ओवरसीज़ सिटीजंस ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड धारकों के लिए पहले इस तरह की शर्तें सिर्फ़ गाइडलाइन के रूप में दर्ज थीं, लेकिन अब सरकार ने इन्हें क़ानूनी मान्यता प्रदान कर दिया है. आलोचना के बाद सरकार ने दावा किया कि ये प्रतिबंध पहले जारी की गईं अधिसूचनाओं का रूप हैं, जो कि अधिक स्पष्टता के साथ जारी किए गए हैं.
नई दिल्ली: ओवरसीज सिटीजंस ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड धारक यदि देश में किसी धर्मोपदेश (मिशनरी) या ‘तबलीग’ या मीडिया गतिविधियों में शामिल होना चाहते हैं, तो उन्हें अब केंद्र सरकार से विशेष अनुमति लेनी पड़ेगी.
पहले इस तरह की शर्तें सिर्फ गाइडलाइन के रूप में दर्ज थीं, लेकिन अब सरकार ने इन्हें कानूनी मान्यता प्रदान कर दी है.
हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने घरेलू क्षेत्र (देश) में हवाई किराये के शुल्क, राष्ट्रीय उद्यानों, राष्ट्रीय स्मारकों एवं संग्रहालय में प्रवेश शुल्क में उन्हें भारतीय नागरिकों की तरह ही समानता दी है.
इन नियमों को लेकर हो रही आलोचनाओं के बाद बीते शुक्रवार गृह मंत्रालय ने दावा किया कि ये प्रतिबंध साल 2005, 2007 और 2009 में जारी अधिसूचनाओं का सिर्फ ‘संयुक्त रूप’ हैं, जो कि अधिक स्पष्टता के साथ जारी किए गए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध इन अधिसूचनाओं को जांचने से पता चलता है कि उनमें इस तरह के कोई प्रतिबंध नहीं थे.
खास बात यह है कि ये प्रतिबंध पहली बार ओसीआई पुस्तिका में नवंबर 2019 में दिखाई दिए थे. वहीं साल 2018 में भारतीय वीजा के लिए जारी एक दिशानिर्देश में तबलीग गतिविधियों का उल्लेख किया गया था.
मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि ओसीआई कार्ड धारक भारत में किसी भी उद्देश्य के लिए यात्रा करने को लेकर जीवनपर्यंत कई बार प्रवेश की अनुमति देने वाले वीजा हासिल करने के हकदार होंगे, लेकिन ‘शोध करने या किसी मिशनरी या तबलीग या पर्वतारोहण या मीडिया से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उन्हें ‘विदेशी नागरिक क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी’ या भारतीय दूतावास से विशेष अनुमति हासिल करनी होगी.’
ओसीआई कार्डधारकों को भारत में किसी विदेशी दूतावास या विदेशी सरकार के संगठनों में इंटर्नशिप करने या भारत में किसी विदेशी दूतावास में नौकरी करने या किसी ऐसे स्थान का दौरा करने के लिए विशेष अनुमति लेनी होगी, जो संरक्षित या प्रतिबंधित क्षेत्र में आता है.
मालूम हो कि कोरोना वायरस महामारी का प्रसार होने के कारण मार्च 2020 में जब देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया था, उस वक्त तबलीगी जमात के 2500 से अधिक सदस्य दिल्ली में संगठन के मुख्यालय में ठहरे हुए पाए गए थे, जबकि ज्यादा संख्या में लोगों के इकट्ठा नहीं होने को लेकर दिशानिर्देश एवं आदेश जारी किए गए थे.
करीब 233 विदेशी तबलीगी कार्यकर्ताओं को वीजा नियमों का उल्लंघन करने को लेकर गिरफ्तार किया गया था और उनमें से कई को काली सूची में डाल दिया गया, जिससे भारत में उनके भविष्य के दौरे पर प्रतिबंध लग गया.
गृह मंत्रालय ने कहा कि ओसीआई कार्डधारकों को भारत में कितने भी समय के लिए ठहरने को लेकर अब विदेशी नागरिक क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (एफआरआरओ) या विदेशी नागरिक पंजीकरण अधिकारी (एफआरओ) के समक्ष पंजीकरण कराने से छूट दे दी गई है. लेकिन उनके स्थायी आवासीय पते एवं उनके पेशे को लेकर बदलाव होने पर उन्हें एफआरआरओ या एफआरओ को सूचित करना होगा.
ओसीआई कार्ड धारक अब भारत में घरेलू हवाई उड़ानों में, राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय स्मारकों, ऐतिहासिक स्थलों और म्यूजियम में प्रवेश शुल्क भारतीय नागरिकों के समकक्ष ही भुगतान करेंगे.
गौरतलब है कि ओसीआई कार्ड धारक विदेश नागरिक होता है, जिसके पास विदेश का पासपोर्ट होता है और वह भारत का नागरिक नहीं है.
अधिसूचना में बताया गया है कि उन्हें नियमों के मुताबिक भारत में बच्चों को गोद लेने, राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा, संयुक्त प्रवेश परीक्षा जैसी भारतीय प्रवेश परीक्षाओं में शामिल होने में अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की तरह ही समानता मिलेगी.
हालांकि ओसीआई कार्डधारकों को भारतीय नागरिकों के लिए आरक्षित सीटों पर नहीं चुना जा सकेगा.
ओसीआई कार्ड धारकों को कृषि भूमि, फार्म हाउस या पौधारोपण वाली संपत्तियों के अलावा भारत में अचल संपत्तियों की खरीद-बिक्री और चिकित्सक, दंत चिकित्सक, नर्स और फार्मासिस्ट जैसे पेशे में भी कानून सम्मत समानता हासिल होगी.
इस अधिकारों का उल्लेख साल 2005, 2007 और 2007 की अधिसूचना में भी है.
साल 2009 की अधिसूचना में कहा गया कि ओसीआई कार्ड धारक ‘ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट या इस तरह की परिक्षाओं में बैठ सकते हैं.’ हालांकि इसके चलते कोर्ट में याचिकाएं दायर कर ओसीआई कार्डधारक भारतीय नागरिकों की तरह अधिकारों की मांग करने लगे थे.
दिसंबर 2020 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने साल 2009 की अधिसूचना का हवाला देते हुए राज्य सरकार के उन नियमों को रद्द कर दिया था, जिसमें कॉलेज एडमिशन के लिए ओसीआई और एनआरआई को समान अधिकार दिया गया था.
इसी तरह दिल्ली हाईकोर्ट ने जनवरी 2019 में अपने एक आदेश में उस सरकारीआदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें मिशनरी गतिविधियों का हवाला देते हुए अमेरिकी नागरिक के ओसीआई कार्ड को बहाल किया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)