राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख रहे एमएस गोलवलकर के विचारों को ज़्यादातर लोकतंत्र के ख़िलाफ़ माना जाता है. संघ प्रमुख मोहन भागवत ख़ुद एक कार्यक्रम के दौरान उनसे दूरी बनाते नज़र आए थे.
नई दिल्लीः केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने शुक्रवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से हिंदुत्व विचारक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व प्रमुख एमएस गोलवलकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें महान विचारक बताया.
मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि गोलवलकर एक महान विचारक, विद्वान और असाधारण नेता थे, जिनके विचार पीढ़ियों का मार्गदर्शन करेंगे.
Remembering a great thinker, scholar, and remarkable leader #MSGolwalkar on his birth anniversary. His thoughts will remain a source of inspiration & continue to guide generations. @prahladspatel @secycultureGOI @PMOIndia @PIBCulture @pspoffice pic.twitter.com/3keZ08vPfM
— Ministry of Culture (@MinOfCultureGoI) February 19, 2021
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख रहे गोलवलकर के विचारों को बड़े पैमाने पर लोकतंत्र के खिलाफ माना जाता है. इतना ही नहीं, खुद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक आउटरीच कार्यक्रम के दौरान उनके कुछ विचारों से दूरी बना ली थी.
2006 में आरएसएस ने खुद गोलवलकर की एक किताब को अस्वीकार किया था.
मंत्रालय के ट्वीट के बाद पूर्व संस्कृति सचिव जवाहर सरकार ने कहा है कि वे शर्मिंदा हैं कि गोलवकर की उसी मंत्रालय में झूठी प्रशंसा की जा रही है, जहां वे अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
As former Culture Secretary, I hang my head in shame to see RSS chief Golwalkar being falsely praised by @MinOfCultureGoI Golwalkar & RSS opposed Gandhi’s Freedom Struggle. In his ‘Bunch of Thoughts’, Golwalkar opposed India’s tricolour too. Sardar Patel jailed him, banned RSS. https://t.co/lHQRcEmaUp
— Jawhar Sircar (@jawharsircar) February 19, 2021
सरकार ने ट्वीट कर कहा, ‘पूर्व संस्कृति सचिव होने के नाते मेरा सिर यह देखकर शर्म से झुक गया है कि आरएसएस के पूर्व प्रमुख गोलवलकर की संस्कृति मंत्रालय द्वारा झूठी प्रशंसा की जा रही है. गोलवलकर और आरएसएस ने गांधी जी के स्वतंत्रता संग्राम का विरोध किया था. अपनी किताब बंच ऑफ थॉट्स में गोलवलकर ने भारत के तिरंगे का भी विरोध किया था. सरदार पटेल ने उन्हें जेल भेजा था और आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था. ‘
वीडी सावरकर के साथ गोलवलकर को महात्मा गांधी की हत्या के लिए गिरफ्तार किया गया था. दोनों को केवल इसलिए रिहा किया गया क्योकि कुछ गवाह जिन्होंने उनके खिलाफ गवाही दी थी, वे अदालत में सुनवाई के दौरान गायब रहे थे.
अल्पसंख्यक
गोलवलकर के विचार भाजपा के मौजूदा एजेंडे के साथ बिल्कुल फिट बैठते हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि आखिर क्यों अचानक केंद्रीय मंत्रालय उनकी जयंती पर जश्न मना रहा है.
मंत्रालय ने ट्वीट के साथ जिस पोस्टर का इस्तेमाल किया है, उसमें गोलवलकर की एक तस्वीर है, जिसके बैकग्राउंड में आरएसएस के सदस्य खड़े हैं.
तथ्य यह है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत नागरिकता सूची से मुस्लिमों को जानबूझकर बाहर कर दिया, जो इस बात का सबूत है कि भाजपा ने गोलवलकर की राजनीति को अपनाया है.
गोलवलकर, जिन्ना की तरह इस परिकल्पना के दृढ़ विश्वासी थे कि मुस्लिम और हिंदू एक साथ नहीं रह सकते. वह अलग हिंदू राष्ट्र के भी हिमायती थे.
गोलवलकर ने अपनी किताब ‘वी, और अवर नेशनहुड डिफाइंड’ स्पष्ट रूप से कहा है कि अल्पसंख्यकों के पास दोयम दर्जे के नागरिक के रूप में तब तक कोई अधिकार नहीं होने चाहिए जब तक कि वे हिंदुओं की संस्कृति को स्वीकार नहीं करते. उन्होंने अपनी किताब ‘बंच ऑफ थॉट्स’ में कहा है कि राष्ट्रवाद के तीन दुश्मन हैं, मुस्लिम, ईसाई और कम्युनिस्ट.
अन्य शब्दों में, गोलवलकर ने एक ऐसे विशेष राष्ट्रवाद का प्रचार करने का आह्वान किया है, जिसमें इन तीनों समूहों के साथ किसी भी रूप से कोई गठबंधन या गुंजाइश का स्थान नहीं था.
गोलवलकर को जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर का समर्थक माना जाता था और उन्होंने अपनी किताब ‘बंच ऑफ थॉट्स’ में कहा था कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ उसी तरह का व्यवहार होना चाहिए, जैसा हिटलर यहूदियों के साथ करता था.
