दिल्ली में किसान आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक टूलकिट को साझा करने में कथित भूमिका के चलते पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. एक अन्य कोर्ट ने दिशा को तीन दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि टूलकिट मामले में पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जांच के बारे में मीडिया में आईं कुछ खबरें ‘सनसनीखेज और पूर्वाग्रह से ग्रसित रिपोर्टिंग’ की ओर संकेत करती हैं. हालांकि अदालत ने सुनवाई के इस चरण में इस तरह की सामग्री को हटाने का निर्देश देने से इनकार कर दिया.
अदालत ने साथ ही मीडिया प्रतिष्ठानों से कहा कि लीक हुई जांच सामग्री प्रसारित न की जाए.
गौरतलब है कि किसानों के प्रदर्शनों के समर्थन में एक टूलकिट को साझा करने में कथित भूमिका के चलते दिशा रवि के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने कहा कि इस तरह की समाचार सामग्री तथा दिल्ली पुलिस के ट्वीट को हटाने से संबंधित अंतरिम याचिका पर विचार बाद में किया जाएगा.
बहरहाल, उच्च न्यायालय ने मीडिया प्रतिष्ठानों से कहा कि लीक हुई जांच सामग्री को प्रसारित न किया जाए, क्योंकि इससे जांच प्रभावित हो सकती है.
अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह हलफनामें में दिए गए अपने इस रुख का पालन करे कि उसने जांच संबंधी कोई जानकारी प्रेस को लीक नहीं की और न ही उसका ऐसा कोई इरादा है.
उच्च न्यायालय ने कहा कि टूलकिट मामले में पुलिस को कानून का और ऐसे मामलों की मीडिया कवरेज के सिलसिले में 2010 के एजेंसी के ज्ञापन का पालन करते हुए प्रेस वार्ता करने का अधिकार है.
अदालत ने मीडिया प्रतिष्ठानों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि केवल सत्यापित सामग्री ही प्रकाशित की जाए, जो उनके विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त हुई हो और वह पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में चल रही जांच बाधित न करें.
While hearing 21-year old climate activist #DishaRavi's writ petition, the #DelhiHighCourt on Friday directed the #DelhiPolice to ensure that no leakage of information happens with regard to the investigation in the case registered…
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अदालत दिशा रवि की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में जांच सामग्री को मीडिया में लीक करने से पुलिस को रोकने का अनुरोध किया है.
याचिका में मीडिया को उनकी वॉट्सऐप पर हुई निजी बातचीत, उनके तथा अन्य पक्षों के बीच हुई बात प्रकाशित करने से रोकने का भी अनुरोध किया गया है.
पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने अदालत में हलफनामा दाखिल कर इस बात से स्पष्ट रूप से इनकार किया कि उनके (पुलिस) द्वारा कोई भी सूचना लीक की गई है.
इसके साथ ही अदालत को यह आश्वासन भी दिया कि ऐसी कोई सूचना मीडिया के लिए लीक करने का उसका कोई इरादा भी नहीं है.
हालांकि राजू ने सुनवाई के दौरान कहा कि एजेंसी के कुछ अधिकारियों द्वारा जानकारी लीक करने की संभावना से पूरी तरह से इनकार भी नहीं किया जा सकता है.
मीडिया घरानों ने अदालत को बताया कि वर्तमान मामले में उनकी जानकारी का स्रोत दिल्ली पुलिस और उसके ट्वीट हैं.
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से पेश केंद्र सरकार के स्थायी वकील अजय दिगपाल ने अदालत को बताया कि याचिका विचार करने योग्य नहीं है, क्योंकि उनके पास पहले ऐसी कोई शिकायत नहीं आई, जिसमें किसी टीवी चैनल अथवा मीडिया संस्थान के खिलाफ मामले में कथित गलत जानकारी देने पर कार्रवाई करने की मांग की गई हो.
न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ने अदालत में कहा कि याचिका में जिन मीडिया संस्थानों के नाम हैं, उनके खिलाफ उसके पास कोई शिकायत आती है, तो ही वह कोई कार्रवाई कर सकता है.
रवि ने अपनी याचिका में कहा कि वह ‘पूर्वाग्रह से ग्रसित उनकी गिरफ्तारी और मीडिया ट्रायल से काफी दुखी हैं, जहां उन पर प्रतिवादी (पुलिस) और कई मीडिया घरानों द्वारा स्पष्ट रूप से हमला किया जा रहा है.’
