व्यापार संगठनों द्वारा जीएसटी की समीक्षा को लेकर बुलाए गए भारत बंद का मिला-जुला असर

खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की ओर से कहा गया कि एक मार्च से जीएसटी संबंधित मुद्दों को लेकर विभिन्न राज्यों में मुख्यमंत्रियों को लक्ष्य कर एक आक्रामक अभियान शुरू किया जाएगा. ट्रांसपोर्टरों ने भी इस बंद का समर्थन करते हुए पेट्रोल और डीज़ल के बढ़ते दामों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया.

/
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की ओर से कहा गया कि एक मार्च से जीएसटी संबंधित मुद्दों को लेकर विभिन्न राज्यों में मुख्यमंत्रियों को लक्ष्य कर एक आक्रामक अभियान शुरू किया जाएगा. ट्रांसपोर्टरों ने भी इस बंद का समर्थन करते हुए पेट्रोल और डीज़ल के बढ़ते दामों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया.

Kurali: A shop is locked during 'Bharat Bandh', a protest against the farm bills passed in Parliament recently, in Kurali, Friday, Sept. 25, 2020. (PTI Photo)(PTI25-09-2020_000040B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: ट्रेड यूनियनों की ओर से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की समीक्षा को लेकर शुक्रवार को बुलाए गए भारत बंद का मिला जुला असर देखने को मिला.

खुदरा कारोबारियों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जीएसटी तथा ई-वाणिज्य से संबंधित मुद्दों को लेकर सुबह छह बजे से शाम छह बजे के बीच भारत बंद का आह्वान किया था.

इस दौरान  दवा, दूध और सब्जी जैसी जरूरी सेवाओं की दुकानों का संचालन जारी रहा.

 

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में बंद का व्यापक असर देखने को मिला. यहां सड़कें जाम की गईं और दुकानें भी बंद रहीं. बंद का अधिकांश विपक्षी दलों और ट्रेड यूनियनों ने समर्थन किया था. महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में भी इसका असर देखने को मिला.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, भारत बंद के दौरान पश्चिम बंगाल, दिल्ली और असम व्यापारियों द्वारा जीएसटी के प्रावधानों और पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन किया गया.

शुक्रवार सुबह खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में दोपहर दो बजे के बाद बाजार बंद रहेंगे.

उन्होंने अन्य राज्यों में बंद को मिली प्रतिक्रिया साझा करते हुए कहा कि महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सभी प्रमुख बाजार बंद रहेंगे, जबकि दक्षिण भारत में इसका 70-80 प्रतिशत प्रभाव और पूर्वोत्तर राज्यों 80 प्रतिशत से अधिक प्रभाव रहने की उम्मीद है.

खंडेलवाल ने कहा कि कैट एक मार्च से जीएसटी संबंधित मुद्दों को लेकर विभिन्न राज्यों में मुख्यमंत्रियों को लक्ष्य कर एक आक्रामक अभियान शुरू करेगा.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, संगठन का दावा है कि जीएसटी प्रणाली जटिल, पीछे की ओर ले जाने वाली और बहुत ही कठिन है. रिपोर्ट के अनुसार, 40 हजार व्यापार संगठनों के आठ करोड़ से अधिक व्यापारी इस प्रदर्शन में अपने प्रतिष्ठानों को बंद कर शामिल हुए.

लाखों की संख्या में ट्रक भी सड़कों पर विरोध स्वरूप नहीं चले. ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की घोषणा एक दिन पहले ही कर दी थी. एसोसिएशन ने ई-वाणिज्य बिल की जगह ई-इनवॉयस लाने और पेट्रोल-डीजल के दामों को तुरंत कम करने की मांग रखी गई.

बॉम्बे गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (बीजीटीए) के सचिव सुरेश खोसला ने कहा, ‘बीजीटीए ने यातायात उद्योग से जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार के समक्ष अपनी मांग रखी है. इनमें जीएसटी के तहत अव्यवहारिक ई-वाणिज्य बिल और डीजल की अस्थिर मूल्य नीति का मुद्दा प्रमुख है. हमारे पदाधिकारी भी अपनी समस्याओं को बताने के लिए नियमित रूप से सरकारी अधिकारियों से मिलते रहे हैं; हालांकि अब तक कोई राहत प्रदान नहीं की गई है.’