‘वी, और अवर नेशनहुड डिफाइंड’ में गोलवलकर कहते हैं,
राष्ट्र और उसकी संस्कृति की पवित्रता को बनाए रखने के लिए जर्मनी ने यहूदियों का सफाया कर दुनिया को चौंका दिया था. यहां राष्ट्रीय गौरव अपने चरम पर था. जर्मनी ने यह भी दिखाया कि विभिन्न वर्गों और संस्कृतियों के बीच मतभेत होने के बावजूद किस तरह एकजुट होकर पूर्ण राष्ट्र बना जा सकता है. यह हिंदुस्तान में हमारे लिए सीखने और इससे लाभ उठाने का अच्छा सबक है.
‘बंच ऑफ थॉट्स’ में गोलवलकर जाति व्यवस्था को सही ठहराया है. वही, मनुस्मृति में वर्णाश्रम धर्म के नियमों का उल्लेख किया गया है. मनुस्मृति में उन्हीं कर्तव्यों को परिभाषित किया गया है, जिनका उल्लेख गोलवलकर द्वारा भी किया गया है.
लोकतंत्र
गोलवलकर पर किताब लिख चुके पॉलिटिकल साइंटिस्ट ज्योतिर्मय शर्मा ने 2017 में द वायर के साथ बातचीत में कहा था कि गोलवलकर का विजन भयावह था क्योंकि इसका आधुनिक लोकतांत्रिक राजनीति में कोई स्थान नहीं है.
शर्मा ने कहा था, ‘यह इसलिए भी भयावह है क्योंकि इसमें समझौता, बातचीत और असहमति के लिए कोई स्थान नहीं है.’
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने द टेलीग्राफ में गोलवलकर के बारे में लिखते हुए उन्हें लोकतंत्र को खारिज करने वाला बताया था.
गुहा ने कहा, ‘लंबे समय तक आरएसएस के प्रमुख रहे गोलवलकर ने इस आधार पर लोकतंत्र को खारिज कर दिया था कि वह लोगों को बहुत अधिक स्वतंत्रता देता है.’
उन्होंने इसे विस्तार से बताते हुए कहा, ‘नरेंद्र मोदी यह शपथ ले सकते हैं कि भारतीय संविधान उनकी एकमात्र पवित्र पुस्तक है लेकिन उनके गुरुजी गोलवलकर का विश्वास था कि यह दस्तावेज दोषपूर्ण है और इसे खारिज या कम से कम दोबारा तैयार किया जाना चाहिए. गोलवलकर ने अपनी पुस्तक बंच ऑफ थॉट्स में कहा है कि हमारे मौजूदा संविधान को तैयार करने वाले भी हमारे एकल सजातीय राष्ट्रवाद में दृढ़ विश्वास नहीं रखते थे. वह नाराज थे कि भारत को संघ के रूप में गठित किया गया. उनके विचार में संघीय संरचना राष्ट्रीय विघटन और हार के बीज बोएगा.’
गुहा ने लिखा, ‘गोलवलकर चाहते थे कि केंद्र सर्वशक्तिमान हो. वह चाहते थे कि संविधान को दोबारा जांचा जाए और इसका मसौदा दोबारा तैयार किया जाए ताकि एकरूपक सरकार का गठन किया जा सके.’
हालांकि, संस्कृति मंत्रालय के इस ट्वीट के बाद विपक्षी दलों के नेताओं और नागरिक संगठनों ने केंद्र सरकार के इस कदम पर सवाल खड़े किए.
Lest anyone be inclined to take the Ministry of Culture seriously & really believe this gent was a great thinker& scholar, re-posting this extract from #WhyIAmAHindu that cites some of his views: https://t.co/7T93UcRCIh. GOI hails a man who disrespected India’s flag&Constitution! https://t.co/tpLN7iU9WD
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) February 19, 2021
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इसका विरोध कर ट्वीट कर कहा, ‘शायद ही कोई संस्कृति मंत्रालय को गंभीरता से लेने के पक्ष में हो और इस बात को माने कि यह व्यक्ति महान विचारक और विद्वान था. ‘व्हाई आई एम ए हिंदू’ के कुछ अंश को दोबारा पोस्ट करते हुए, जिनमें उनके कुछ विचारों की झलक है. भारत सरकार ऐसे व्यक्ति की सराहना कर रही है जिसने भारतीय ध्वज और संविधान के प्रति असम्मान दिखाया था.’
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने भी मंत्रालय के इस कदम की आलोचना की.
इस पर संस्कृति मंत्रालय के मीडिया सलाहकार नितिन त्रिपाठी ने कहा कि भारत विविधताओं वाला देश है और मंत्रालय सभी की परंपराओं, रस्मों और मूल्यों का आदर करता है.
अभिनेत्री स्वरा भास्कर और ऋचा चड्ढा ने भी ट्वीट कर संस्कृति मंत्रालय के इस कदम की आलोचना की.
Great thinker के great thoughts!
“To keep up the purity of the nation and its culture, Germany shocked the world by her purging the country of Semitic races – the Jews. National pride at its highest has been manifested here."
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Happy birthday O’ sick evil man! https://t.co/gboKa8fFo0— Swara Bhasker (@ReallySwara) February 19, 2021
स्वरा भास्कर ने गोलवलकर की किताब के एक अंश के साथ ट्वीट करते हुए कहा, ‘महान विचारक के महान विचार.’
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)