एंटीलिया विस्फोटक मामला: एनआईए ने पुलिस अधिकारी को 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ़्तार किया

बीते 25 फरवरी को उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से लदी एसयूवी कार मिली थी. इसके दस दिन बाद कार के मालिक और कारोबारी मनसुख हिरेन का शव ठाणे में मिला. हिरेन की पत्नी ने मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे पर पति की संदिग्ध मौत मामले में संलिप्त होने के आरोप लगाए हैं.

सचिन वझे. (फोटो साभार: ट्विटर)

बीते 25 फरवरी को उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से लदी एसयूवी कार मिली थी. इसके दस दिन बाद कार के मालिक और कारोबारी मनसुख हिरेन का शव ठाणे में मिला. हिरेन की पत्नी ने मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे पर पति की संदिग्ध मौत मामले में संलिप्त होने के आरोप लगाए हैं.

मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे. (फोटो: पीटीआई)
मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे. (फोटो: ट्विटर)

मुंबई: उद्योगपति मुकेश अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित आवास के पास विस्फोटकों से लदी एक एसयूवी मिलने के मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे को 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ करने के बाद शनिवार रात गिरफ्तार कर लिया. यह जानकारी जांच एजेंसी के प्रवक्ता ने दी.

वझे, दक्षिण मुंबई में कंबाला हिल स्थित एजेंसी के दफ्तर में दिन में करीब 11:30 बजे अपना बयान दर्ज कराने के लिए पहुंचे थे.

एनआईए के प्रवक्ता ने कहा, ‘सचिन वझे को रात 11 बजकर 50 मिनट पर एनआईए मामला आरसी/1/2021/एनआईए/एमयूएम में गिरफ्तार कर लिया गया.’

कार्माइकल रोड स्थित अंबानी के आवास के पास खड़ी एक एसयूवी (स्कॉर्पियो) में 25 फरवरी को जिलेटिन की कुछ छड़ें और एक धमकी भरा पत्र मिला था.

एनआईए ने कहा कि वझे को 25 फरवरी को विस्फोटकों से भरा वाहन खड़ा करने में भूमिका निभाने और इसमें संलिप्त रहने को लेकर गिरफ्तार किया गया.

‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ वझे, ठाणे निवासी व्यवसायी मनसुख हिरेन की मौत मामले में भी सवालों के घेरे में हैं.

हिरेन ने दावा किया था कि कार उनकी है, लेकिन घटना से एक हफ्ते पहले वह चोरी हो गई थी. इस मामले में उस समय पेंच आया जब हिरेन पांच मार्च को ठाणे में एक नदी के किनारे मृत पाए गए थे.

हिरेन की पत्नी ने दावा किया कि उनके पति ने एसयूवी पिछले साल नवंबर में वझे को दी थी और उन्होंने फरवरी के पहले हफ्ते में यह कार लौटाई थी. हालांकि, वझे ने इससे इनकार किया है.

आतंकवाद रोधी दस्ता (एटीएस) हिरेन मामले की जांच कर रहा है. हिरेन का शव मिलने के कुछ दिनों बाद एटीएस ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.

शनिवार को वझे का बयान दर्ज करते हुए एनआईए ने एसयूवी मिलने और हिरेन की कथित हत्या के मामलों में अब तक की गई जांच के बारे में जानकारी साझा करने के लिए अपराध शाखा के एसीपी नितिन अलकनुरे और एटीएस एसीपी श्रीपद काले को बुलाया था. अलकनुरे और काले करीब चार घंटे बाद एनआईए कार्यालय से चले गए.

हिरेन की पत्नी ने मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे पर पति की संदिग्ध मौत मामले में संलिप्त होने के आरोप लगाए हैं. इसी हफ्ते वझे को मुंबई अपराध शाखा से हटा दिया गया था.

अदालत ने वझे को अंतरिम जमानत देने से किया इनकार

कारोबारी मनसुख हिरेन की मौत के मामले में विवादों में घिरे पुलिस अधिकारी सचिन वझे की मुश्किलें बढ़ गई हैं. ठाणे की एक सत्र अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया और इस बात का जिक्र किया कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया साक्ष्य हैं.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र ताम्बे ने वझे को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ करने की जरूरत है. अदालत के इस आदेश की प्रति शनिवार को उपलब्ध कराई गई.

आदेश में कहा गया है, ‘यह अदालत आवेदक (वझे) को अंतरिम जमानत देने के लिए सहमत नहीं है, क्योंकि आवेदक के विरूद्ध प्रथमदृष्टया साक्ष्य और सामग्री हैं. हिरासत में लेकर उससे पूछताछ करने की जरूरत है. ’

वझे ने अग्रिम जमानत के लिए शुक्रवार को याचिका दायर की थी.

वझे के वकील एएम कालेकर ने शुक्रवार को इस आधार पर अदालत से अपने मुवक्किल को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने का अनुरोध किया था कि वह जांच में सहयोग कर रहे हैं.

लेकिन अतिरिक्त सरकारी वकील विवेक काडू ने इस अनुरोध का विरोध किया और दलील दी कि इस मामले में जांच अहम पड़ाव पर है.

अंतरिम जमानत देने से इनकार करते हुए अदालत ने कहा कि इस मामले में आरोप आईपीसी की धाराओं- 302 (हत्या), 201 (सबूत नष्ट करना) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत हैं, जो गंभीर प्रकृति के अपराध हैं.

