समूह का नेतृत्व कर रहा था, बल्कि जैश के एक सहायक समूह का भी नेतृत्व कर था, जो उससे पहले तक आतंकवादी शाहिद बाबा के नेतृत्व में था.

1 फरवरी को शाहिद बाबा के खात्मे के बाद मुदासिर खान उस सहायक समूह का नेतृत्व करने लगा था. फ्रंटलाइन रिपोर्ट में कहा गया, ‘19 वर्षीय स्थानीय आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार, जिसने 14 फरवरी की हड़ताल को अंजाम दिया, ’वह शाहिद बाबा समूह से जुड़ा था और बाबा के खात्मे के बाद शायद मुदासिर खान से निर्देश लिया.’

खुफिया रिपोर्ट में उच्च स्तरीय सूत्र के हवाले से कहा, ‘पुलवामा में हमारे स्थानीय सूत्र, जो मुदासिर खान और शाहिद बाबा के करीबी थे, ने हमें 22 जनवरी को बताया कि दोनों कुछ बड़ी योजना बना रहे थे, साथ ही उन जगहों की जानकारी भी साझा कर रहे थे जहां दोनों को आखिरी बार देखा गया था.’

14 फरवरी के हमले के बाद जांच में पता चला कि खान मुख्य साजिशकर्ता था और 11 मार्च, 2019 को त्राल के पिंगलिश इलाके में सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवाद विरोधी अभियान में मार गिराया गया था.

वहीं, दूसरी तरफ पुलवामा हमले के एक दिन पहले 13 फरवरी को जम्मू कश्मीर पुलिस ने अवंतीपोरा के पुलिस अधीक्षक मोहम्मद जैद को ट्रांसफर कर दिया था जो एक आतंकी खतरे के दौरान फेरबदल के सुरक्षा एजेंसियों के विवेक पर सवाल उठाता है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)