वित्त पर संसदीय समिति प्रमुख जयंत सिन्हा का फीस के बदले कंपनी को सलाह देने, फंड जुटाने का ऑफ़र

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा सांसद और वित्त मामलों की प्रभावशाली स्थायी संसदीय समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा ने अस्पष्ट मासिक फीस पर एक एंटरटेनमेंट कंपनी बी4यू से जुड़े टाइगर मीडिया को अपनी सेवाएं देने का ऑफ़र दिया है. कंपनी के लिए उन्होंने सही शर्तों पर पर्याप्त वित्तपोषण जुटाने का भी ऑफ़र दिया है.

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केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा. (फोटो: पीटीआई)

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा सांसद और वित्त मामलों की प्रभावशाली स्थायी संसदीय समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा ने अस्पष्ट मासिक फीस पर एक एंटरटेनमेंट कंपनी बी4यू से जुड़े टाइगर मीडिया को अपनी सेवाएं देने का ऑफ़र दिया है. कंपनी के लिए उन्होंने सही शर्तों पर पर्याप्त वित्तपोषण जुटाने का भी ऑफ़र दिया है.

केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा. (फोटो: पीटीआई)
केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भाजपा सांसद और वित्त मामलों की प्रभावशाली स्थायी संसदीय समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा ने अस्पष्ट मासिक फीस पर एक एंटरटेनमेंट कंपनी को अपनी सेवाएं देने का ऑफर दिया है. कंपनी के लिए उन्होंने सही शर्तों पर पर्याप्त वित्तपोषण जुटाने का भी ऑफर दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इससे सिन्हा पर औचित्य और हितों के टकराव को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

रिकॉर्ड्स के अनुसार, एनआरआई निवेशक अमरिंदर सिंह साहनी के साथ बैठक (जिसमें उन्होंने कथित तौर पर प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा की) के बाद बीते 12 फरवरी को सिन्हा ने बी4यू नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) इशान सक्सेना को बी4यू से जुड़ी एक कंपनी टाइगर मीडिया के संबंध में लिखा है.

सिन्हा ने लिखा, ‘मैं इस प्रोजेक्ट के लिए महत्वपूर्ण समय समर्पित करूंगा. मेरा लक्ष्य टाइगर मीडिया को वैश्विक मनोरंजन उद्योग में सही मायनों में एक चैंपियन बनने में सहायता करना है. इस परियोजना के लिए मेरा मूल्य XX लाख रुपये प्रति माह और साथ में जीएसटी होगा. मैं आपको हर महीने के अंत में बिल भेजूंगा.’

उन्होंने सक्सेना को बताया कि वह 1 मार्च से काम शुरू कर सकते हैं.

सिन्हा ने लिखा, ‘संबंध का प्रमुख उद्देश्य टाइगर मीडिया के लिए एक रणनीतिक योजना स्थापित करना है जो कि वैश्विक मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र को रोकने वाले विघटनकारी रुझानों का लाभ उठा सके और वित्तपोषण सुनिश्चित कर सके.’

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल के अंत में नागरिक विमानन राज्यमंत्री बनाए जाने से पहले सिन्हा नवंबर, 2014 से जुलाई, 2016 तक वित्त राज्यमंत्री थे.

सितंबर, 2019 से सिन्हा वित्त मामलों की स्थायी संसदीय समिति की अध्यक्षता कर रहे हैं. इसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं.

इस समिति का काम नीति आयोग के अलावा वित्त, कॉरपोरेट मामलों, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन के मंत्रालयों की नीतियों और निर्णय लेने पर विधायी निगरानी रखना है.

यह संबंधित मंत्रालयों द्वारा पेश किए गए विधेयकों की जांच करता है और चेयरपर्सन के रूप में सिन्हा के पास निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों और विभिन्न क्षेत्रों के रेगुलेटर्स को अभिसाक्ष्य (बयान दर्ज करने) के लिए बुलाने का अधिकार है.

ऐसे कार्य का औचित्य पूछे जाने पर सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘संसद सदस्य नियमित रूप से अपने पेशों को जारी रखते हैं. मेरा पेशा एक मैनेजमेंट कंसलटेंट का है, जो भाषणों और एडवाइजरी असाइनमेंट के माध्यम से रणनीतिक इनपुट प्रदान करता है. किसी भी टकराव से बचने के लिए मैं केवल भारत के बाहर रणनीतिक मुद्दों से निपटने वाला सलाहकार कार्य स्वीकार करता हूं. मैं वित्तीय क्षेत्र में किसी भी फर्म के लिए कोई काम नहीं करता हूं. मैं किसी भी प्रकार के वित्तीय लेनदेन पर केंद्रित कोई भी कार्य नहीं करता हूं.’

हालांकि, सक्सेना को लिखे अपने पत्र में वह कहते हैं कि वह टाइगर मीडिया को सही शर्तों पर पर्याप्त वित्तपोषण जुटाने में मदद करेंगे.

सिन्हा ने आगे कहा, ‘मैं अरमिंदर सिंह साहनी को 25 से अधिक वर्षों से जानता हूं. हमने टाइगर मीडिया को उसकी वैश्विक रणनीति पर इनपुट प्रदान करने पर प्रारंभिक चर्चा शुरू की थी. किसी भी समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया गया है और अब तक कोई काम नहीं किया गया है.’

उन्होंने कहा, ‘मेरे सभी पेशेवर काम पूरी तरह से उपयुक्त कर और नियामक अधिकारियों को बताए जाते हैं. (हालांकि) जैसा कि मानक पेशेवर अभ्यास है, ग्राहक के मामले गोपनीय रखे जाते हैं.’

सक्सेना की तरफ से जवाब देते हुए टाइगर मीडिया के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘टाइगर मीडिया एक अंतर्राष्ट्रीय समूह है, जो विभिन्न न्यायालयों के कानूनी दायरे में आता है. अरमिंदर सिंह साहनी टाइगर मीडिया या हमारे किसी समूह में निवेशक नहीं हैं. हमारे समूह और उसके बीच कोई अन्य संबंध नहीं है. नैतिक और कानूनी कारणों से हमारा समूह दुनिया में कहीं भी किसी भी सेवा की मांग के लिए किसी भी राजनीतिक रूप से संबद्ध व्यक्ति को शामिल नहीं करता है. इसलिए, किसी भी तरह के जुड़ाव के लिए किसी भी राजनीतिक रूप से संबद्ध व्यक्ति से संपर्क करने का कोई सवाल ही नहीं है.’

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी के रिकॉर्ड में साहनी के दिल्ली, लंदन और बैंकॉक में पते दिखाए गए हैं.

साल 2015 में स्विस बैंक खातों वाले 100 भारतीयों की लीक सूची में 39.7 लाख डॉलर की जमा राशि के साथ वह 31वें स्थान पर थे. प्रतिक्रिया के लिए दिल्ली स्थित लेखा फर्म के माध्यम से साहनी तक नहीं पहुंचा जा सका.

1999 में ब्रिटेन में और 2003 में भारत में लॉन्च किया गया बी4यू दुनियाभर में बॉलीवुड और भारतीय मनोरंजन के क्षेत्र में अग्रणी एशियाई नेटवर्क होने का दावा करता है. तब से ब्रांड ने टीवी, सिनेमा, प्रेस, नए मीडिया और डिजिटल सहित कई प्लेटफार्मों तक अपनी पहुंच बढ़ाई है. आज बी4यू के 100 से अधिक देशों में दो करोड़ से अधिक दर्शक मौजूद हैं.