वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस क़दम से ग्राहकों के लिए सुविधा बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा और ग्राहकों को मिलने वाली सेवाओं के मानकों में दक्षता बढ़ेगी. फिलहाल निजी क्षेत्र के कुछ बड़े बैंकों को ही सरकार से जुड़े कामकाज करने की अनुमति है.
नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने बीते बुधवार को निजी क्षेत्र के सभी बैंकों को कर संग्रह, पेंशन भुगतान और लघु बचत योजनाओं जैसे सरकार से जुड़े कामकाज में शामिल होने की अनुमति दे दी.
फिलहाल निजी क्षेत्र के कुछ बड़े बैंकों को ही सरकार से जुड़े कामकाज करने की अनुमति है.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इस कदम से ग्राहकों के लिए सुविधा बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा और ग्राहकों को मिलने वाली सेवाओं के मानकों में दक्षता बढ़ेगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्विटर पर लिखा है, ‘निजी बैंकों को सरकार से जुड़े कामकाज और योजनाओं को क्रियान्वित करने पर लगी रोक हटा ली गई है. अब सभी बैंक इसमें शामिल हो सकते हैं. निजी बैंक अब भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास, सरकार के सामाजिक क्षेत्र में उठाए गए कदमों और ग्राहकों की सुविधा बेहतर बनाने में समान रूप से भागीदार हो सकते हैं.’
निजी बैंक अब सरकारी बैंकों के साथ बनेंगे देश के विकास में बराबर के साथी। निजी बैंकों के ऊपर सरकारी व्यवसाय पर लगी रोक हटी। उपभोक्ताओं को मिलेगी बेहतर सेवाएँ व सुविधाएं। सरकार के सामाजिक और वित्तीय समावेश योजनाओं में निजी बैंक भी होंगे भागीदार। @FinMinIndia https://t.co/ITtxalwNbx
— NSitharamanOffice (@nsitharamanoffc) February 24, 2021
बयान के अनुसार, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाने और उसके उपयोग तथा नवप्रवर्तन के मामले में अगुवा रहने वाले निजी क्षेत्र के बैंक अब भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और सरकार के सामाजिक क्षेत्र में उठाए गए कदमों को लागू करने में समान रूप से भागीदार होंगे.
इसमें कहा गया है, ‘पाबंदी हटाए जाने के साथ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के अलावा निजी क्षेत्र के बैंकों को सरकारी कामकाज सौंपने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है. सरकार ने इस निर्णय के बारे में आरबीआई को सूचना दे दी है.’
सरकार पहले ही 2021-22 के बजट में आईडीबीआई के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा कर चुकी है.
सीतारमण ने इस महीने की शुरुआत में बजट 2021-22 पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) का निजीकरण करके विनिवेश के तहत 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की थी.
उन्होंने कहा था, ‘वर्ष 2021-22 में आईडीबीआई बैंक के अलावा हम दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करने का प्रस्ताव करते हैं.’
सरकार ने इससे पहले सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का एकीकरण किया था. इससे सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 पर आ गई, जो मार्च 2017 में 27 थी.
इसके तहत यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को पंजाब नेशनल बैंक के साथ मिला दिया गया, जिससे यह देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक बन गया.
इसके अलावा सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक के साथ मिलाया गया, इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक के साथ जोड़ा गया और आंध्रा बैंक तथा कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ एकीकरण कर दिया गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)