बरेली के मंडलायुक्त ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारियों को कहा है कि वे तुरंत उन मदरसों की सूची सौंपे जहां राष्ट्रगान नहीं गाया गया.
बरेली: ज़िले के मदरसों में झंडा फहराए जाने और राष्ट्रगान गाए जाने के स्थानीय प्रशासन के दावों के बीच बरेली के मंडलायुक्त पीवी जगमोहन ने गुरुवार को कहा कि स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडा फहराए जाने के आदेश को जिसने नहीं माना होगा उसके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका/एनएसए) भी लगाया जा सकता है.
मंडलायुक्त ने कहा, अगर किसी मदरसे के बारे में ऐसी शिकायत मिली कि उसने सरकार का आदेश न मानते हुए झंडा नहीं फहराया होगा और राष्ट्रगान नहीं गाया होगा तो इसकी जांच होगी और जो दोषी होगा उसके ख़िलाफ़ कानून के दायरे में कार्रवाई होगी.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने ये भी कहा कि ऐसे मदरसों से पूछा जाएगा कि उन्होंने आदेश का उल्लंघन क्यों किया? उन पर राष्ट्रीय गान न गाने और राष्ट्र विरोधी होने के कारण रासुका भी लगाया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारियों को कहा गया है कि वह तुरंत उन मदरसों की सूची सौंपे जहां राष्ट्रगान नहीं गाया गया. इस मामले में अगर जनता की तरफ से कोई शिकायत मिली तो उसकी भी जांच की जाएगी.
प्रशासन का दावा है कि शहर काज़ी के मदरसे को छोड़कर सभी मदरसों ने सरकार के आदेश को माना, लेकिन अपुष्ट खबरों के अनुसार कुछ मदरसों में राष्ट्रगान के बजाय सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा… गाया गया.
हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में एक वरिष्ठ मौलवी ने बताया कि परंपरागत तौर पर स्वतंत्रता या गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रगान नहीं गाते. हमने उसी परंपरा का निर्वहन किया है.
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने मदरसों में अनिवार्य रूप से स्वतंत्रता दिवस मनाने और कार्यक्रम का वीडियो बनाने का आदेश दिया था.
सुन्नी उलेमा काउंसिल के संयोजक हाजी मोहम्मद सलीह ने कहा, ‘छात्रों ने स्वतंत्रता दिवस पर परंपरागत तरीके से झंडारोहण किया. सरकार का आदेश हमारी देशभक्ति की परीक्षा लेने की कोशिश है, जो कि गलत है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)