बीते एक फरवरी को म्यांमार की सेना ने चुनावों में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए देश का नियंत्रण अपने हाथ में लेते हुए आंग सान सू ची और अन्य नेताओं को नज़रबंद कर दिया है. म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र विशेष दूत ने कहा कि तख्तापलट के बाद से जारी प्रदर्शनों में अभी तक कुल 50 लोग मारे गए हैं.
यांगून/वॉशिंगटन: म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ बुधवार को प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 38 लोग मारे गए.
स्विट्जरलैंड में संयुक्त राष्ट्र की एक अधिकारी ने बताया कि बुधवार को हुए प्रदर्शन के दौरान 38 लोग मारे गए. यह आंकड़ा इस संबंध में मिलीं अन्य रिपोर्टों से मेल खाता है, लेकिन देश के भीतर इन आंकड़ों की पुष्टि करना मुश्किल है.
म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने बुधवार को पत्रकारों से कहा, ‘एक फरवरी को हुए तख्तापलट के बाद आज सर्वाधिक लोगों का खून बहा. केवल आज ही 38 लोग मारे गए. तख्तापलट के बाद से जारी प्रदर्शनों में अभी तक कुल 50 लोग मारे गए हैं और कई लोग घायल भी हुए हैं.’
म्यांमार में लोग सेना के तख्तापलट और निर्वाचित नेता आंग सान सू ची को निष्कासित किए जाने के खिलाफ रोजाना प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों को काबू करने या उन्हें तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बल लगातार आंसू गैस के गोले, रबड़ की गोलियां दाग रहे हैं और गोलीबारी कर रहे हैं.
टीवी चैनल एवं ऑनलाइन सेवा ‘डेमोक्रेटिक वॉयस ऑफ बर्मा’ ने भी मृतकों की संख्या 38 ही बताई है.
क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने कहा कि एक हजार से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है. बड़ी संख्या में लोगों के परिजनों को यह जानकारी नहीं है कि उन्हें किन परिस्थितियों में रखा गया है.
बर्गनर ने यह भी बताया कि उनकी म्यांमार की सेना के साथ बातचीत हुई है. उन्होंने सेना को चेतावनी भरे अंदाज में बताया है कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों और सुरक्षा परिषद द्वारा कड़े कदम उठाए जा सकते हैं.
उन्होंने जोर देकर कहा कि मौजूदा हालात का अंत करने के लिए हरसंभव कदम उठाना चाहिए. उन्होंने इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकजुटता को बेहद अहम बताया.
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस भी सैन्य तख्तापलट की निंदा की और हिंसा पर तत्काल विराम लगाए जाने का आग्रह किया है.
गौरतलब है कि म्यांमार में सेना ने बीते एक फरवरी को तख्तापलट कर देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी. म्यामांर की सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में लेते हुए कहा था कि उसने देश में नवंबर में हुए चुनावों में धोखाधड़ी की वजह से सत्ता कमांडर इन चीफ मिन आंग ह्लाइंग को सौंप दी है.
सेना का कहना है कि सू ची की निर्वाचित असैन्य सरकार को हटाने का एक कारण यह है कि वह व्यापक चुनावी अनियमितताओं के आरोपों की ठीक से जांच करने में विफल रहीं.
पिछले साल नवंबर में हुए चुनावों में सू ची की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी, जो बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था, लेकिन 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गई थीं
म्यांमार के लोगों के साथ हो रही बर्बर हिंसा को देखकर स्तब्ध हैं: अमेरिका
अमेरिका ने बुधवार को कहा कि असैन्य शासन को बहाल करने की शांतिपूर्ण तरीके से मांग कर रहे म्यांमार के लोगों के प्रति बरती जा रही भयावह हिंसा को देखकर वह स्तब्ध है और बहुत ही दुखी है.
पिछले महीने म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है.
विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइज ने कहा, ‘जो तस्वीरें और खबरें मिल रही हैं, वे हैरान करने वाली हैं. असैन्य सरकार को बहाल करने का शांतिपूर्ण आह्वान कर रही बर्मा की जनता पर बरसाई जा रही भयावह हिंसा को देखकर हम स्तब्ध और दुखी हैं.’
अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में प्राइज ने कहा, ‘हम सभी देशों का आह्वान करते हैं कि बर्मा की सेना द्वारा अपने ही लोगों के खिलाफ की जा रही बर्बर हिंसा की वे एक होकर निंदा करें और सेना की कार्रवाई पर जवाबदेही की मांग करें जिसके कारण बर्मा में अनेक लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा है.’
एक सवाल के जवाब में प्राइज ने कहा कि पत्रकारों की गिरफ्तारियों और उन पर बढ़ते हमले को लेकर अमेरिका बेहद चिंतित है.
उन्होंने कहा, ‘हम सेना से मांग करते हैं कि उन्हें (पत्रकारों को) तुरंत छोड़ा जाए, मीडिया को डराना धमकाना और प्रताड़ित करना बंद किया जाए और अन्यायपूर्ण तरीके से हिरासत में लिए गए लोगों को भी छोड़ा जाए, ताकि वे अपने वैश्विक अधिकारों का इस्तेमाल कर सकें.’
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने उन सैन्य नेताओं के खिलाफ कई कदम उठाए हैं जो इस तख्तापलट और परिणामस्वरूप हो रही हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं.
एक अन्य सवाल के जवाब में प्राइज ने कहा, ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और जापान महत्वपूर्ण साझेदार हैं और हम बर्मा की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई असैन्य सरकार की बहाली के साझा लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम करते रहेंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)