अदालत ने कहा, ‘इस अदालत ने पाया कि 27-28 फरवरी, 2021 को मनसुख हिरेन मुंबई में आवेदक के साथ थे.’

उसने कहा कि हिरेन की पत्नी ने अपनी शिकायत में वझे का नाम लिया है.

अदालत ने कहा, ‘सूचनाकर्ता (हिरेन की पत्नी) ने प्राथमिकी में आवेदक के खिलाफ प्रत्यक्ष आरोप लगाए हैं. इसलिए यह अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि जांच शुरुआती चरण में है.’

अदालत ने याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 19 मार्च तय की है और महाराष्ट्र के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) के जांच अधिकारी को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. एटीएस इस मामले की जांच कर रहा है.

वझे ने याचिका में कहा है कि हिरेन की मौत के संबंध में एटीएस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में किसी व्यक्ति के नाम का उल्लेख नहीं है.

वझे ने प्राथमिकी को ‘निराधार और उद्देश्यहीन’ बताया और कहा कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है.

उन्होंने दावा किया कि जब हिरेन लापता हुए थे और उनकी कथित रूप से हत्या की गई थी, तब वह (वझे) दक्षिणी मुंबई के डोंगरी इलाके में थे.

वझे ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 438 के तहत ठाणे के जिला सत्र अदालत में याचिका दायर की है. इस धारा के तहत कोई भी व्यक्ति किसी मामले में गिरफ्तारी की आशंका होने पर अग्रिम जमानत का अनुरोध कर सकता है.

वझे ने याचिका में कहा कि हिरेन की पत्नी की शिकायत संदेह पर आधारित है और निराधार है.

याचिका में कहा गया, ‘अपराध के संबंध में प्राथमिक सूचना देने वाले व्यक्ति के खोखले शक के आधार पर किसी नागरिक की गिरफ्तारी को जायज नहीं ठहराया जा सकता.’

उल्लेखनीय है कि हिरेन की पत्नी ने वझे पर उनके पति की संदिग्ध मौत में संलिप्त होने का आरोप लगाया है. वझे को बुधवार को मुंबई अपराध शाखा से हटा दिया गया था.

वझे की याचिका में कहा गया है कि उनके विरूद्ध अभियोजन योग्य साक्ष्य नहीं हैं और इस मामले में उन्हें आरोपी के रूप में नामजद भी नहीं किया गया है.

याचिका में कहा गया है, ‘आवेदनकर्ता (वझे) ठाणे में लंबे समय से रह रहा है. वह मृतक का ग्राहक या परिचित होता तब भी केवल प्राथमिकी के आधार पर उसका मकसद सिद्ध नहीं किया जा सकता.’

एटीएस ने इस सप्ताह की शुरुआत में वझे का बयान दर्ज किया.

वझे ने याचिका में कहा कि आठ मार्च को एटीएस के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे सघन पूछताछ की और तब उन्होंने कहा कि प्रासंगिक समय (जब हिरेन की कथित रूप से हत्या की गई) के दौरान वह दक्षिण मुंबई में थे.

याचिका में कहा गया, ‘चार मार्च को पूरे दिन आवेदनकर्ता दक्षिण मुंबई में था. इसके बाद चार और पांच मार्च की दरम्यानी रात को आवेदनकर्ता को डोंगरी क्षेत्र में देखा गया. यह डोंगरी थाने की स्टेशन डायरी में दर्ज है जिससे कथित तथ्य का सत्यापन होता है.’

अपराध शाखा में सहायक पुलिस निरीक्षक रहे वझे का तबादला मुंबई पुलिस की नागरिक सुविधा केंद्र शाखा में किया गया है.

इस बीच शनिवार को अपने वॉट्सऐप स्टेट्स मैसेज में वझे ने लिखा, ‘दुनिया को अलविदा कहने का समय नजदीक आ रहा है.’

उसमें लिखा गया है, ‘तीन मार्च, 2004 को सीआईडी के साथी अधिकारियों ने एक झूठे मामले में मुझे गिरफ्तार किया था. वह गिरफ्तारी अब तक बेनतीजा है. मुझे लग रहा है कि इतिहास दोहराया जा रहा है. मेरे साथी अधिकारी मुझे गलत ढंग से फंसाने की कोशिश में हैं. परिदृश्य में बस थोड़ा सा फर्क है. तब शायद मेरे पास 17 सालों के लिए उम्मीद, धैर्य, जीवन और सेवा थी. अब मेरे पास न तो 17 साल की और जिंदगी है, न ही सेवा है और न ही जिंदा रहने का धैर्य है. मैं सोचता हूं कि दुनिया को अलविदा कहने का समय नजदीक आ रहा है.’

भाजपा ने सचिन वझे के निलंबन की मांग की

महाराष्ट्र की एक अदालत द्वारा मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे को अंतरिम जमानत देने से इनकार करने के बाद शनिवार को विपक्षी भाजपा ने वझे को पुलिस बल से निलंबित करने की मांग की.

राज्य की ‍विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दारेकर ने एक बयान में कहा, ‘सहायक पुलिस निरीक्षक वझे यदि निर्दोष हैं तो उन्हें अदालत नहीं जाना चाहिए था. इसका मतलब है कि कोई ठोस कारण रहा होगा कि सत्र अदालत ने वझे की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी.’

भाजपा नेता अतुल भटखलकर ने कहा कि वझे को आभास हो गया है कि उनका हाल भी अतीत में बलि का बकरा बनाए गए कुछ अधिकारियों की तरह हो सकता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)