मध्य प्रदेश में नगर निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस की ओर से यह फैसला किया गया है. इस फैसले का बचाव करते हुए पार्टी नेता कमलनाथ ने कहा कि अगर नरेंद्र मोदी हमारी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं तो वे शामिल हो सकते हैं. अगर कोई सुधार करना चाहता है, तो वे आ सकते हैं.
भोपाल/ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में कुछ साल पहले हिंदू महासभा के कार्यालय में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की अर्धप्रतिमा की स्थापना में कथित तौर पर शामिल रहे ग्वालियर नगर निगम के पार्षद बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस में शामिल कर लिया गया है.
लगभग छह साल पहले कांग्रेस छोड़ चुके चौरसिया बीते 24 फरवरी को मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ की मौजूदगी में दोबारा कांग्रेस में शामिल हुए हैं. चौरसिया की कांग्रेस में वापसी प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव से पहले हुई है.
आने वाले नगर निकाय चुनाव से पहले उठाए गए इस कदम को चौरसिया ने हृदय परिवर्तन बताया है. उन्होंने कहा, ‘मैं जन्मजात कांग्रेसी हूं. मैं अपने पहले परिवार में फिर से शामिल हो गया हूं.’
हालांकि बाबूलाल चौरसिया की पार्टी में वापसी ने कांग्रेस के भीतर हलचल पैदा कर दी है. कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ‘गोडसे अनुयायी’ को पार्टी में लेने पर सवाल उठाया है, जबकि कुछ अन्य नेताओं ने यह कहते हुए इस निर्णय को सही ठहराया कि चौरसिया ने हिंसा की विचारधारा छोड़ दी है और बापू के दिखाए सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने का फैसला किया है.
हिन्दू महासभा के नेता कांग्रेस में शामिल :
ग्वालियर के वार्ड 44 के पार्षद एवं हिन्दू महासभा के नेता श्री बाबूलाल चौरसिया आज प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ जी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए।
श्री चौरसिया जी का कांग्रेस परिवार में स्वागत है। pic.twitter.com/wIwQ3HBmil
— MP Congress (@INCMP) February 24, 2021
वहीं चौरसिया ने कांग्रेस में अपनी वापसी को ‘घर वापसी’ करार दिया और दावा किया कि हिंदू महासभा के नेताओं ने उसे गुमराह किया था और इस कारण उन्होंने गोडसे की प्रतिमा की स्थापना और पूजा की थी.
हिंदू महासभा ने वर्ष 2017 में ग्वालियर में अपने कार्यालय में गोड़से की अर्ध प्रतिमा की स्थापना की थी. हालांकि इसकी आलोचना होने पर जिला प्रशासन द्वारा बाद में इसे हटा दिया गया था. गोडसे की प्रतिमा की स्थापना करने वाली हिंदू महासभा समिति में उस समय बाबूलाल चौरसिया सदस्य के तौर पर शामिल थे.
चौरसिया को कांग्रेस में शामिल करने का विरोध करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने एक ट्वीट में कहा, ‘बापू हम शार्मिदा हैं.’
यादव ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘पार्टी कहां जा रही है? पार्टी को मजबूत करने के नाम पर गोडसे के अनुयायी को शामिल करने की जरूरत क्यों है? हम इस फैसले पर शर्मिदा हैं.’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से गांधीजी की विचारधारा के लिए लड़ी और अब उन लोगों को शामिल कर रही है, जिन्होंने उस विचारधारा को मार डाला और ग्वालियर शहर में नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाया था.
उन्होंने सवाल किया, ‘क्या कांग्रेस भाजपा की विवादास्पद एवं भोपाल की लोकसभा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भी पार्टी में शामिल करेगी, जिन्होंने गोडसे को देश भक्त करार दिया था और जिन ठाकुर के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह उन्हें अपने जीवनकाल में क्षमा नहीं करेंगे.’
यादव ने यह भी ध्यान दिलाया कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ग्वालियर में गोडसे की प्रतिमा की स्थापना के लिए बाबूलाल चौरसिया और उनके समर्थकों के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था.
इस बीच कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कमलनाथ की ओर से एक बयान जारी किया इसमें उन्होंने चौरसिया को पार्टी में शामिल करने के निर्णय को सही ठहराया और चौरसिया को गोडसे का पुजारी बताए जाने पर भाजपा की आलोचना की.
उन्होंने कहा, ‘चौरसिया ने गोडसे की हिंसा की विचारधारा को छोड़ दिया है और गांधी जी की सत्य और अहिंसा की विचारधारा पर चलने का फैसला किया है. जब वो हिंदू महासभा में थे, भाजपा की विचारधारा से जुड़े थे, तब वो गोड़से की विचारधारा को मानते थे, आज वो कांग्रेस में आ गए तो उन्होंने गांधी जी की विचारधारा को अपना लिया है.’
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कमलनाथ ने इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा, अगर मोदी (नरेंद्र मोदी) हमारी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं तो वे शामिल हो सकते हैं. अगर कोई सुधार करना चाहता है, उसे यह महसूस होता है कि वह गलत पक्ष में है और अब वह कांग्रेस में शामिल होना चाहता है, तो वे आ सकते हैं.
गोडसे के विचारों और विचारों को फैलाने में समय बिताने वाले बाबूलाल चौरसिया जैसे स्थानीय राजनेता को पार्टी में लाने की क्या मजबूरी थी, इस सवाल के जवाब में कमलनाथ ने कहा, ‘मध्य प्रदेश में हमारे पास एक ऐसी स्थिति है, जहां भाजपा और आरएसएस को जीवन भर अपशब्द कहने वाले राजनेता अब मंत्री हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘वे आरएसएस और यहां तक कि मोदी पर हमला बोलेंगे, लेकिन भाजपा में शामिल होना उनके लिए ठीक है. यह स्थिति खराब है या यह (बाबूलाल का पार्टी में शामिल होना)?’
कांग्रेस में फिर से शामिल होने के अपने फैसले का बचाव करते हुए चौरसिया ने कहा, ‘हिंदू महासभा ने मुझे स्थानीय निकाय चुनाव (ग्वालियर नगर निगम) के लिए टिकट दिया और मैं वार्ड-44 से पार्षद चुना गया. इससे पहले मैं लगभग 20 साल तक एक कांग्रेसी था और एक दफा पार्षद भी चुना गया था. इसलिए कांग्रेस में शामिल होना मेरे लिए घर वापसी जैसा है.’
ग्वालियर में गोडसे का मंदिर बनवाने में शामिल होने के मुद्दे पर उन्होंने दावा किया, ‘हिंदू महासभा के नेताओं ने मुझे गुमराह किया और गोडसे की अर्ध प्रतिमा की स्थापना और पूजा करने के लिए कहा. यह मेरी एक गलती थी. पिछले ढाई साल से मैंने इनके किसी कार्यक्रम में भाग नहीं लिया है.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बाबूलाल चौरसिया ने साल 2014 में कांग्रेस की ओर से नगर निकाय के चुनाव में टिकट न दिए जाने से नाराज होकर वह हिंदू महासभा में शामिल हो गए थे.
इस साल जनवरी में गोडसे के जीवन और विचारधारा को समर्पित ‘गोडसे ज्ञानशाला’ (लाइब्रेरी) का शुभारंभ ग्वालियर में किया गया था, लेकिन विरोध के बाद इसका संचालन भी रोक दिया गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)