उत्तराखंड भाजपा में उपजे असंतोष के कारण मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. इसकी वजह पूछे जाने पर उन्होंने इसे पार्टी का सामूहिक निर्णय बताया था.
देहरादून: उत्तराखंड के गढ़वाल से भाजपा के सांसद तीरथ सिंह रावत राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे. उन्हें बुधवार को यहां संपन्न हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में पार्टी का नेता चुना गया.
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधायक दल की बैठक के बाद तीरथ सिंह रावत के नाम की घोषणा की. त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
तीरथ सिंह रावत अपराह्न चार बजे राजभवन में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के पद की शपथ लेंगे.
पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं पौड़ी सांसद श्री @TIRATHSRAWAT जी को उत्तराखंड मुख्यमंत्री बनने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। pic.twitter.com/fXjcZlcRnn
— BJP Uttarakhand (@BJP4UK) March 10, 2021
विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह और प्रदेश पार्टी प्रभारी दुष्यंत गौतम भी उपस्थित थे.
गढ़वाल के कलगीखल विकासखंड के सीरों में नौ अप्रैल 1964 को जन्मे तीरथ सिंह रावत छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे. वह हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
रावत वर्ष 2012 से 2017 के बीच उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य भी रहे हैं. उन्होंने विधानसभा में चौबट्टाखाल क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. वह प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी रहे हैं.
उन्होंने उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी. राज्य के गठन के बाद वह यहां की पहली सरकार में शिक्षा मंत्री भी रहे.
रावत को मुख्यमंत्री बनाए जाने का भाजपा नेतृत्व को फैसला चौंकाने वाला रहा. मुख्यमंत्री पद की दौड़ में धन सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद अजय भट्ट और अनिल बलूनी के नामों की चर्चा थी.
वहीं, उत्तराखंड के गढ़वाल से भाजपा के सांसद तीरथ सिंह रावत ने राज्य का मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद बुधवार को कहा कि वह मिल-जुलकर और सबको साथ लेकर काम करेंगे.
यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए रावत ने पार्टी का आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्हें जो दायित्व सौंपा गया है वह उसका निर्वहन पूरी निष्ठा से करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘पार्टी ने मुझे यह मौका दिया है और इसके लिए मैं पार्टी नेतृत्व का बहुत आभारी हूं.’ रावत ने कहा कि उन्हें जो जिम्मेदारी दी गयी है, उसे वह अच्छी तरह से निभाएंगे.
बता दें कि इससे पहले उत्तराखंड भाजपा में उपजे असंतोष के कारण त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार शाम 4 बजे राज्यपाल बेबी रानी मौर्या से मिलकर मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा उन्हें सौंप दिया था.
दरअसल प्रदेश के एक धड़े के नेताओं के रावत के नेतृत्व से नाराज होने की खबरें आई थीं और उनका मानना है कि रावत के नेतृत्व में पार्टी का भविष्य ठीक नहीं दिख रहा.
प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों ने छह मार्च की शाम तब जोर पकड़ लिया था जब भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और पार्टी मामलों के उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार सिंह अचानक देहरादून पहुंचे और कोर ग्रुप की बैठक हुई.
इसके बाद नई दिल्ली में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात कर मंगलवार को देहरादून लौटने के बाद रावत शाम सवा चार बजे राजभवन पहुंचे और उन्होंने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया था.
इस्तीफे की वजह जानने के लिए आपको दिल्ली जाना पड़ेगा: त्रिवेंद्र सिंह रावत
मंगलवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, ‘पार्टी ने सामूहिक रूप से यह निर्णय लिया है कि मुझे अब किसी और को यह मौका देना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘मैं अभी-अभी माननीय राज्यपाल को अपना त्यागपत्र सौंप कर आ गया हूं.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके चार वर्ष का कार्यकाल पूरा होने में केवल नौ दिन कम रह गए और उन्हें इतना ही मौका मिला.
यह पूछे जाने पर उनके इस्तीफे के पीछे क्या वजह रही, रावत ने कहा, ‘यह पार्टी का सामूहिक निर्णय होता है. इसका अच्छा जवाब पाने के लिए आपको दिल्ली जाना पड़ेगा.’
रावत ने अपने उत्तराधिकारी को शुभकामनांए भी दीं और कहा, ‘अब जिनको भी कल दायित्व दिया जाएगा, वह उसका निर्वहन करेंगे. मेरी उनके लिए बहुत शुभकामनाएं हैं. ‘
उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से राजनीति में काम कर रहे हैं और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक के रूप में काम करने से लेकर उन्होंने उत्तराखंड का मुख्यमंत्री पद संभालने से पहले पार्टी के संगठन मंत्री के रूप में भी काम किया.
मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी द्वारा दिए गए मौके को अपने ‘जीवन का स्वर्णिम अवसर’ बताते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल भाजपा में ही संभव हो सकता है कि एक छोटे-से गांव के अतिसाधारण परिवार में जन्मे एक साधारण पार्टी कार्यकर्ता को भी सम्मान और सेवा का मौका मिल सकता है.
रावत ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में स्वरोजगार के क्षेत्र में महिलाओं के उत्थान और उनके सशक्तिकरण के लिए, बच्चों की शिक्षा के लिए और किसानों के लिए तमाम योजनाएं बनाईं और अगर पार्टी चार वर्ष का मौका उन्हें नहीं देती तो वे इन्हें नहीं ला पाते.
महिलाओं को पति की पैतृक संपत्ति में खातेधार के रूप में उनकी हिस्सेदारी देने और मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना जैसे कार्यक्रमों को उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य के लिए उन्होंने सरकार की एक अतिसंवेदनशील पहल बताया.
संवाददाता सम्मेलन में रावत के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत, राज्य मंत्री धनसिंह रावत, विकासनगर विधायक और प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान, देहरादून कैंट के विधायक हरबंस कपूर और देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा भी मौजूद रहे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)