जम्मू कश्मीर: रोहिंग्या शरणार्थियों की बायोमेट्रिक जानकारी जुटाने का काम शुरू, 168 लोगों को जेल

सरकारी आकंड़ों के मुताबिक, रोहिंग्या मुस्लिमों और बांग्लादेशी नागरिकों समेत 13,700 विदेशी जम्मू और सांबा ज़िलों में रह रहे हैं, जहां 2008 से 2016 के बीच इनकी जनसंख्या में छह हज़ार से अधिक की वृद्धि हुई. कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों का आरोप है कि देश में उनकी उपस्थिति क्षेत्र की शांति के लिए ख़तरा है.

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(फाइल फोटो: द वायर)

सरकारी आकंड़ों के मुताबिक, रोहिंग्या मुस्लिमों और बांग्लादेशी नागरिकों समेत 13,700 विदेशी जम्मू और सांबा ज़िलों में रह रहे हैं, जहां 2008 से 2016 के बीच इनकी जनसंख्या में छह हज़ार से अधिक की वृद्धि हुई. कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों का आरोप है कि देश में उनकी उपस्थिति क्षेत्र की शांति के लिए ख़तरा है.

(फाइल फोटो: द वायर)
(फाइल फोटो: द वायर)

जम्मू: जम्मू कश्मीर प्रशासन ने जम्मू में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की बायोमेट्रिक जानकारी सहित अन्य विवरण जुटाने का काम शनिवार से शुरू कर दिया. इसके बाद जम्मू में अवैध रूप से रह रहे 168 रोहिंग्याओं को जेल भेज दिया गया है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी.

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शनिवार को एक अभियान चलाकर यहां रह रहे रोहिंग्याओं के बायोमीट्रिक और अन्य विवरण एकत्र किए थे.

आधिकारिक दस्तावेज के बिना शहर में रह रहे विदेशियों की पहचान करने के लिए यह अभियान चलाया गया है.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘कम से कम 168 अवैध प्रवासी रोहिंग्याओं को हीरानगर जेल भेजा गया है.’

उन्होंने कहा कि म्यांमार से आए रोहिंग्या मुस्लिमों के सत्यापन की प्रकिया, जम्मू के एमएएम स्टेडियम में कड़ी सुरक्षा के बीच की गई.

इसके साथ ही उनमें कोरोना वायरस संक्रमण की भी जांच की जा रही है.

उन्होंने बताया कि प्रक्रिया के तहत उनकी बायोमेट्रिक जानकारी, रहने का स्थान आदि सहित अन्य सूचनाएं जुटायी जा रही हैं.

सरकारी आकंड़ों के मुताबिक, रोहिंग्या मुस्लिमों और बांग्लादेशी नागरिकों समेत 13,700 विदेशी जम्मू और सांबा जिलों में रह रहे हैं जहां 2008 से 2016 के बीच इनकी जनसंख्या में छह हजार से अधिक की वृद्धि हुई.

रोहिंग्या म्यांमार के बांग्लाभाषी अल्पसंख्यक मुसलमान हैं. अपने देश में प्रताड़ना और उत्पीड़न से परेशान होकर काफी संख्या में रोहिंग्या बांग्लादेश के रास्ते अवैध तरीके से भारत में प्रवेश करके जम्मू सहित देश के विभिन्न भागों में बस गए हैं.

म्यांमार के नागरिक अब्दुल हनान ने पत्रकारों को बताया, ‘कोविड-19 की जांच के बाद हमने एक फॉर्म भरा. हमारे फिंगरप्रिंट लिए गए.’ उन्होंने बताया कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद वह स्टेडियम से बाहर आ गए.

कुछ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को तुरंत उनके देश वापस भेजने की दिशा में कदम उठाएं.

उनका आरोप है कि इन दोनों की देश में उपस्थिति क्षेत्र की ‘जनांकीकीय प्रकृति को बदलने की साजिश’ और ‘क्षेत्र की शांति के लिए खतरा है.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जेल भेजे गए इन 168 लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत कठुआ के हीरानगर उपजेल में इन्हें रखने के लिए एक केंद्र बनाया गया है. इसमें 250 लोगों को रखा जा सकता है.

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने दो महीने पहले कहा था कि जम्मू कश्मीर में रोहिंग्या मुसलमानों को निर्वासित कर दिया जाएगा, क्योंकि वे नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत योग्य नहीं हैं और वे किसी भी तरह से अपनी नागरिकता सुरक्षित नहीं रख पाएंगे.

हालांकि, अधिकांश रोहिंग्या शरणार्थियों के पास संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त द्वारा जारी किए गए कार्ड हैं, जो उन्हें शरणार्थियों के रूप में उनकी स्थिति को स्वीकार करते हैं और उन्हें कुछ सुरक्षा प्रदान करते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)