वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने पेश आम बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा है. उन्होंने कहा था कि वर्ष 2021-22 में आईडीबीआई बैंक के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करने का प्रस्ताव है.
नई दिल्ली: सरकारी बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने 15 मार्च से दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है. यूएफबीयू नौ बैंक यूनियनों का संयुक्त मंच है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने पेश आम बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा है. सरकार ने अगले वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिये बड़ी राशि जुटाने का प्रस्ताव किया है.
सरकार इससे पहले आईडीबीआई बैंक में अपनी अधिकांश की हिस्सेदारी भारतीय जीवन बीमा निगम को बेच चुकी है. पिछले चार साल में सार्वजनिक क्षेत्र के 14 बैंकों का विलय किया जा चुका है.
ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएसन (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने एक वक्तव्य में कहा, ‘चार, नौ और 10 मार्च को मुख्य श्रम आयुक्त के साथ हुई समाधान बैठक में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला, इसलिए 15 और 16 मार्च 2021 को लगातार दो दिन हड़ताल का फैसला किया गया है. बैंकों के करीब 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी इसमें भाग लेंगे.’
भारतीय स्टेट बैंक सहित ज्यादातर बैंक अपने ग्राहकों को इस बारे में सूचित कर चुके हैं. हालांकि, बैंकों ने यह भी कहा है कि वह बैंक शाखाओं में कामकाज को सामान्य बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं.
यूनाइटेड फ्रंट और बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) में ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएसन (एआईबीईए) ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ बैंक एम्प्लॉइज (एनसीबीई) ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएसन (एआईबीओए) और बैंक एम्प्लॉइज कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) शामिल हैं.
बता दें कि सीतारमण ने पिछले महीने की शुरुआत में बजट 2021-22 पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) का निजीकरण करके विनिवेश के तहत 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की थी.
उन्होंने कहा था, ‘वर्ष 2021-22 में आईडीबीआई बैंक के अलावा हम दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करने का प्रस्ताव करते हैं.’
उसके बाद बीते 25 फरवरी को वित्त मंत्रालय ने निजी क्षेत्र के सभी बैंकों को कर संग्रह, पेंशन भुगतान और लघु बचत योजनाओं जैसे सरकार से जुड़े कामकाज में शामिल होने की अनुमति दे दी थी.
एक आधिकारिक बयान में कहा था कि इस कदम से ग्राहकों के लिए सुविधा बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा और ग्राहकों को मिलने वाली सेवाओं के मानकों में दक्षता बढ़ेगी.
वहीं, बैंक अधिकारियों के संगठनों ने निजी बैंकों को सरकारी कामकाज करने की अनुमति देने का विरोध किया था.
बैंक अधिकारियों के चार संगठनों ने अपने बयान में कहा था, ‘यह हास्यास्पद है कि निजी क्षेत्र के बैंकों को प्राथमिक क्षेत्र को कर्ज देने के नियम, ग्रामीण/छोटे कस्बों में शाखा विस्तार, कृषि कर्ज जैसे नियमों के मामले में छूट दी गई है. वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को प्राथमिक क्षेत्र को ऋण, कृषि क्षेत्र को कर्ज समेत विभिन्न नियमों का अनुपालन करना होता है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)