लॉकडाउन हटने के छह महीने बाद भी मनरेगा के तहत काम की मांग में बढ़ोतरी जारी

बीते दो महीनों- दिसंबर और जनवरी में मनरेगा के तहत नौकरी करने वाले परिवारों की संख्या उतनी ही रही, जितनी की पिछले साल अगस्त और सितंबर में थी, जब कोरोना महामारी अपने चरम पर थी.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

बीते दो महीनों- दिसंबर और जनवरी में मनरेगा के तहत नौकरी करने वाले परिवारों की संख्या उतनी ही रही, जितनी की पिछले साल अगस्त और सितंबर में थी, जब कोरोना महामारी अपने चरम पर थी.

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नई दिल्ली: कोरोना मामलों में कमी आने के बाद चरणबद्ध तरीके से अर्थव्यवस्था को खोलने और प्रतिबंधों को खत्म किए जाने के बावजूद मनरेगा के तहत काम मांगने वालों की संख्या में बढ़ोतरी ही हो रही है.

इस ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत हर महीने करीब दो करोड़ या इससे अधिक परिवार काम मांग रहे हैं. आलम ये है कि पिछले दो महीनों (दिसंबर और जनवरी) में मनरेगा के तहत नौकरी करने वाले परिवारों की संख्या उतनी ही रही, जितनी की पिछले साल अगस्त और सितंबर में थी, जब कोरोना महामारी अपने चरम पर थी.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कुल मिलकार मौजूदा वित्त वर्ष (एक अप्रैल 2020 से लेकर 17 फरवरी तक) में अब तक 7.17 करोड़ परिवार (10.51 करोड़ लोग) मनरेगा योजना के तहत कार्य कर चुके हैं, जो कि साल 2006 में इसके शुरूआत के बाद से सबसे अधिक है.

कोरोना महामारी के चलते अपने गांवों को लौटने के लिए मजबूर हुए करोड़ों प्रवासियों के लिए मनरेगा नौकरी का एकमात्र जरिया बचा था.

हालांकि लॉकडाउन खत्म करने के बाद भी मनरेगा के तहत अत्यधिक लोगों द्वारा काम मांगा जाना बेरोजगारी की भयावह स्थिति को दर्शाता है और रोजगार की स्थिति सामान्य करने के सरकार के दावों पर सवालिया निशान खड़े करता है.

यदि महीना-वार आंकड़ों को देखें तो जून 2020 में 3.89 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत काम मांगा, जो जून 2019 की तुलना में 80 फीसदी अधिक था.

इसी तरह जुलाई 2020 में 2.75 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत रोजगार प्राप्त किया, जो जुलाई 2019 की तुलना में 83 फीसदी अधिक है.

इसी तरह अगस्त, सितंबर और अक्टूबर 2020 में मनरेगा के तहत काम करने वाले परिवारों की संख्या दो करोड़ के आस-पास रही, जो इससे पिछले साल इसी समयसीमा की तुलना में 62 से 82 फीसदी अधिक रही.

वैसे नवंबर में थोड़ी गिरावट आई थी, लेकिन फिर भी ये नवंबर 2019 की तुलना में 47 फीसदी अधिक रही. इसके बाद दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 में एक बार फिर से मनरेगा की तहत काम मांगने वालों की संख्या में बढ़ोतरी आई और यह 2.08 करोड़ और 2.05 करोड़ परिवारों तक पहुंच गई.

मनरेगा के तहत सबसे ज्यादा मांग में बढ़ोतरी तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में आई है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक 40 लाख से अधिक परिवारों ने पूरे 100 दिनों का रोजगार प्राप्त किया है.

मालूम हो कि कोरोना वायरस के चलते उत्पन्न हुए अप्रत्याशित संकट के समाधान के लिए मोदी सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत योजना’ के तहत मनरेगा योजना के बजट में 40,000 करोड़ रुपये की वृद्धि की थी.

इस तरह पूर्व में निर्धारित 61,500 करोड़ रुपये को मिलाकर मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मनरेगा योजना का बढ़कर 1.01 लाख करोड़ रुपये हो गया. किसी वित्त वर्ष के लिए यह अब तक का सर्वाधिक मनरेगा बजट था.