75 वर्षीय किसान जोरावर सिंह पंजाब में पिछले साल एक अक्टूबर से शुरू हुए रेल रोको अभियान के बाद से ही किसान आंदोलन से जुड़े हुए थे. नवंबर से वह दिल्ली आ गए थे. जोरावर भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के सदस्य थे और प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के लिए लोगों को इकट्ठा करते थे.
लुधियानाः पंजाब के लुधियाना जिले में स्थित खन्ना शहर के इकोलाहा गांव के 75 साल के किसान जोरावर सिंह 26 जनवरी को किसानों द्वारा निकाले गए ट्रैक्टर परेड के बाद से लापता हैं. वह पंजाब में पिछले साल एक अक्टूबर से शुरू हुए रेल रोको अभियान के बाद से ही किसान आंदोलन से जुड़े हुए थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जोरावर 26 जनवरी तक अपनी बेटी से नियमित संपर्क में थे, लेकिन इसके बाद से उनसे कोई संपर्क नहीं है.
उनकी बेटी परमजीत कौर उनकी तलाश में दिल्ली के सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर 5,000 पोस्टर लगा चुकी हैं. उनकी बेटी का कहना है, ‘वह 26 नवंबर को सिंघू बॉर्डर गए थे, लेकिन उसके बाद कभी वापस नहीं लौटे.’
परमजीत कौर का कहना है कि जोरावर भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के सदस्य थे और आमतौर पर लोक वाद्ययंत्र तुंबी बजाते थे और प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के लिए लोगों को इकट्ठा करते थे.
उनका कहना है, ‘जब अक्टूबर में पंजाब में रेल रोको आंदोलन चल रहा था, तब वे रेल पटरियों पर सोते थे. वह खन्ना रेल लाइन से फतेहगढ़ साहिब और बाद में सिंघू बॉर्डर गए थे. मैं उन्हें यह बताने के लिए नियमित तौर पर धरने पर जाती थी कि वे घर लौट जाएं.’
Don't take it easy. Like 1984 many people missing since 26 January after tractor rally. so help in finding them. 75 years old Zorawar singh is also one of them.#findzorawarsingh pic.twitter.com/2qiSqS5dhe
— Dalbir singh (@Dalbirs95781357) February 14, 2021
परमजीत के मुताबिक, ‘26 नवंबर को वह अन्य किसानों के साथ दिल्ली गए थे. उन्होंने मोबाइल का कभी इस्तेमाल नहीं किया था, इसलिए पड़ोस के गांवों के किसानों के जरिये मुझे उनके बारे में पता चलता था. जब से वह सिंघू बॉर्डर गए थे, वह कभी नहीं लौटे, जबकि कई ग्रामीणों ने उन्हें कुछ दिन के लिए घर जाने और फिर दोबारा आने को कहा था.’
परमजीत ने कहा, ‘22 जनवरी को मैं उनसे मिलने के लिए खुद सिंघू बॉर्डर गई थी. उन्होंने मुझे बताया था कि कृषि कानूनों के विरोध में यह जंग जीतने के बाद वह वापस आ जाएंगे. उन्होंने मुझे बताया कि उनकी तबियत ठीक है और मुझे उनके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है.’
परमजीत ने कहा कि गणतंत्र दिवस के बाद किसी भी ग्रामीण ने उन्हें न तो किसी मोर्चे में देखा और न ही उनके बारे में सुना. उन्होंने कहा कि उनका नाम हिंसा के बाद गिरफ्तार किए गए लोगों की सूची में भी नहीं है.
परमजीत ने कहा, ‘हमें उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही. मैं बहुत परेशान हूं.’
परमजीत का पांच साल का बेटा है, जो वैवाहिक विवाद की वजह से अपने पिता के साथ रह रहा है. पिछले साल परमजीत की मां गुरमीत कौर की मौत हो गई थी. उनके बड़े भाई भी उसी गांव में रहते हैं और उनकी छोटी बहन की शादी हो चुकी है.
https://twitter.com/PunYaab/status/1358671835223576577
परमजीत ने एक वीडियो भी रिकॉर्ड किया है, जिसमें उनके पिता की तस्वीर के साथ उनका विवरण दिया गया है और लोगों से उनके पिता के बारे में किसी भी तरह की जानकारी होने की सूचना देने को कहा गया है.
बीकेयू (राजेवाल) नेता ओंकार सिंह ने कहा, ‘परमजीत ने हमसे संपर्क किया था. हम भी लोगों से उनके बारे में सूचना देने को कह रहे हैं और हम उनकी (परमजीत) हरसंभव मदद करेंगे. पहले से ही हमारे वकीलों की टीम लोगों की मदद के लिए यहां हैं.’
सिंघू मोर्चा के पास के कुछ ग्रामीणों के मुताबिक, परमजीत को सिर्फ इतना पता है कि उनके पिता उस रास्ते से गए थे, जहां बाद में लाठीचार्ज किया गया था.
परमजीत ने कहा, ‘एक ग्रामीण ने मुझे बताया कि कई लोग पैदल जा रहे थे, उन्हें कुछ नहीं पता था कि वे कहां जा रहे हैं और उस समूह में मेरे पिता भी थे, उसके बाद किसी ने उन्हें नहीं देखा.’
पंजाब इकाई के कुल हिंद किसान फेडरेशन के अध्यक्ष प्रेम सिंह भंगू ने कहा, ‘अगर कोई लापता है तो उनके परिवार को हमसे संपर्क करना चाहिए और अगर कोई घर पहुंच गया है तो परिवार को इसके बारे में भी हमें सूचित करना चाहिए. संयुक्त किसान मोर्चा हर किसान की मदद कर रहा है और हम एक-एक कर किसानों की जमानत के लिए आवेदन करेंगे.’