बीते 21 फरवरी को विधायकों के लगातार इस्तीफ़ा देने के चलते 33 सदस्यीय पुदुचेरी विधानसभा में सत्ताधारी कांग्रेस-डीएमके गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 11 हो गई थी, जबकि विपक्षी दलों के 14 विधायक थे. इसके बाद विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान से पहले मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने इस्तीफ़ा दे दिया था और केंद्र शासित प्रदेश की कांग्रेस नीत सरकार गिर गई थी.
नई दिल्ली/पुदुचेरी: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पुदुचेरी में राष्ट्रपति शासन लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इसी सप्ताह विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान से पहले मुख्यमंत्री नारायणसामी ने इस्तीफा दे दिया था और केंद्र शासित प्रदेश की कांग्रेस नीत सरकार गिर गई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.
बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं को बताया कि पुदुचेरी में सत्तारूढ़ दल के कुछ विधायकों के पार्टी से अलग होने के बाद नारायणसामी नीत सरकार ने इस्तीफा दे दिया था.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने के बाद किसी ने भी सरकार गठन का दावा पेश नहीं किया. इसके बाद उपराज्यपाल ने पुदुचेरी में विधानसभा भंग करने की सिफारिश की.
जावड़ेकर ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इसके बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद विधानसभा भंग हो जाएगी.
उन्होंने बताया कि पुदुचेरी में विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा आने वाले दिनों में होने की उम्मीद है और इसके बाद आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी.
उन्होंने यह भी कहा कि पुदुचेरी में प्रशासनिक कामकाज के संबंध में जरूरी कदम जल्द उठाये जाएंगे.
गौरतलब है कि पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने सोमवार को विश्वासमत पेश किए जाने के बाद मत विभाजन से पूर्व उपराज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन को अपने इस्तीफा सौंप दिए थे.
विधानसभा में पेश किए गए विश्वासमत प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया था. इसके बाद मुख्यमंत्री राजनिवास पहुंचे और उपराज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
21 फरवरी को दो और विधायकों के इस्तीफे के बाद पिछले कुछ दिन में सत्ता पक्ष से इस्तीफा देने वालों की संख्या तीन हो गई थी. वहीं पूरे एक महीने में कांग्रेस-द्रमुक सत्ता पक्ष से कुल छह लोगों ने इस्तीफा दिया है.
कांग्रेस के विधायक के. लक्ष्मीनारायणन और डीएमके के विधायक वेंकटेशन के 21 फरवरी को इस्तीफा देने के बाद 33 सदस्यीय विधानसभा में सत्ताधारी कांग्रेस-डीएमके गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 11 हो गई है, जबकि विपक्षी दलों के 14 विधायक हैं.
पूर्व मंत्री ए. नमसिवायम (अब भाजपा में) और मल्लाडी कृष्ण राव समेत कांग्रेस के चार विधायकों ने इससे पहले इस्तीफा दिया था, जबकि पार्टी के एक अन्य विधायक को अयोग्य ठहराया गया था. नारायणसामी के करीबी ए. जॉन कुमार ने भी इस सप्ताह इस्तीफा दे दिया था.
फिलहाल सदन में सदस्य संख्या के हिसाब से पार्टियों की स्थिति कुछ इस प्रकार है. कांग्रेस (विधानसभा अध्यक्ष सहित नौ), द्रमुक (दो), ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस (सात), अन्नाद्रमुक (चार) भाजपा (तीन, सभी मनोनीत सदस्य, मताधिकार के साथ) और एक निर्दलीय (जो सरकार के साथ थे). सदन में सात सीटें खाली हैं.
भाजपा के सत्ता में आने पर पुदुचेरी का तमिलनाडु में विलय कर दिया जाएगा: पूर्व मुख्यमंत्री
वहीं, पुदुचेरी के पूर्व मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने बुधवार को कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को भाजपा, एआईएनआरसी और अन्नाद्रमुक गठबंधन को समर्थन नहीं देना चाहिए, क्योंकि इन दलों को संघ शासित प्रदेश का तमिलनाडु में विलय करने में कोई हिचक नहीं होगी.
नारायणसामी ने यहां एक सभा में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘भाजपा ने एआईएनआरसी और अन्नाद्रमुक के साथ मिलकर मेरी सरकार को अलोकतांत्रिक और अनैतिक तरीके से साजिश कर के गिराया.’
उन्होंने कहा, ‘जून 2016 में मेरी सरकार बनने के पहले ही केंद्र सरकार ने मई में पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को पुदुचेरी का उपराज्यपाल बना दिया था.’
उन्होंने कहा, ‘इससे यह स्पष्ट रूप से सिद्ध होता है कि राजग ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की साजिश रची थी.’
उन्होंने दावा किया कि आगामी चुनाव में भाजपा नीत गठबंधन को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ेगा और उसके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो जाएगी.
नारायणसामी ने कहा, ‘यदि किसी प्रकार भाजपा नीत गठबंधन सत्ता में आ गया तो संघ शासित प्रदेश के रूप में पुडुचेरी की अलग पहचान समाप्त हो जाएगी और तमिलनाडु के साथ इसका विलय कर दिया जाएगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)