पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, यह एक अफ़सोसनाक मुद्दा है

पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दामों को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह तेल विपणन कंपनियों को तय करना है कि वे कीमतों में कटौती कर सकते हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि तकनीकी रूप से तेल की कीमतों को मुक्त कर दिया गया है और सरकार का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है.

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The Union Minister for Finance and Corporate Affairs, Smt. Nirmala Sitharaman chairing the Pre-Budget consultations with the experts of water and sanitation sectors, through video conferencing, in New Delhi on December 18, 2020.

पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दामों को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह तेल विपणन कंपनियों को तय करना है कि वे कीमतों में कटौती कर सकते हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि तकनीकी रूप से तेल की कीमतों को मुक्त कर दिया गया है और सरकार का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फोटो साभार: पीटीआई)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फोटो साभार: पीटीआई)

चेन्नई: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डीजल, पेट्रोल के भाव नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के खिलाफ उठ रही आवाजों के बीच शनिवार को कहा कि खुदरा कीमतों को तार्किक स्तर पर लाने के लिए केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण ने शनिवार को पेट्रोल के बढ़ते दामों को लेकर कहा कि यह एक अफसोसनाक मुद्दा है और मूल्य निर्धारण में बहुत पहलूओं के शामिल होने की बात कहते हुए इसे महा भयंकर धर्म संकट करार दिया.

वित्त मंत्री ने कहा कि यह तेल विपणन कंपनियों को तय करना है कि वे कीमतों में कटौती कर सकते हैं या नहीं. उन्होंने कहा, ‘तकनीकी रूप से तेल की कीमतों को मुक्त कर दिया गया है और सरकार का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है.’

भारत में पेट्रोल की खुदरा कीमत में करीब 60 प्रतिशत हिस्सा केंद्रीय व राज्यों के करों का है. पिछले कुछ दिनों में पेट्रोल की खुदरा कीमतें राजस्थान और मध्य प्रदेश में कुछ स्थानों पर 100 रुपये प्रति लीटर के ऊपर पहुंच चुकी हैं.

Source: Indian Oil Corporation data.
Source: Indian Oil Corporation data.

रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन ऑयल के अनुसार, 16 फरवरी को पेट्रोल का खुदरा मूल्य 89.29 रुपये प्रति लीटर था, जिसमें 53.51 रुपये वैट और उत्पाद शुल्क था.

इसी तरह डीजल की खुदरा कीमतों में करीब 56 प्रतिशत हिस्सा केंद्रीय व राज्यों के करों का है.

इंडियन ऑयल के अनुसार, 16 फरवरी को डीजल का खुदरा मूल्य 79.70 रुपये प्रति लीटर था, जिसमें 43.48 रुपये वैट और उत्पाद शुल्क था.

Source: Indian Oil Corporation data.
Source: Indian Oil Corporation data.

वित्त मंत्री सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल का भाव पिछले साल रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ जाने का लाभ उठाने के उद्देश्य से पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में रिकॉर्ड वृद्धि की थी.

हालांकि, अब जब देश में ईंधन की खुदरा कीमतें आसमान छू रही हैं, वह केंद्रीय उत्पाद शुल्क कम करने के बारे में कुछ नहीं कह रही हैं.

वित्त मंत्री ने चेन्नई सिटीजन्स फोरम के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसका (ईंधन का) मूल्य कम करने के अलावा और कोई जवाब नहीं है और यही (जवाब) किसी को भी संतुष्ट करेगा. मुझे पता है कि मैं एक ऐसे विषय पर बोल रही हूं, जिसके बारे में मैं कुछ भी कहूं, वास्तविकता बताने की कोई भी कोशिश कर लूं, ऐसा लगेगा कि मैं जवाब देने से बच रही हूं या फिर दूसरों पर दोष मढ़ रही हूं.’

वित्त मंत्री ने कर संरचना को स्पष्ट करने का प्रयास किया और बताया कि ओपेक व सहयोगी देशों के द्वारा उत्पादन में कटौती करने से कैसे कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें काफी बढ़ गईं, जिसके कारण देश में ईंधन की खुदरा कीमतें भी बढ़ गईं.

इस सवाल पर कि क्या पेट्रोल और डीजल की कीमतें जीएसटी के तहत लाई जा सकती हैं, उन्होंने कहा कि यह निर्णय जीएसटी परिषद में चर्चा और राज्यों के बीच परामर्श के माध्यम से कोई निर्णय लिया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि इसका उत्तर पेट्रोल और डीजल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाना हो सकता है, जो करों के ऊपर कर के असर को समाप्त करेगा और एकरूपता लाएगा.

अभी केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क की एक निश्चित दर वसूलती है, जबकि राज्य अलग-अलग दरों पर वैट शुल्क लगाते हैं.

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में उछाल आने के बाद घरेलू बाजार में भी कीमतों पर असर पड़ा है. गौरतलब है कि भारत अपनी तेल संबंधी 85 प्रतिशत जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है.

अमेरिका में ऊर्जा संकट के चलते इस सप्ताह ब्रेंट तेल की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गई थी.

पिछले 12 दिनों से लगातार बढ़ रहे दाम

पिछले 12 दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार 12 दिनों से लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, शनिवार को पेट्रोल की कीमत में रिकॉर्ड 39 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 37 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई. यह तेल कंपनियों द्वारा 2017 में कीमतों की दैनिक समीक्षा शुरू किए जाने के बाद एक दिन में सबसे बड़ी बढ़ोतरी है.

इस तरह से पिछले 12 दिनों में पेट्रोल की खुदरा कीमतों में 3.63 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है, जबकि डीजल 3.84 रुपये महंगा हुआ.

इसके साथ ही पेट्रोल की कीमत ने शनिवार को मुंबई में 97 रुपये प्रति लीटर के उच्च स्तर को छू लिया, जबकि डीजल के दाम 88 रुपये के स्तर को पार कर गए.

इसके साथ ही दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 90.58 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 97 रुपये हो गई. डीजल अब राष्ट्रीय राजधानी में 80.97 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 88.06 रुपये में मिल रहा है.

वहीं, पेट्रोल की कीमत पहले ही राजस्थान और मध्य प्रदेश में कुछ स्थानों पर 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक हो गई है. खुदरा पंप पर कीमतें स्थानीय करों (वैट) और माल भाड़े के आधार पर अलग-अलग होती हैं.

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि और उनके 100 रुपये से ऊपर तक पहुंचने पर विपक्षी पार्टियां, संगठन और आम लोग सरकार से कर दरों में कटौती की मांग करते हुए विरोध कर रहे हैं.

कांग्रेस पार्टी और उसकी युवा इकाई ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को लेकर शनिवार को देश में कई स्थानों पर जुलूस निकाला और विरोध प्रदर्शन किया.

इसके साथ ही बसपा प्रमुख मायावती, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, शिरोमणि अकाली दल, माकपा और पिछले तीन महीने से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने भी कीमतों की कटौती की मांग की है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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