जम्मू कश्मीर प्रशासन के नए आदेश के तहत जिला विकास परिषद यानी डीडीसी के अध्यक्ष का दर्जा सचिव के बराबर कर दिया गया है. भाजपा समेत सभी पार्टियों के डीडीसी सदस्यों ने इस आदेश को वापस लेने की मांग की है.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में नवनिर्वाचित जिला विकास परिषद (डीडीसी) सदस्यों ने बीते मंगलवार को पार्टी लाइन से हटकर दो दिन की प्रशिक्षण कार्यशाला का बहिष्कार किया और बेहतर दर्जे तथा पारिश्रमिक की मांग को लेकर प्रदर्शन किया, जिसके बाद जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल को कार्यशाला का उद्घाटन सत्र निरस्त करना पड़ा.
आंदोलन कर रहे डीडीसी सदस्यों का भाजपा, कांग्रेस, माकपा और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस समेत अनेक राजनीतिक दलों ने समर्थन किया और उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से आग्रह किया कि उन्हें पर्याप्त अधिकार दिये जाएं.
केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासन ने डीडीसी अध्यक्ष को प्रशासनिक सचिवों के समकक्ष, उपाध्यक्षों को विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के समकक्ष और डीडीसी सदस्यों को जिला मजिस्ट्रेटों के समकक्ष बनाने का आदेश जारी किया था जिसके बाद डीडीसी सदस्यों ने प्रदर्शन किया.
सभी पार्टियों के डीडीसी सदस्यों ने एक सुर में इस आदेश को वापस लेने की मांग की है.
इसके चलते अब डीडीसी अध्यक्ष को प्रति महीने 35,000 रुपये, उपाध्यक्ष को 25,000 रुपये और सदस्यों को 15,000 रुपये मिलेंगे.
राफिआबाद के रोहामा से डीडीसी सदस्य शब्बीर अहमद लोन ने कहा, ‘यह (दर्जे तथा वेतन) हमारा अपमान है. हमने अपनी जान दांव पर लगाकर चुनाव लड़ा, लेकिन अब लगता है कि हमारा इस्तेमाल किया गया है.’
नेशनल कॉन्फ्रेंस से जुड़े शब्बीर ने कहा कि सरकार ने संस्थाओं का मजाक बनाकर रख दिया है. उन्होंने कहा, ‘जनता ने हमसे उम्मीदें लगा रखी हैं, लेकिन हम उनके लिए क्या कर सकते हैं जब हमारे पास शक्तियां ही नही हैं.’
रियासी से डीडीसी के अध्यक्ष सर्फ सिंह नाग ने कहा कि ‘नौकरशाही जम्मू कश्मीर पर अपनी सत्ता बरकरार रखना चाहती है.’
उन्होंने कहा, ‘हमसे वादा किया गया था कि जम्मू कश्मीर में डीडीसी मॉडल सेट अप किया जाएगा, लेकिन हमें वो दर्जा नहीं मिला है. अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में डीडीसी अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री या राज्य के मंत्री के बराबर का दर्जा मिलता है, लेकिन हमें नौकरशाहों के बराबर का दर्जा दिया जा रहा है.’
DDC protocol powers disappointment – humiliation. Problem is the new stakeholder created by the union Govt post August 5- BUREAUCRAT Ever powerful. He/she will never facilitate democracy. will c anybody elected by people as a threat. This is simple analysis. And no rocket science
— Sajad Lone (@sajadlone) March 9, 2021
बारामुला की डीडीसी अध्यक्ष सफीना बेग ने द वायर से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ये देखना चाहिए कि किस तरह जम्मू कश्मीर में संस्थाओं को मजबूत करने के उनके सपने को ‘नाकाम’ किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘पांच अगस्त 2019 के बाद जम्मू कश्मीर में डीडीसी चुनाव कराना केंद्र की पहली राजनीतिक पहुंच कार्यक्रम थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह सपना था कि जम्मू कश्मीर में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत किया जाए. लेकिन इस कदम ने जम्मू कश्मीर के लोगों को निराश किया है. मैं प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से अपील करती हूं कि वे इस दिशा में देखें. निर्वाचित डीडीसी सदस्यों के सम्मान के लिए उन्हें हस्तक्षेप करना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि प्रशासन का हालिया कदम ‘जम्मू कश्मीर की जनता के फैसले का अपमान है.’
बेग ने कहा, ‘ये हमारी खुद की सैलरी और सुविधाओं का सवाल नहीं है, बल्कि मुद्दा ये है कि यदि हमें शक्तियां ही नहीं दी जाएंगी तो हम किस तरह विकास कार्यों को लागू करेंगे? हमारी कौन सुनेगा जब हमारा दर्जा ही नीचे होगा.’
Strongly urged the Government to make immediate necessary changes in the precedence list so that the #DDC Chairmen, Vice-Chairmen and members do exercise their authority for which they have been chosen and authorized to work for the welfare of people.@INCIndia @rajanipatil_in pic.twitter.com/CQBi4O19xo
— Ghulam Ahmad Mir (@GAMIR_INC) March 9, 2021
केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना ने भी उपराज्यपाल को पत्र लिखकर डीडीसी सदस्यों को बेहतर दर्जा देने की मांग की है.
मालूम हो कि जून 2018 से ही जम्मू कश्मीर बिना किसी चुनी हुई सरकार के चल रहा है और केंद्र सरकार दिल्ली से उपराज्यपाल के जरिये इसे चला रही है. इस तरह पिछले ढाई साल से भी ज्यादा समय से जम्मू कश्मीर केंद्र के नियंत्रण में है.
अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद पिछले साल नवंबर-दिसंबर में डीडीसी चुनाव के रूप में यहां पहली बार कोई चुनाव हुआ था.