बंद को लेकर व्यापारिक संगठनों में मतभेद

हालांकि कैट के आह्वान को कई स्थानों पर व्यापारियों का समर्थन नहीं मिला है. इंदौर में स्थानीय व्यापारी संगठनों के एक महासंघ ने कैट के आह्वान को समर्थन देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि कोविड-19 की पिछले एक साल से जारी मार के चलते पहले ही बड़ा घाटा झेल चुके कारोबारी अब अपने प्रतिष्ठान बंद रखना नहीं चाहते.

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के जिलाध्यक्ष मोहम्मद पीठावाला ने कहा, ‘मध्य प्रदेश के अन्य शहरों में हमारे बंद का असर देखा गया. लेकिन इंदौर में राजनीतिक कारणों या अन्य किसी दबाव के चलते व्यापारी संगठनों ने बंद को समर्थन नहीं दिया.’

इस बीच, कारोबारी संगठनों के महासंघ अहिल्या चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कहा, ‘हम जीएसटी प्रणाली की विसंगतियों को लेकर सरकार के सामने अपना विरोध लंबे समय से दर्ज करा रहे हैं, लेकिन हम इस मुद्दे पर फिलहाल किसी भी बंद का समर्थन नहीं करते.

उन्होंने आगे कहा, ‘व्यापारी पिछले एक साल से कोविड-19 की तगड़ी मार झेल रहे रहे हैं. वे अब किसी भी बंद में शामिल होकर अपना और नुकसान नहीं कराना चाहते.’

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव वीके बंसल ने कहा कि सूरत में बाजार बंद रहेंगे, लेकिन देश भर के हिसाब से देखें तो बंद का बाजार पर 10 प्रतिशत असर होगा.

भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के दिल्ली के महासचिव राकेश यादव ने कहा कि उन्होंने बंद का समर्थन नहीं किया है और दिल्ली में बाजार के खुले रहने की उम्मीद है.

जम्मू ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज आनंद ने कहा कि स्थानीय बाजार खुले रहेंगे, लेकिन व्यापारी प्रदर्शन करेंगे. उत्तर प्रदेश ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय पटवारी ने कहा कि राज्य में बंद का 50-60 प्रतिशत असर होगा.

ओडिशा में दुकानें बंद, सड़कों पर नहीं दिखे वाहन

कैट द्वारा शुक्रवार को 12 घंटे के देशव्यापी बंद के प्रति एकजुटता दिखाते हुए ओडिशा में कारोबारियों ने अपनी दुकानें बंद रखीं और सड़कों पर वाहन नहीं उतरे.

ओडिशा व्यवसायी महासंघ के नेता सुधाकर पांडा ने बताया कि दवा और दूध जैसी आवश्यक सेवाओं को बंद के दायरे से बाहर रखा गया है.

गृह विभाग के विशेष सचिव संतोष बाला ने जिलाधिकारियों को एक पत्र लिखकर सुनिश्चित करने को कहा है कि बंद के कारण आवश्यक सेवाएं प्रभावित नहीं होनी चाहिए.

पत्र में कहा गया, ‘आशंका है कि प्रदर्शनकारी वाहनों की आवाजाही, रेल यातायात को बाधित कर सकते हैं. कारोबारी प्रतिष्ठान भी बंद रहने और सरकारी कार्यालयों, बैंकों तथा शैक्षणिक संस्थानों के सामने अवरोधक रखे जाने की भी आशंका है.’

राज्य में करीब 20 लाख दुकानें और कारोबारी प्रतिष्ठा बंद रहे और दोपहर तक किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है.

महासंघ से जुड़े नेताओं ने कहा कि भुवनेश्वर, कटक, राउरकेला, संबलपुर, बालासोर और ब्रह्मपुर समेत कई स्थानों पर बंद का असर दिखा.

कारोबारियों ने बताया कि राज्य की राजधानी में यूनिट-एक और यूनिट दो, बापूजी नगर और कल्पना जैसे बडे बाजार सुबह से ही बंद हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)