नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को कहा कि उसने एमनेस्टी इंटरनेशनल (इंडिया) की दो संस्थाओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बैंक में जमा 17 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम जब्त की है.
ईडी ने एक बयान में कहा कि उसने मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एआईआईपीएल) और इंडियंस फॉर एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट (आईएआईटी) के बैंक खातों में जमा रकम की जब्ती के लिए अस्थायी आदेश जारी किया है.
बयान में कहा गया कि दोनों संस्थाओं ने अपराध के जरिये यह रकम अर्जित की और यह कई चल संपत्ति के रूप में है. आदेश के तहत 17.66 करोड़ रुपये की चल संपत्ति जब्त की गई है.
एआईआईपीएल, आईएआईटी, एमनेस्टी इंटरनैशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईआईएफटी) और एमनेस्टी इंटरनेशनल साउथ एशिया फाउंडेशन (एआईएसएएफ) के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा विदेशी अंशदान विनियमन कानून (एफसीआरए) की विभिन्न धाराओं और भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला दर्ज किया.
बयान में कहा गया, ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईआईएफटी) को एफसीआरए के तहत 2011-12 के दौरान एमनेस्टी इंटरनेशनल ब्रिटेन से विदेशी चंदा हासिल करने की अनुमति दी गई थी.
बयान में कहा गया कि हालांकि प्रतिकूल सूचनाएं मिलने के आधार पर यह मंजूरी रद्द कर दी गई.
बता दें कि पिछले साल सितंबर महीने में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में अपना काम बंद किया था और इसके लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया था.
एमनेस्टी ने यह कदम ईडी द्वारा उसके खातों को फ्रीज किए जाने के बाद उठाया था. कथित तौर पर विदेशी चंदा विनियमन कानून (एफसीआरए) के उल्लंघन के आरोपों में 5 नवंबर, 2019 को सीबीआई द्वारा एक एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद ईडी ने पिछले साल इस मामले में अलग से जांच शुरू की थी.
एमनेस्टी ने आरोप लगाया था कि सरकार उसे परेशान कर रही है. हालांकि, एमनेस्टी के आरोपों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि मानवीय कार्यों और सत्ता से दो टूक बात करने के बारे में दिए गए बयान और कुछ नहीं, बल्कि संस्था की उन गतिविधियों से सभी का ध्यान भटकाने का तरीका है, जो भारतीय कानून का सरासर उल्लंघन करते हैं.
भारत के गृह मंत्रालय ने अक्टूबर में कहा था कि संगठन का यह दावा कि उसे चुनिंदा तरीके से निशाना बनाया गया, दुर्भाग्यपूर्ण है और बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात है जो सच्चाई से कोसों दूर है.
मालूम हो कि ह्यूमन राइट्स वाच सहित 15 अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर एमनेस्टी इंटरनेशनल को भारत में अपना काम बंद करने के लिए मजबूर किए जाने की आलोचना की थी.
अपने बयान उन्होंने में आगे कहा था, ‘हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार ने एमनेस्टी इंडिया पर विदेशी फंडिंग के लिए कानून तोड़ने का आरोप लगाया है. इस आरोप को समूह ने राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है और सबूत पेश किया कि सरकार के गलत कामों और ज्यादतियों को मानवाधिकार संगठनों और समूहों ने चुनौती दी तब उन्होंने दुर्भावनापूर्ण तरीके से कानूनी प्रताड़ना शुरू कर दी.’
इसके अलावा एमनेस्टी इंटरनेशनल के भारत में काम बंद करने पर यूरोपीय संघ (ईयू) ने चिंता जताते हुए कहा था कि वह दुनिया भर में एमनेस्टी इंटरनेशनल के काम को बहुत महत्व देता है.
यूरोपीय संघ की प्रवक्ता नबीला मसराली ने भारत सरकार से संगठन को देश में काम करने की अनुमति देने की अपील की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)