झारखंड के हज़ारीबाग ज़िले में एक आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार को पुलिस ने अफ़ीम और ब्राउन शुगर रखने के आरोप में गिरफ़्तार करने के बाद उनके इक़बालिया बयान भी ले लिया था. 48 घंटे बाद पुलिस ने कार्यकर्ता को फंसाने की साज़िश के आरोप में पांच लोगों को गिरफ़्तार किया है.
रांची: झारखंड के हजारीबाग जिले में एक आरटीआई कार्यकर्ता को गिरफ्तार करने और उनकी मोटरसाइकिल में प्रतिबंधित सामग्री होने का इकबालिया बयान लेने के 48 घंटे के अंदर ही झारखंड पुलिस ने भूमि एवं राजस्व विभाग के दो कर्मचारियों सहित पांच लोगों से इकबालिया बयान दर्ज करवाया कि वे कार्यकर्ता को फंसाने की साजिश रच रहे थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 45 वर्षीय आरटीआई कार्यकर्ता और इंडिया-बोल न्यूज पोर्टल के पत्रकार राजेश मिश्रा को 3 मार्च को अफीम और ब्राउन शुगर रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इसका उनके परिवार और दोस्तों ने विरोध किया था, जिसके बाद यह मामला झारखंड विधानसभा में पहुंच गया था.
शुक्रवार को हजारीबाग पुलिस ने प्रतिबंधित सामग्री रखने और मिश्रा को फंसाने के आरोप में पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया.
हजारीबाग के पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस. ने कहा, ‘इससे पहले, हमें जानकारी मिली थी कि आरटीआई कार्यकर्ता ने अपनी बाइक की डिग्गी में ड्रग्स रखा था. एक पड़ताल के बाद हमें अफीम और ब्राउन शुगर मिली और हमने उन्हें एनडीपीएस अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, हमारी जांच के दौरान हमें पता चला कि ऐसी संभावना हो सकती है कि हमें गलत तरीके से सूचित किया गया हो और मिश्रा को किसी साजिश के तहत पकड़वाया गया हो.’
उन्होंने कहा कि एक टीम का गठन किया गया था और पांच लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई है.
उन्होंने कहा, ‘बाद में हमारी जांच में यह सामने आया कि मोटरसाइकिल की डिग्गी में ड्रग्स को रखा गया था. जिले के भूमि एवं राजस्व विभाग के एक क्लर्क और एक दस्तावेज लिखने वालों सहित पांच लोगों को हमने गिरफ्तार किया है.’
इंडिया बोल में उनके सहयोगी ने कहा कि मिश्रा आरटीआई की एक श्रृंखला पर काम कर रहे थे कि कैसे कानून का उल्लंघन करते हुए जमीन के विभिन्न हिस्सों को बेचा गया, जो छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के तहत आम लोगों को नहीं बेचा जा सकता है.
एक सहयोगी ने आरोप लगाया, ‘भूमि का बड़ा हिस्सा जो कि टेनेंसी एक्ट के तहत शासित है, बेचा जा रहा था और उक्त भूमि की रजिस्ट्री की जा रही थी. उन्होंने एक आरटीआई दायर की थी और इसने विभाग में कई लोगों को परेशान किया था.’
मिश्रा के सहयोगी कहते हैं, ‘उनके साथ जबरदस्ती की जा रही थी. इससे पहले उन्होंने आरटीआई के माध्यम से विभिन्न अवैध तालाबों पर अतिक्रमण जैसी विभिन्न अवैध गतिविधियों को उजागर किया था.’
रिपोर्ट के अनुसार, 3 मार्च को मिश्रा के खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम के तहत पुलिस स्टेशन लोहसिंघना की सब इंस्पेक्टर निशि कुमारी के आदेश पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.
पुलिस रिकॉर्ड्स के अनुसार, पुलिस को मिश्रा से इकबालिया बयान भी मिल गया था जिसमें कहा गया था, ‘यह जानते हुए कि यह मेरे खिलाफ अदालत के सामने पेश किया जाएगा बिना किसी डर या दबाव के मैं अपना अपराध स्वीकार कर रहा हूं. 3 मार्च को मैं कलक्ट्रेट से गुजर रहा था जब मैंने पुलिस को देखा और मैं भाग गया. मुझे पुलिस ने पकड़ लिया और तलाशी ली गई और ड्रग्स बरामद किया गया.’
राजेश मिश्रा की बहन नूतन मिश्रा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘यह साफ तौर पर झूठ था और हमें पता था कि उन्हें फंसाया गया है. उसके साथ बातचीत के बाद हमें पता चला कि कुछ पुलिसकर्मियों ने 3 मार्च को उन पर पिस्तौल तान दी थी, जिसे देखकर वह भाग गए थे.’
वह आगे कहती हैं, ‘बाद में उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाया गया और उनकी बाइक भी ले ली गई. अचानक दो घंटे के बाद उन्हें सूचित किया गया कि ड्रग्स रखने के आरोप में उन पर मामला दर्ज किया जा रहा है. उन्हें जेल में डालने से पहले पुलिस को जांच करनी चाहिए थी.’