दिल्ली हाईकोर्ट ने महबूबा मुफ़्ती को ईडी के नोटिस पर रोक लगाई

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने ईडी के समक्ष पेश होने की वैधता को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर अदालत ने केंद्रीय एजेंसी से मुफ़्ती पर पेश होने का दबाव न बनाने को कहा है. मुफ़्ती ने बताया है कि उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग क़ानून के तहत समन जारी किए गए थे लेकिन संबद्ध मामले की कोई जानकारी नहीं दी गई.

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महबूबा मुफ़्ती. (फाइल फोटो: पीटीआई)

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने ईडी के समक्ष पेश होने की वैधता को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर अदालत ने केंद्रीय एजेंसी से मुफ़्ती पर पेश होने का दबाव न बनाने को कहा है. मुफ़्ती ने बताया है कि उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग क़ानून के तहत समन जारी किए गए थे लेकिन संबद्ध मामले की कोई जानकारी नहीं दी गई.

महबूबा मुफ़्ती. (फोटो: पीटीआई)
महबूबा मुफ़्ती. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय से कहा कि जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए 18 मार्च तक दबाव नहीं बनाया जाए, जब अदालत उनकी याचिका पर सुनवाई करेगी.

महबूबा की बेटी ने यह जानकारी दी. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भंबानी की खंडपीठ के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए आया.

अदालत ने ईडी से कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री पर 15 मार्च को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए दबाव न बनाएं. इस मामले में अब 18 मार्च को आगे सुनवाई होगी.

पीडीपी नेता की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि महबूबा ने 15 मार्च को ईडी के समक्ष पेश होने की वैधता को चुनौती दी थी. उन्होंने कहा कि याचिका में अदालत से ईडी का समन रद्द करने की गुजारिश की गई है.

मनी लॉन्ड्रिंग निवारण कानून के तहत समन जारी किए गए थे लेकिन नोटिस में इस बात का जिक्र नहीं था कि उन्हें किस मामले में उपस्थित होना है.

उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में महबूबा ने कहा कि उन्हें यह भी नहीं सूचित किया गया कि उन्हें आरोपी के तौर पर समन किया गया है या गवाह के तौर पर.

याचिका में कहा गया, ‘याचिकाकर्ता की न तो जांच की जा रही है और जानकारी के मुताबिक किसी मामले में वह आरोपी भी नहीं हैं.’

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, ईडी ने इसके बाद कहा कि वह मुफ़्ती पर निजी तौर पर पेश होने का दबाव नहीं बनाएगा.

याचिका में उन्होंने आरोप लगाए कि अनुच्छेद 370 समाप्त करने और एहतियातन हिरासत से रिहा करने के बाद ‘उनके, उनके परिचितों और पुराने पारिवारिक दोस्तों के खिलाफ कई शत्रुतापूर्ण कार्य किए गए हैं और इन सभी को ईडी की तरफ से समन जारी किया गया है…’

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती को हिरासत में लिया गया था और उसके एक वर्ष बाद उन्हें रिहा किया गया. ईडी ने उन्हें राष्ट्रीय राजधानी स्थित अपने मुख्यालय में पेश होने के लिए नोटिस जारी किया है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने पीएमएलए की धारा 50 को भी चुनौती दी जिसके तहत उन्हें समन किया गया और कहा कि यह धारा, अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता या भारत के अंदर कानून का बराबर संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (किसी भी व्यक्ति को कानून के प्रावधानों के अतिरिक्त जीवन या वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा) का उल्लंघन है.

इससे पहले महबूबा केंद्र सरकार पर जांच एजेंसियों को ‘हथियार’ की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगा चुकी हैं.  बीते दिसंबर में उन्होंने कहा था कि भाजपा को राजनीतिक तौर पर मुकाबला करना चाहिए और जांच एजेंसियों का दुरुपयोग बंद करना चाहिए.

मुफ्ती ने कहा था, ‘केंद्र सरकार ने बदले की जो कार्रवाई शुरू की, वह चरम पर पहुंच चुका है. पिछले दो साल में उन्होंने मेरी संपत्ति या मेरे नाम पर आवास सब चीजों को खंगाल लिया. जब उन्हें कुछ नहीं मिला तो उन्होंने मेरे परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और सहयोगियों के मकानों पर छापेमारी शुरू की. ईडी का दुरुपयोग किया जा रहा है. एनआईए और ईडी का इस्तेमाल हथियार के तौर पर किया जा रहा है.’

तब उन्होंने पीडीपी नेता वहीद पारा को आतंकी मामले में एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने का हवाला देते हुए कहा था कि भाजपा के पास सरकार है, कई सांसद हैं. अगर मुझसे लड़ना है तो एनआईए, ईडी और सीबीआई के जरिये नहीं राजनीतिक तौर पर मुकाबला करिए.’

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