मामला गिरिडीह ज़िले का है, जहां 20 साल की गर्भवती महिला को घर पर प्रसव होने के बाद रक्तस्राव न रुकने पर उनके परिजन चारपाई से सात किलोमीटर तक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, लेकिन समय पर कोई चिकित्सक न मिलने के कारण अस्पताल के बाहर ही महिला और शिशु की मौत हो गई.
नई दिल्लीः झारखंड के गिरिडीह जिले में समय पर इलाज नहीं मिलने से 20 साल की एक महिला और उसके नवजात बच्चे की मौत हो गई.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, महिला को उसके संबंधी लगभग सात किलोमीटर तक चारपाई पर लेटाकर गिरिडीह के गवान ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए थे लेकिन स्वास्थ्य केंद्र के बाहर ही महिला और उसके बच्चे की मौत हो गई.
अधिकारियों के मुताबिक, महिला को समय पर इलाज मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य केंद्र में न तो डॉक्टर थे और न ही आयुष चिकित्सक.
टिसरी के बरदौनी गांव के लक्ष्मीबाथन कॉलोनी में अपने पति सुनील टुडू के साथ रहने वाली सूरजा मरांडी ने गुरुवार सुबह एक बच्चे को जन्म दिया था.
गवान की बीडीओ मधु कुमारी का कहना है, ‘एक दाईं ने गुरुवार सुबह एक बच्चे का जन्म कराया था लेकिन उसने (दाई) महिला का प्लेसेंटा बाहर नहीं निकाला जिससे खून बहना जा रहा. इसके बाद महिला ने परिवार के सदस्यों को उसे तुरंत अस्पताल ले जाने को कहा, कोई साधन न होने पर परिवार के सदस्य महिला को चारपाई पर ही लेकर आए.’
महिला गुरुवार को जब शाम लगभग पांच बजे अस्पताल पहुंची तो कथित तौर पर वहां डॉक्टर नहीं थे.
कुमारी ने कहा, ‘कुछ सर्जरी करने के बाद आयुष चिकित्सक खाना खाने गए थे. परिवार के सदस्यों के मुताबिक, महिला ने अस्पताल के गेट पर ही दम तोड़ दिया जबकि नवजात ही पहले ही मौत हो चुकी थी.’
उन्होंने बताया कि सीएचसी में छह एमबीबीएस डॉक्टरों की क्षमता है लेकिन वहां सिर्फ दो ही डॉक्टर हैं.
उन्होंने कहा, ‘एक डॉक्टर प्रशिक्षण ले रहा है लेकिन एक डॉक्टर बिना सूचना दिए उस दिन अस्पताल नहीं पहुंचा. दो और डॉक्टर जिनकी पिछले साल जॉइन किया था वे बिना कार्यभार संभाले चले गए थे.’
टिसरी बीडीओ सुनील प्रकाश का कहना है कि सूरजा के गांव में पीएचसी की तरह बुनियादी सुविधाओं का अभाव है लेकिन मैंने एक साल पहले एक सड़क के निर्माण के लिए स्वीकृति दी थी. वन विभाग को इसे लेकर कई आपत्तियां थी, जिस वजह से काम नहीं हो सका.
झारखंड के स्वास्थ्य सचिव कमलकिशोर सोन ने कहा, ‘जिले के डिप्टी कमिश्नर द्वारा एक रिपोर्ट पेश की जाएगी और सभी सुधारात्मक कदम उठाऊंगा. किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा.’
इस घटना ने एक बार फिर झारखंड में सार्वजनिक स्वास्त्य प्रणाली में खामियों को उजागर किया है. स्वास्थ्य विभाग के आंतरिक दस्तावेजों से पता चलता है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए 85 फीसदी पद खाली हैं.