केरल: सरकार ने सीएए विरोधी प्रदर्शन को लेकर 46 को समन भेजा, कार्यकर्ताओं ने कहा दोहरा रवैया

यह समन तब भेजे गए हैं, जब मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कह चुके हैं कि विवादित नागरिकता संशोधन विरोधी प्रदर्शन करने वालों के ख़िलाफ़ कोई मामला दर्ज नहीं होगा.

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(फोटो: पीटीआई)

यह समन तब भेजे गए हैं, जब मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कह चुके हैं कि विवादित नागरिकता संशोधन विरोधी प्रदर्शन करने वालों के ख़िलाफ़ कोई मामला दर्ज नहीं होगा.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: फरवरी 2019 में विवादित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल होने के संबंध में केरल सरकार ने बीते मंगलवार (16 फरवरी) को 46 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया.

राज्य सरकार ने ये कदम तब उठाया है जब पिनराई विजयन सरकार ने ये आश्वासन दिया था कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.

द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, कोझिकोड टाउन पुलिस ने केरल के 46 राजनीतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक नेताओं के खिलाफ समन जारी किया है, जिन्होंने 2019 में प्रदर्शनकारियों का साथ दिया था.

इन लोगों में केके बाबूराज, टीटी श्रीकुमार, जे. देविका, एनपी चेकुट्टी, नसर फैजी कूडाथाई और दिवंगत टी. पीटर समेत नामी कार्यकर्ता और नेता शामिल हैं.

ये समन 17 फरवरी 2019 को हुए एक प्रदर्शन को लेकर कोझिकोड टाउन पुलिस द्वारा दर्ज केस के आधार पर जारी किए गए हैं. इसमें प्रदर्शनकारियों को कोझिकोड फर्स्ट क्लास ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने पेश होने को कहा गया था.

खास बात ये है कि समन प्राप्त करने वालों में ऐसे भी लोग शामिल है जो खुद प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए थे, बल्कि बाहर से ही प्रदर्शनकारी समूहों को समर्थन दिया था.

प्रदर्शनकारियों के खिलाफ धारा 109 (किसी को अपराध के लिए उकसाना), 143 (गैरकानूनी जनसमूह का हिस्सा होना), 147 (दंगा करना), 283 (सार्वजनिक स्थान पर बाधा उत्पन्न करना) और 149 ((अवैध सभा का हिस्सा होना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

केरल पुलिस का दावा है कि चूंकि प्रदर्शनकारियों ने केरल हाईकोर्ट के निर्देश के मुताबिक धरना देने से पहले इजाजत नहीं ली थी, इसलिए उन्हें समन जारी किया गया है. हालांकि प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये सरकार के ‘दोहरे रवैये’ को दर्शाता है.

कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने समय पर इजाजत मांग थी, लेकिन प्रशासन ने इसकी मंजूरी नहीं दी.

राज्य की पुलिस ने आरोप लगाया है कि 17 फरवरी 2019 को प्रदर्शन के दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों से हिंसा के मामले सामने आए और तोड़-फोड़ की गई

वेल्फेयर पार्टी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई), दलित ह्यूमन राइट्स मूवमेंट, बीएसपी और पोरट्टम समेत 40 संगठनों ने विवादित नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया था.

हालांकि वामपंथी समेत मुख्यधारा की पार्टियों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया था, क्योंकि वे एसडीपीआई और वेल्फेयर पार्टी के साथ मंच साझा नहीं करना चाहते हैं.

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने फरवरी 2019 में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. हालांकि उन्होंने इस दौरान हिंसा नहीं करने की चेतावनी दी थी.

विजयन ने कहा था, ‘कई संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं. किसी भी प्रदर्शनकारी के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं किया गया है. लेकिन यदि कोई हिंसा में शामिल हुआ तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. कोई भी सरकार ऐसा ही करेगी, इसका एंटी-सीएए प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है.’

मालूम हो कि विजयन सरकार केरल में सीएए लागू किए जाने के बिल्कुल विरोध में है और हाल ही में 14 फरवरी को विजयन ने ये बात दोहराई थी.

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