संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति को पत्र लिख गिरफ़्तार किसानों की बिना शर्त रिहाई की मांग की

केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर 26 जनवरी को किसान संगठनों द्वारा आयोजित ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे. इसके बाद सैकड़ों लोगों को गिरफ़्तार किया गया था.

/
किसान आंदोलन. (फाइल फोटो: पीटीआई)

केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर 26 जनवरी को किसान संगठनों द्वारा आयोजित ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे. इसके बाद सैकड़ों लोगों को गिरफ़्तार किया गया था.

द (फोटो: पीटीआई)
द (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के संबंध में गिरफ्तार किए गए किसानों की बिना शर्त रिहाई और उनके खिलाफ दर्ज झूठे मामलों को वापस लेने की मांग की है.

एसकेएम ने चिट्ठी में यह भी कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को कथित रूप से पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों द्वारा भेजे जा रहे नोटिसों के सिलसिले को भी रोका जाना चाहिए.

संयुक्त किसान मोर्चा में प्रदर्शन कर रहे किसानों के कई संघ शामिल हैं. एसकेएम ने कहा, ‘संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले, किसान पिछले तीन महीनों से दिल्ली के आसपास धरना दे रहे हैं, लेकिन भारत सरकार और कई राज्य सरकारों ने सैकड़ों किसानों और आंदोलन का समर्थन करने वालों को जेलों में डाल दिया है और उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए हैं.’

उसने पत्र में कहा, ‘बेगुनाह किसानों को जेलों से बिना किसी शर्त के रिहा किया जाए. प्रदर्शनकारी किसान संघों ने दमन प्रतिरोध दिवस के हिस्से के तौर पर राष्ट्रपति को पत्र लिखा है.’

इस बीच एसकेएम ने जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की जेल से रिहाई का स्वागत किया है.

दिल्ली पुलिस ने टूलकिट मामले में इस महीने के शुरू में उन्हें बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था. उन्हें दिल्ली की एक अदालत ने जमानत दे दी थी. मंगलवार की रात को रवि को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया.

किसान संगठन ने कहा, ‘एसकेएम न्यायाधीश द्वारा की गईं कई टिप्पणियों का स्वागत करता है.’

बयान में कहा गया है, ‘एसकेएम ने दिल्ली पुलिस के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की, जिसने कई नियमों को तोड़ते हुए और एक गैर-संवैधानिक तरीके से दिशा रवि को गिरफ्तार किया.’

दिल्ली के सिंघू, गाज़ीपुर और टीकरी बॉर्डर पर किसान पिछले साल नवंबर से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतन समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं.

केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर 26 जनवरी को किसान संगठनों द्वारा आयोजित ट्रैक्टर परेड के दौरान हजारों प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे.

कई प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर चलाते हुए लाल किले तक पहुंच गए थे और स्मारक में घुस गए. इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने लाल किले के ध्वज स्तंभ पर एक धार्मिक झंडा भी फहरा दिया था. 26 जनवरी को हिंसा के बाद सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

पंजाब के लुधियाना जिले में स्थित खन्ना शहर के इकोलाहा गांव के 75 साल के किसान जोरावर सिंह 26 जनवरी को किसानों द्वारा निकाले गए ट्रैक्टर परेड के बाद से लापता हैं. जोरावर 26 जनवरी तक अपनी बेटी से नियमित संपर्क में थे, लेकिन इसके बाद से उनसे कोई संपर्क नहीं है.

एक किसान नेता ने बताया था कि ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा और तोड़फोड़ के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए 122 लोगों में से 32 को जमानत मिल चुकी है.

किसानों के अधिकारों पर वैधानिक आयोग की स्थापना के लिए याचिका दाखिल

उच्चतम न्यायालय में बुधवार को एक याचिका दाखिल कर देश में कृषकों के मौलिक और कानूनी अधिकारों की रक्षा के संबंध में राजधानी में और राज्य स्तर पर किसानों के लिए वैधानिक आयोगों के गठन का अनुरोध किया गया है.

याचिका में केंद्र और सभी राज्यों को प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय किसान आयोग (एनसीएफ) की रिपोर्ट को लागू करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

अधिवक्ता शिव कुमार त्रिपाठी द्वारा दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि भारत का किसान और खेतिहर समुदाय ‘सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय से वंचित रहा है.’

अधिवक्ता कमल मोहन गुप्ता के जरिये दाखिल याचिका में कहा गया है, ‘किसान लगातार खुदकुशी कर रहे हैं.’

याचिका में कहा गया कि एनसीएफ द्वारा रिपोर्ट दाखिल किए हुए 15 साल हो चुके हैं लेकिन राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर स्थायी वैधानिक निकाय की स्थापना के लिए किसी भी सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए.

याचिका में कहा गया, ‘किसान लगातार नुकसान झेल रहे हैं और खुदकुशी कर रहे हैं. चूंकि किसानों की समस्या पर कोई गौर नहीं कर रहा, इसलिए वे धरना, रैली कर सड़कों पर आंदोलन करने को विवश हुए या जान देने को मजबूर हुए.’

याचिका में कहा गया, ‘किसानों के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर वैधानिक निकाय की स्थापना के लिए तुरंत कदम उठाए जाने की जरूरत है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)