गुजरात के भावनगर ज़िले के सनोदर गांव में बीते दो मार्च को एक दलित आईटीआई कार्यकर्ता की उनके घर में हमला कर कुछ लोगों ने हत्या कर दी थी. इस मामले में पुलिस ने 10 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है. आरोप है कि थाने में मृतक द्वारा की गईं शिकायतों पर पुलिस ने ध्यान नहीं था.
भावनगर: गुजरात के भावनगर जिले के घोघा तालुका के सनोदर गांव में एक दलित आईटीआई कार्यकर्ता की हत्या मामले में 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है और एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट मुताबिक इस मामले में दो प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं – एक 10 लोगों के खिलाफ हत्या और अन्य मामलों में, दूसरा घोघा पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर पीआर सोलंकी के खिलाफ है, जिन पर पीड़ित की आशंकाओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया गया है.
50 वर्षीय आरटीआई कार्यकर्ता अमराभाई बोरिचा की सुरक्षा के लिए दो होमगार्ड तैनात किए गए थे, उसके बावजूद उनकी हत्या हुई. सोलंकी के निलंबित होने के बाद परिवार ने बुधवार को उनका शव लिया.
मंगलवार शाम को कथित तौर पर 10 लोगों ने दलित किसान और आरटीआई कार्यकर्ता पर उनके घर में घूस कर हमला किया था. कार्यकर्ता को बचाने की कोशिश कर रही उनकी बेटी भी घटना में घायल हो गई.
परिवारवालों का कहना है कि आरटीआई कार्यकर्ता अमराभाई बोरिचा पर कथित तौर पर भाले, लोहे की पाइप और तलवार से हमला किया गया.
आरटीआई कार्यकर्ता की बेटी निर्मला की शिकायत पर पुलिस ने भाईलुभा गोहिल और उसके भाई शक्तिसिंह गोहिल, जयराजसिंह गोहिल, कनकसिंह गोहिल और उसके भाई पदुभा गोहिल, मुन्नाभाई गोहिल, मनहरसिंह जगदीशसिंह गोहिल, मनहरसिंह छोटुभा गोहिल, हरपाल सिंह गोहिल और वीरमदेवसिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या की कोशिश), 452 (चोट पहुंचाने या हमला करने के लिए जबरन घर में घुसना), 506(2) (आपराधिक धमकी), 324 (जानबूझकर खतरनाक हथियारों से चोट पहुंचाना), 294बी (सार्वजनिक स्थान या उसके आसपास अश्लील गाना बजाना) गैरकानूनी सभा और दंगा करने के तहत मामला दर्ज किया गया है. इसके अलावा एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.
भावनगर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अशोक कुमार यादव ने कहा कि घोघा तालुका पंचायत में कांग्रेस उम्मीदवार मनीषा वनराजसिंह गोहिल की जीत के बाद जश्न मनाने के दौरान यह घटना हुई.
रिपोर्ट के मुताबिक, 25 वर्षीय निर्मला ने अपनी शिकायत में कहा है कि वह और उसके पिता जश्न के जुलूस को देखने के लिए जब घर से बाहर निकले तो कनकसिंह ने उन्हें गाली दी और जान से मार डालने की बात कही.
शिकायत में उन्होंने कहा है कि हमला उनकी सुरक्षा के लिए तैनात दो सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में हुआ.
उन्होंने कहा कि इससे पहले साल 2013 में भाईलुभा गोहिल, शक्तिसिंह गोहिल, जयराजसिंह गोहिल, पदुभा गोहिल और वीरमदेवसिंह ने उसके पिता पर हमला किया था, जिसमें उनका पैर टूट गया था. इस मामले में समझौता करने का दबाव बना रहे थे.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक 2013 के मामले में अगली सुनवाई 8 मार्च के लिए रखी गई है.
स्थानीय दलित नेता मावजी सरवैया ने दावा किया, ‘अमराभाई ने ग्राम पंचायत चुनाव भी लड़ा था, जो अभियुक्तों को अच्छा नहीं लगा. यह एकमात्र दलित परिवार है जो यहां रहता है जबकि अन्य लोग उच्च जाति के लोगों द्वारा उत्पीड़न के कारण पलायन कर चुके हैं.’
उनकी सुरक्षा के लिए तैनात दो ग्राम रक्षक दल (जीआरडी) के जवान हमले का मुकाबला नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने मारपीट का वीडियो रिकॉर्ड किया था.
भावनगर रेंज आईजी अशोक यादव बताया, ‘हमलावरों ने जीआरडी जवानों के फोन से वीडियो भी हटा दिया. वे असहाय थे, क्योंकि हमलावर बड़ी संख्या में थे और सशस्त्र थे.’
घोघा पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर पीआर सोलंकी को निलंबित कर दिया गया है और निर्मला के आरोपों के आधार पर उनके खिलाफ आईपीसी धारा 166 (कानून की अवहेलना करना) और धारा 504 (जान-बूझकर अपमान करना) के तहत केस दर्ज किया गया है.
बेटी ने आरोप लगाया कि उनके पिता ने घोघा थाने में क्षत्रिय समुदाय के लोगों के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन सब इंस्पेक्टर पीआर सोलंकी ने एफआईआर दर्ज नहीं की. इसके अलावा उनके पिता ने सशस्त्र पुलिस से सुरक्षा का अनुरोध किया था, लेकिन सोलंकी ने ध्यान नहीं दिया.
बीबीसी के रिपोर्ट के मुताबिक, अमराभाई बोरिचा ने गांव के विकास और मनरेगा स्कीम के फंड की जानकारी हासिल करने के लिए कई आरटीआई दाखिल किए थे. इससे पहले कथित ऊंची जाति के कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी.