मथुरा में चल रहे वृंदावन कुंभ के पहले शाही स्नान के दौरान यमुना का प्रदूषण देखते हुए महानिर्वाणी अखाड़े के प्रमुख महंत धर्मदास ने अगले तीनों शाही स्नान के बहिष्कार की घोषणा की है, जिसे महा निर्मोही और महा दिगंबर अखाड़ों के प्रमुखों ने भी सहमति दी है.
मथुरा: यमुना के गंभीर जल प्रदूषण को रेखांकित करते हुए देश के तीन प्रमुख हिंदू संतों ने शनिवार को संकल्प लिया कि वे वर्तमान में चल रहे वृंदावन कुंभ के दौरान बाकी ‘शाही स्नान’ में तब तक भाग नहीं लेंगे, जब तक कि नदी का पानी साफ नहीं हो जाता.
अयोध्या स्थित महा निर्वाणी अखाड़ा के प्रमुख महंत धर्मदास ने 9, 13 और 25 मार्च को नदी में ‘शाही स्नान’ का बहिष्कार करने की घोषणा की. उन्होंने आगामी कुंभ मेले के लिए भी ऐसी घोषणाएं कीं.
महंत धर्मदास ने दो अन्य वैष्णवी अखाड़ों- महा निर्मोही और महा दिगंबर अखाड़ा के प्रमुखों की उपस्थिति में यह घोषणा की.
महंत धर्मदास ने कहा, ‘अगले शाही स्नान में हम यमुना में पवित्र डुबकी तभी लगाएंगे, जब पानी साफ होगा.’ दो अन्य अखाड़ों के प्रमुखों ने इस पर सहमति व्यक्त की.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, मथुरा जिला प्रशासन ने वादा किया था कि वृंदावन कुंभ के दौरान गंगा से अतिरिक्त जल छोड़कर देवरहा घाट पर साफ पानी का इंतजाम किया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ दिखा नहीं.
गौरतलब है कि मथुरा में इन दिनों वृंदावन कुंभ चल रहा है और शनिवार 27 फरवरी को माघ पूर्णिमा के अवसर पर यहां पहला शाही स्नान था. इस अवसर पर यहां सभी संत यहां पहुंचे थे.
हालांकि देवरहा घाट पर कुछ संतों के साथ डुबकी लगाने के बाद महंत धर्मदास ने यमुना के प्रदूषण को देखते हुए इसकी आलोचना की.
दैनिक जागरण के अनुसार, शनिवार को पहले शाही स्नान पर यमुना की तली से कीचड़ ऊपर आ गई. पानी की कमी के कारण यमुना के बीच-बीच में कई स्थानों पर टापू बन गए. ऐसे में यमुना का हाल देख कुछ संतों ने स्नान नहीं किया.
इस कुंभ के दौरान अभी तीन शाही स्नान बाकी हैं. अगला शाही स्नान 9 मार्च को होगा, इसके बाद 13 मार्च और 25 मार्च को शाही स्नान होने हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)