झारखंड सरकार की रोज़गार नीति के अनुसार, यह आरक्षण 30,000 रुपये प्रति महीने तक के वेतन वाली नौकरियों पर लागू होगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसकी घोषणा आगामी विधानसभा सत्र के दौरान करेंगे. इसके अलावा बेरोज़गारों को एक वर्ष के लिए राज्य सरकार की ओर से पांच हज़ार रुपये प्रति माह भत्ता दिया जाएगा.
नई दिल्लीः हरियाणा के बाद झारखंड में भी निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय युवकों को आरक्षण देने का रास्ता साफ हो गया है. इसके लिए स्थानीय लोगों के लिए निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण मिलेगा.
यह आरक्षण 30,000 रुपये प्रति महीने तक के वेतन वाली नौकरियों पर लागू होगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े करीबी सूत्र ने यह जानकारी दी.
झारखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय के शीर्ष सूत्र के मुताबिक, ‘मुख्यमंत्री नई नीति की घोषणा विधानसभा सत्र के अगले हफ्ते संभावित रूप से 17 तारीख को करेंगे. अभी कुछ औपचारिकताएं करना बाकी हैं, जिनकी घोषणा भी विधानसभा में की जाएगी.’
मुख्यमंत्री सोरेन पहले कह चुके थे कि सरकार स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण नीति तैयार कर रही थी.
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, मई 2020 में कोरोना महामारी के दौरान झारखंड में बेरोजगारी दर बढ़कर 59.2 फीसदी हो गई थी, लेकिन यह जनवरी 2021 में गिरकर 11.3 फीसदी हो गई थी. जनवरी 2020 में राज्य में बेरोजगारी दर 10.6 फीसदी थी.
शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में इसके अलावा और भी कई प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है.
बता दें कि कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने दिल्ली में झारखंड इंडस्ट्रियल एंड इंवेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी 2021 को लेकर हितधारकों से चर्चा की थी. उस दौरान राज्य सरकार ने फिक्की के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे.
प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार, इस नए कानून के मुताबिक राज्य में सभी प्रकार की औद्योगिक इकाइयों, फैक्ट्री, संयुक्त उद्यम समेत पीपीपी मोड में चल रही सभी परियोजनाओं में 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय लोगों को देनी होंगी, जबकि 25 प्रतिशत सीट पर अन्य लोगों को रख सकेंगे.
नए नियम के मुताबिक कंपनियों को कानून लागू होने के तीन वर्ष के भीतर इन प्रावधानों का पालन करना होगा और एक नोडल एजेंसी को तीन माह में रिपोर्ट देनी होगी.
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विधानसभा चुनाव 2019 के घोषणा पत्र में भी निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को नियुक्त करने के लिए रोजगार अधिकार कानून बनाने की बात कही थी.
रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना के तहत बेरोजगारों को भत्ता दिया जाएगा. इसके लिए भी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था.
प्रस्ताव के अनुसार, शहरी एवं ग्रामीण बेरोजगार युवा, जो किसी भी कौशल प्रशिक्षण या व्यावसायिक पाठयक्रम से उत्तीर्ण हों और राज्य के किसी भी नियोजनालय में निबंधित हों, उन्हें योजना के तहत एक वर्ष के लिए राज्य सरकार द्वारा पांच हजार रुपये प्रति माह दिए जाएंगे. इसमें विधवा, परित्यक्ता, आदिम जनजाति, दिव्यांगों के लिए अतिरिक्त 50 प्रतिशत राशि यानी 7500 रुपये दिए जाएंगे.