दो सालों में 200 करोड़ रुपये से अधिक की खनिज चोरी पकड़ी गई: गुजरात सरकार

विधानसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार भूविज्ञान और खनन आयुक्त के उड़न दस्ते ने बीते दो सालों में 212.46 करोड़ रुपये के चोरी पकड़ी है. कांग्रेस का आरोप है कि इसके बावजूद केवल दस मामलों में ही आपराधिक केस दर्ज किए गए हैं.

(प्रतीकात्कम फोटो: पीटीआई)

विधानसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार भूविज्ञान और खनन आयुक्त के उड़न दस्ते ने बीते दो सालों में 212.46 करोड़ रुपये के चोरी पकड़ी है. कांग्रेस का आरोप है कि इसके बावजूद केवल दस मामलों में ही आपराधिक केस दर्ज किए गए हैं.

(प्रतीकात्कम फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्कम फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भूविज्ञान और खनन आयुक्त के उड़न दस्ते ने पिछले दो सालों में 212.46 करोड़ रुपये के खनिज की चोरी को पकड़ा है. बीते सोमवार को गुजरात विधानसभा में ये जानकारी दी गई.

कांग्रेस विधायक द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने विभिन्न जिलों में हुई इस तरह की चोरी की जानकारी मुहैया कराई है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आंकड़ों का हवाला देते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि जब भी उड़न दस्ते ने छापा मारा था, तो उसने खनिज की चोरी पकड़ी थी. लेकिन अभी भी छह जिले ऐसे हैं जहां 2019 में एक भी छापे नहीं मारे गए. उन्होंने कहा कि साल 2020 में चार जिलों में शून्य छापे मारे गए.

कांग्रेस ने ये भी आरोप लगाया है कि जहां एक तरफ उड़न दस्ते ने 212.46 करोड़ रुपये के चोरी पकड़ी है, वहीं सिर्फ 10 मामलों में ही आपराधिक मामले दर्ज किए गए.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक मंत्री सौरभ पटेल ने बताया कि विभाग के उड़ने दस्ते ने 2019 में 171 और 2020 में 127 छापे मारे थे. उन्होंने बताया कि साल 2019 में 120.7 करोड़ रुपये और 2020 में 91.8 करोड़ रुपये की खनन चोरी का पता लगाया गया था.

विपक्ष के नेता परेश धनानी ने दावा कि अवैध खनन की वास्तविक कीमत सरकार द्वारा बताई गई कीमत की तुलना में 10 गुना अधिक है.

वहीं अपने जवाब में मंत्री पटेल ने दावा किया कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है.

कांग्रेस विधायक शैलेश परमार ने कहा कि पोरबंदर जिले में सबसे ज्यादा चूना पत्थर है और यहां पर अवैध खनन बेतहाशा तरीके से बढ़ रहा है. उन्होंने पूछा, ‘पिछले दो सालों में पोरबंदर जिले में उड़न दस्ते द्वारा सिर्फ एक छापा क्यों मारा गया.’

गुजरात मंत्री ने दावा किया कि ऐसे मामलों का पता लगाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने के अलावा विभाग द्वारा नियमित निरीक्षण और छापेमारी की जा रही है.