केरल हाईकोर्ट ने एनआईए की याचिका ख़ारिज की, कहा- सोने की तस्करी यूएपीए के दायरे में नहीं आती

एनआईए ने सोने की तस्करी के एक मामले में यूएपीए के तहत केस दर्ज किया है. एजेंसी ने हाईकोर्ट में आरोपियों की ज़मानत के ख़िलाफ़ अपील की थी, जिसे ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि तस्करी से जुड़ा मामला तब तक यूएपीए के तहत आतंकी कृत्य नहीं है, जब तक उससे देश की आर्थिक सुरक्षा को ख़तरा न हो.

(फोटो साभार: विकीमीडिया कॉमन्स)

एनआईए ने सोने की तस्करी के एक मामले में यूएपीए के तहत केस दर्ज किया है. एजेंसी ने हाईकोर्ट में आरोपियों की ज़मानत के ख़िलाफ़ अपील की थी, जिसे ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि तस्करी से जुड़ा मामला तब तक यूएपीए के तहत आतंकी कृत्य नहीं है, जब तक उससे देश की आर्थिक सुरक्षा को ख़तरा न हो.

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तिरुवनंतपुरमः केरल हाईकोर्ट की एक पीठ ने सोने की तस्करी से जुड़े एक मामले में 14 आरोपियों को दी गई जमानत के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की याचिका को खारिज कर दिया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पीठ ने गुरुवार को कहा कि तस्करी को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत परिभाषित नहीं किया गया है.

अदालत ने कहा कि इसके अलावा मामले में अदालत के समक्ष पेश किए गए सबूत प्रथमदृष्टया यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि आरोपियों ने आतंकी कृत्य किया है.

एनआईए ने सोने की तस्करी की घटना के संबंध में आतंकी मामला दर्ज किया था, जो आमतौर पर सीमा शुल्क अधिनियम के दायरे में आता है.

बता दें कि पिछले साल जुलाई महीने में तिरुवनंतपुरम में एक राजनियक कार्गो से 30 किलोग्रम सोना जब्त किया गया था, जिसके बाद एनआईए ने मामला अपने हाथ में लेते हुए कहा कि किसी तटीय स्थान से भारत में सोने की तस्करी से देश की आर्थिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है और यह यूएपीए की धारा 15 के तहत आतंकी कृत्य है.

एनआईए ने सोने की तस्करी के मामले में आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत आरोप भी लगाए थे.

आरोपियों को दी गई जमानत बरकरार रखते हुए जस्टिस ए. हरिप्रसाद और जस्टिस एमआर अनिता की पीठ ने कहा, ‘हमें पता चला है कि तस्करी शब्द यूएपीए के तहत परिभाषित नहीं है. किसी एक कानून में घटित किसी विशेष अभिव्यक्ति की परिभाषा को दूसरे कानून में लागू नहीं किया जा सकता, जब तक कि वह समान मामला नहीं हो.’

पीठ ने कहा, ‘वह निचली अदालत से सहमत हैं कि अदालत के समक्ष पेश किए गए सबूत प्रथम दृष्टया यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि आरोपियों ने आतंकी कृत्य किया है.’

पीठ ने कहा, ‘सोने की तस्करी सीमा शुल्क एक्ट के प्रावधानों के दायरे में आता है न कि यूएपीए की धारा 15 के तहत, जब तक कि सबूतों से यह सिद्ध नहीं हो जाए कि यह धमकी देने के इरादे से किया गया है या इससे देश की आर्थिक सुरक्षा को किसी तरह का खतरा है.’