सुप्रीम कोर्ट ने गोवा सरकार के संबंध में यह आदेश दिया, जहां पिछले साल राज्य के क़ानून सचिव को नगरपालिका परिषद का चुनाव कराने के लिए राज्य का चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था. अदालत ने राज्य सरकारों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि राज्य चुनाव आयोग पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष होकर काम करें.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में कहा कि राज्य सरकार में नियुक्त किसी सरकारी कर्मचारी को राज्य का चुनाव आयुक्त नियुक्त नहीं किया जा सकता.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे यह सुनिश्चित करें कि राज्य का चुनाव आयोग पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष होकर काम करें.
जस्टिस आरएफ नरीमन की अगुवाई में एक पीठ ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत कुछ निर्देश जारी किए, जिसमें कहा गया कि सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश यह सुनिश्चित करें कि संविधान के अनुच्छेद 243 (4) के तहत राज्य में चुनाव आयुक्त स्वतंत्र होकर काम करें.
अदालत ने गोवा सरकार के संबंध में यह आदेश दिया, जहां पिछले साल राज्य के कानून सचिव को राज्य में नगरपालिका परिषद का चुनाव कराने के लिए राज्य का चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था.
यह मामला गोवा में नगरपालिका परिषद के चुनाव से जुड़ा हुआ है. दरअसल गोवा सरकार ने राज्य के हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने नगरपालिकाओं में कराए गए चुनावों को रद्द कर दिया था.
इसका कारण कानून के मुताबिक महिलाओं के लिए वॉर्ड्स को आरक्षित नहीं किया गया था. इसके बाद गोवा में बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष दायर नौ रिट याचिकाओं में इसे चुनौती दी गई थी.
राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में राज्य सरकार ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को जारी रखा.
अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को राज्य के कानून सचिव को राज्य का चुनाव आयुक्त नहीं बना सकता और नहीं बनाना चाहिए था. ऐसा करने से चुनाव की निष्पक्षता से समझौता हुआ है और कानून का मखौल बन गया है.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह विशेष तथ्यों के साथ विशेष मामला है. चुनाव प्रक्रिया में दखल नहीं की जानी चाहिए और इस पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए.
अदालत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व किया जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता आत्माराम एनएस नंदकर्णी, सैल्वाडोर संतोष रेबैलो, सैल्वाडोर राघव एंड कंपनी ने गोवा फॉरवर्ड पार्टी के वादियों का प्रतिनिधित्व किया.