हरियाणा सरकार ने इस महीने की शुरुआत में निजी क्षेत्र की नौकरियों में राज्य के युवाओं के लिए 75 फीसदी आरक्षण देने वाले क़ानून को मंज़ूरी दी थी. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि यह क़ानून कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है.
चंडीगढ़ः एक औद्योगिकी इकाई ने हरियाणा सरकार की स्थानीय युवाओं को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण देने के मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की पीठ 15 मार्च को इस कानून के खिलाफ एक औद्योगिक इकाई द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगी.
रोहतक स्थित एके ऑटोमैटिक्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ‘हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार विधेयक, 2020’ पर रोक लगाने की मांग की है.
याचिका में कहा गया कि यह कानून कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि निजी क्षेत्र की नौकरियां विशुद्ध रूप से योग्यता और कौशल पर आधारित होती हैं, जो शिक्षा के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने की योग्यता रखते हैं.
याचिका के मुताबिक, ‘सरकार का यह फैसला योग्यता के साथ अन्याय है.’
याचिका के मुताबिक, ‘यह एक्ट कर्मचारियों के शिक्षा कौशल या उनकी मानसिक क्षमता के आधार के बजाय डोमिसाइल पद्धति के जरिये निजी क्षेत्र में नौकरियों को हासिल करने का प्रयास है, जिससे मौजूदा औद्योगिक रोजगार संरचना में अराजकता पैदा होगी.’
याचिका में कहा गया, ‘यह कानून केंद्र सरकार के एक भारत, श्रेष्ठ भारत की नीति के विपरीत है. इसके साथ ही इससे कोरोना के बाद निजी क्षेत्र में सुधार बाधित होगा और कुछ निजी क्षेत्र की इकाइयों को अपने कार्यालय अन्य राज्यों में स्थानांतरित करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.’
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित यह कानून योग्य कर्मचारियों और स्थानीय निवास के आधार कर्मचारी के रूप में अधिकार होने का दावा करने वाले स्थानीय लोगों के बीच अनुचित प्रतिस्पर्धा का काम करता है.
याचिका में यह भी कहा गया कि यह कानून असंवैधानिक है और संविधान की धारा 14, 15, 16 (2) 16 (3), 19(1) (जी) और 21 के मिलीं आवश्यक्ताओं को पूरा करने के लिए सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.
बता दें कि हरियाणा सरकार ने इस महीने की शुरुआत में निजी क्षेत्र की नौकरियों में राज्य के युवाओं के लिए 75 फीसदी आरक्षण देने वाले कानून को मंजूरी दी थी, जिसके तहत निजी क्षेत्र की ऐसी नौकरियों में स्थानीय युवाओं के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया है, जिनका वेतन प्रति माह 50,000 रुपये से कम है.