राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन के अध्यक्ष वीएम सिंह ने कहा कि देश में ज़्यादातर किसान लघु या सीमांत हैं. वे दिल्ली जाकर प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकते हैं. ऐसे में वे अपने गांवों में रहकर खेतों और मवेशियों की देखभाल करते हुए प्रदर्शन में शामिल हो सकते हैं.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वीएम सिंह ने मंगलवार को कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग पूरी होने तक उत्तर प्रदेश के प्रत्येक गांव के पांच किसान रोज आठ घंटे का उपवास करेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संदेश भेजेंगे.
गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा के बाद संगठन ने किसान आंदोलन से अपना समर्थन वापस ले लिया था. बाद में रविवार को इसने 21 अन्य किसान संगठनों के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश किसान मजदूर मोर्चा का गठन किया.
एक संवाददाता सम्मेलन में सिंह ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश के प्रत्येक गांव से पांच किसान सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक रोज उपवास रखेंगे. दोपहर तीन बजे किसान दो मिनट का वीडियो संदेश रिकॉर्ड करेंगे, जिसमें वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना परिचय देंगे और केंद्र के नए कृषि कानूनों के प्रति अपनी चिंताएं साझा करेंगे. यह संदेश हमारी वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा.’
उन्होंने कहा, ‘जब तक सभी गांव के सभी किसानों का उनकी गेहूं की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फैसला नहीं हो जाता, यह जारी रहेगा.’
सिंह ने कहा कि देश में ज्यादातर किसान लघु या सीमांत हैं और वे दिल्ली जाकर प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकते हैं, ऐसे में वे अपने गांवों में रहकर खेतों और मवेशियों की देखभाल करते हुए प्रदर्शन में शामिल हो सकते हैं.
किसान नेता ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में 65,000 पंचायत हैं और अगर उनमें से 20,000 गांव भी आंदोलन का हिस्सा बनेंगे तो प्रधानमंत्री के पास रोजाना एक लाख संदेश पहुंचेंगे.
उन्होंने कहा, ‘एक महीने में इनकी संख्या 3,000,000 तक पहुंच जाएगी. वह भी ऐसे में जबकि हम सिर्फ 20,000 गांवों के बारे में बात कर रहे हैं. सोच कर देखें अगर 50,000 गांव हमारे साथ आ गए तो क्या होगा. क्या प्रधानमंत्री मोदी फिर भी कहेंगे कि इन गांवों से आ रहे संदेश किसानों के नहीं हैं.’
मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020- के विरोध में पिछले करीब तीन महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
इसे लेकर सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है.
किसान तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिए जाने की अपनी मांग पर पहले की तरह डटे हुए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)