केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रशासन द्वारा एक मार्च को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि आधिकारिक सूचनाओं को सार्वजनिक करने से पूर्व में विवाद खड़ा हो चुका है और इसलिए आदेश का पालन न करने वालों को दंडित किया जाएगा.
श्रीनगर: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रशासन ने अपने कर्मचारियों को बिना अनुमति के किसी व्यक्ति के साथ आधिकारिक जानकारी या दस्तावेज साझा करने पर रोक लगाते हुए सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है.
इसके साथ ही सूचना के प्रसार का पर्यवेक्षण करने वालों को भी किसी भी अनधिकृत जानकारी या सूचना को साझा के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी माना जाएगा.
द वायर के पास मौजूद एक मार्च को जारी किए गए सर्कुलर में लद्दाख के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने कहा, ‘प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कर्मचारी मीडिया के किसी भी मंच पर किसी भी ऐसी जानकारी को प्रकाशित, पोस्ट या जारी नहीं करेंगे, जो गोपनीय है, सार्वजनिक नहीं है, या कोई आधिकारिक दस्तावेज नहीं है या किसी भी सरकारी कर्मचारी या किसी अन्य व्यक्ति को उसका कोई भी हिस्सा या जानकारी नहीं देंगे, जिसे वह ऐसे दस्तावेज या सूचना देने के लिए अधिकृत नहीं हैं.’
कर्मचारियों को यह भी कहा गया है कि वे प्रशासन के लिए अवांछित मुद्दे खड़े करने से बचने के लिए अपनी व्यक्तिगत सोशल मीडिया गतिविधियों में विभाग की ओर से आधिकारिक क्षमता में संवाद करने या छापने से बचें.
प्रशासन के अधिकारियों को कहा गया है कि किसी भी अनाधिकृत सूचना को साझा करने पर उन्हें व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
सर्कुलर में कहा गया, ‘अंडर सेक्रेटरीज/डिप्टी सेक्रेटरीज/विशेष ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों/फील्ड में तैनात सुपरवाइजरी अधिकारी/निदेशकों/डिप्टी आयुक्तों को सभी आधिकारिक सूचनाओं (आने वाली और भेजी जाने वाली) को सुपरवाइज करना होगा और नियमों के तहत इस तरह के किसी भी अनधिकृत साझा / संचार के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी माना जाएगा.’
जुर्माना:
प्रशासन ने इस आधार पर सर्कुलर को सही ठहराया है कि सरकारी कर्मचारी बिना मंजूरी के आधिकारिक जानकारी साझा कर रहे हैं.
सर्कुलर ने कहा, ‘प्रशासन के संज्ञान में ऐसे मामले आए हैं कि सरकारी अधिकारियों के बीच बिना किसी अनुमोदन के आधिकारिक सूचना के प्रसार के बारे में रुझान बढ़ रहा है और गैर-सरकारी अधिकारियों को अनधिकृत पहुंच प्रदान की जा रही है.’
इसने कर्मचारियों को याद दिलाया कि कर्मचारियों को नियंत्रित करने वाले नियमों के तहत किसी भी आधिकारिक जानकारी को साझा करना प्रतिबंधित है.
सर्कुलर में कहा गया है कि कर्मचारी आचरण नियमों के किसी भी उल्लंघन से विभागीय कार्रवाई हो सकती है और जम्मू कश्मीर सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1956 के नियम 30 में दिए गए दंड को लागू किया जा सकता है, प्रतिबंधित किए जाने से लेकर सेवा से बर्खास्तगी तक.
विवादों की श्रृंखला
5 अगस्त, 2019 को भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य से अलग होने वाला लद्दाख क्षेत्र आंतरिक और बाहरी दोनों मोर्चों पर कई विवादों में फंसा हुआ है.
पिछले साल लद्दाख में विरोध प्रदर्शन हुए थे जिन्होंने भारत के संविधान की छठी अनुसूची को इस क्षेत्र में विस्तारित करने की मांग की थी ताकि इसके मूल निवासियों के लिए नौकरियों और भूमि अधिकारों को सुरक्षित किया जा सके.
इस साल गणतंत्र दिवस परेड में लद्दाख संघ क्षेत्र की झांकी ने भी विवाद खड़ा कर दिया, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश के कारगिल जिले के नेतृत्व ने स्थानीय प्रशासन पर केवल लद्दाख के लोगों के आंशिक प्रतिनिधित्व का प्रदर्शन करने और झांकी में अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत की अनदेखी करने का आरोप लगाया.
बाहरी मोर्चे पर अप्रैल 2020 से ही भारतीय और चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा के कई स्थानों पर तनातनी और झड़पों में लगे हुए हैं.
इस तरह के गैग आदेश पर प्रशासन से प्रतिक्रिया प्राप्त करने की सभी कोशिश विफल रही. जीएडी के आयुक्त सचिव अजीत कुमार साहू ने रिपोर्टर के कई कॉल का कोई जवाब नहीं दिया.
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