जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा है पुलिस सत्यापन का हवाला देते हुए उन्हें नया पासपोर्ट जारी करने से मना किया जा रहा है. उनका पुराना पासपोर्ट 31 मई 2019 तक के लिए ही मान्य था, जिसके बाद 11 दिसंबर 2020 को नए पासपोर्ट के लिए उन्होंने आवेदन दिया था.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि उन्हें पासपोर्ट जारी किया जाए.
याचिका के अनुसार, पुलिस सत्यापन का हवाला देते हुए उन्हें नया पासपोर्ट जारी करने से मना किया जा रहा है. उनका पुराना पासपोर्ट 31 मई 2019 तक के लिए ही मान्य था, जिसके बाद 11 दिसंबर 2020 को नए पासपोर्ट के लिए उन्होंने आवेदन दिया था.
याचिकाकर्ता ने कहा, ‘नियमों के अनुसार लगभग 30 महीने के भीतर पासपोर्ट जारी कर दिया जाना चाहिए.’
इसके दिशानिर्देशों के अनुसार 21 दिनों के भीतर पुलिस सत्यापन कराया जाना चाहिए. हालांकि महबूबा द्वारा श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से गुजारिश किए जाने के बाद भी अभी तक सत्यापन का कार्य लंबित है और संबंधित विभाग को दस्तावेज नहीं भेजे गए हैं.
उन्होंने अपनी याचिका में कहा, ‘प्रशासनिक स्तर पर देरी करना कानून के नियम का उल्लंघन है. पुलिस सत्यापन रिपोर्ट जमा करने का कार्य सिर्फ प्रशासन के विवेक पर नहीं छोड़ा जा सकता है.’
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक नागरिक के रूप में उन्हें पासपोर्ट रखने का अधिकार है.
उन्होंने कहा, ‘याचिकाकर्ता को पासपोर्ट जारी करने में देरी करना संविधान के तहत याचिकाकर्ता को दिए गए अधिकारों को उल्लंघन है, जो विदेश यात्रा करने के अधिकार को सुनिश्चित करता है. यहां यह बताना आवश्यक है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार में विदेश यात्रा का अधिकार सम्मिलित है.’
पूर्व मुख्यमंत्री ने मांग की है कि न्यायालय प्रशासन को निर्देश दे ताकि वे उन्हें पासपोर्ट जारी करें. इसके अलावा उन्होंने ये भी मांग की है कि संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, जिन्होंने पासपोर्ट जारी करने में देरी की है.
मालूम हो कि महबूबा मुफ्ती को साल 2019 में पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म कर जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद से ही नजरबंद कर लिया गया था. उन्हें अक्टूबर 2020 में 14 महीने की नजरबंदी के साथ उन्हें रिहा किया गया था.
हालांकि पीडीपी प्रमुख का कहना है कि इसके बाद भी उन्हें बार-बार अवैध तरीके से हिरासत में ले लिया जाता है.
उन्होंने द वायर को बताया था, ‘मेरे घर को किले में तब्दील कर दिया गया है और राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर मुझे कहीं जाने नहीं दिया जाता है.’
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)