उन्होंने यह भी दावा किया कि दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ द्वारा 13 फरवरी को बेंगलुरु से उनको गिरफ्तार किया जाना ‘पूरी तरह से गैरकानूनी और निराधार था.’
उन्होंने दलील दी कि मौजूदा परिस्थितियों में इस बात की ‘काफी आशंका’ है कि आम जनता इन खबरों से याचिकाकर्ता को दोषी मान ले.
याचिका में कहा गया, ‘इन परिस्थितियों में और प्रतिवादी को उनकी निजता, उनकी प्रतिष्ठा और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन करने से रोकने के लिए, याचिकाकर्ता वर्तमान याचिका को आगे बढ़ा रही है.’
याचिका में आरोप लगाया गया है कि जांच संबंधी सामग्री मीडिया में लीक की जा रही है और पुलिस द्वारा किए जा रहे संवाददाता सम्मेलन ‘पूर्वाग्रह से ग्रसित’ हैं और यह ‘उनके निष्पक्ष सुनवाई और निर्दोष होने की संभावना के अधिकार का उल्लंघन करता है.’
अदालत ने दिशा रवि को तीन दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा
वहीं, दिल्ली की एक अदालत ने टूलकिट मामले में गिरफ्तार दिशा रवि को शुक्रवार को तीन दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
दिल्ली पुलिस ने पांच दिन की हिरासत अवधि समाप्त होने के बाद रवि को अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आकाश जैन के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेजा गया.
पुलिस ने कहा कि फिलहाल रवि की हिरासत की आवश्यकता नहीं है और इस मामले में सह-आरोपी शांतनु मुकुल और निकिता जैकब के जांच में शामिल होने के बाद रवि से आगे की पूछताछ की जरूरत हो सकती है.
#UPDATE | Toolkit case: Disha Ravi sent to three-day judicial custody by Delhi's Patiala House Court https://t.co/hI6nNZsaHe
— ANI (@ANI) February 19, 2021
पुलिस ने कहा कि हिरासत में पूछताछ के दौरान रवि टालमटोल भरा रवैया अपनाती रहीं और सह-आरोपियों पर दोष मढ़ने का प्रयास किया.
पुलिस का दावा है कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा समेत किसान आंदोलन का पूरा घटनाक्रम ट्विटर पर साझा किए गए टूलकिट में बताई गई कथित योजना से मिलता-जुलता है.
इसे लेकर आरोप है कि इस ‘टूलकिट’ में भारत में अस्थिरता फैलाने को लेकर साजिश की योजना थी. किसान आंदोलन पर ट्वीट को लेकर दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया था, इसमें आपराधिक साजिश और समूहों में दुश्मनी फैलाने का आरोप लगाया गया था.
दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट किया था कि यह टूलकिट एक ऐसे सोशल मीडिया हैंडल से मिला था, जिस पर 26 जनवरी की हिंसा वाली घटनाओं की साजिश फैलाने के संकेत मिले हैं.
इससे पहले दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम सेल ने चार फरवरी को टूलकिट मामले में राजद्रोह, आपराधिक साजिश और नफरत को बढ़ावा देने के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी.
पुलिस का कहना था कि इसमें जलवायु एवं पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के खिलाफ केस नहीं दर्ज है. हालांकि उनका नाम एफआईआर में शामिल किया गया है.
पुलिस ने दिशा रवि पर टूलकिट नाम के उस डॉक्यूमेंट को एडिट कर उसमें कुछ चीजें जोड़ने और आगे फॉरवर्ड करने का आरोप लगाया है. दिशा रवि ‘फ्राइडेज फॉर फ्यूचर इंडिया’ के संस्थापकों में से एक हैं.
फ्राइडेज फॉर फ्यूचर स्कूली छात्रों का एक अंतरराष्ट्रीय आंदोलन है, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता है. इस आंदोलन को उस समय व्यापक लोकप्रियता मिली थी, जब थनबर्ग ने स्वीडन की संसद के बाहर प्रदर्शन किया था.
दिशा बेंगलुरु के प्रतिष्ठित विमेंस कॉलेज में शामिल माउंट कार्मेल की छात्रा हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)