केंद्र सरकार ने अपनी संपत्तियों की बिक्री कर ढाई लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना तैयार की है, जिसके तहत वह पहले से निजीकृत इन हवाई अड्डों में अपनी शेष हिस्सेदारी भी बेचना चाह रही है. इसके अलावा 13 अन्य हवाई अड्डों के निजीकरण की भी तैयारी है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और हैदराबाद हवाई अड्डों में अपनी बची हिस्सेदारी बेचने की योजना तैयार की है. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी.
केंद्र सरकार ने संपत्तियों की बिक्री कर 2.5 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना तैयार की है. इसी के तहत इन हवाई अड्डों में सरकार अपनी शेष हिस्सेदारी भी बेचना चाह रही है.
ये हवाई अड्डे पहले से निजीकृत हैं. हालांकि इनमें विमानपत्तन प्राधिकरण के माध्यम से सरकार की कुछ हिस्सेदारी अभी बची है.
पिछले महीने सचिवों की अधिकारी प्राप्त समिति की हुई चर्चा से अवगत दो लोगों ने बताया कि इन चारों हवाई अड्डों में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) की शेष हिस्सेदारी बेचने के साथ ही 13 अन्य हवाईअड्डों के निजीकरण की भी तैयारी है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 8 फरवरी को आयोजित एसेट मोनेटाइजेशन (सीजीएएम) के लिए कोर ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज़ की बैठक में एक अपडेट प्रदान किया गया था कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 13 एएआई हवाई अड्डों की पहचान की है, जिन्हें ओएमडीए (संचालन/प्रबंधन) के माध्यम से विमुद्रीकृत किया जाएगा.
हालांकि, पैकेज को आकर्षक बनाने के लिए लाभदायक और गैर-लाभकारी हवाई अड्डों की क्लबिंग का पता लगाने का प्रस्ताव किया गया था.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और हैदराबाद हवाई अड्डों का संचालन कर रहे संयुक्त उपक्रमों में एएआई की इक्विटी हिस्सेदारी के विभाजन के लिए अपेक्षित मंजूरी प्राप्त करेगा.
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को अगले कुछ दिनों में मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजे जाने की संभावना है.
सूत्रों ने कहा कि निजीकरण के लिए पहचाने गए 13 एएआई हवाई अड्डों के प्रस्ताव को अधिक आकर्षक बनाने के लिए मुनाफे वाले और गैर मुनाफे वाले हवाई अड्डों को मिलाकर पैकेज तैयार किया जाएगा.
वर्तमान में एएआई के पास दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों में 26 प्रतिशत, हैदराबाद में 13 प्रतिशत और बेंगलुरु में 13 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इन चार हवाई अड्डों के अलावा, एएआई की नागपुर में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी, कन्नूर में 7.47 प्रतिशत और चंडीगढ़ में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में जीएमआर समूह के पास 54 प्रतिशत, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के पास 26 प्रतिशत, जबकि फ्रापोर्ट एजी तथा एरमान मलेशिया के पास 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
एएआई के पास आंध्र प्रदेश सरकार के साथ हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड में 26 प्रतिशत और कर्नाटक सरकार के साथ बैंगलोर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में भी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत काम करने वाला एएआई देश भर में 100 से अधिक हवाई अड्डों का मालिक है और उनका प्रबंधन करता है. मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में अडाणी समूह की 74 प्रतिशत हिस्सेदारी है, शेष 26 प्रतिशत हिस्सेदारी एएआई के पास है.
बता दें कि सरकार ने नवंबर, 2018 में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) द्वारा परिचालित किए जाने वाले छह हवाई अड्डों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चलाने की अनुमति दी थी. इसके लिए मंगाई गईं बोलियां 25 फरवरी , 2019 को खोली गई थीं.
सभी छह- अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम, लखनऊ, मेंगलुरु, जयपुर और गुवाहाटी हवाई अड्डों के परिचालन के लिए अडाणी समूह ने सबसे ऊंची बोली लगाई थी और संचालन के अधिकार हासिल किए थे.
साल 2019 में केंद्रीय कैबिनेट ने अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलुरु हवाईअड्डों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत 50 सालों के लिए अडाणी समूह को देने के नागरिक विमानन मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी.
इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल 19 अगस्त को जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डों को पट्टे पर अडाणी समूह को देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे को अडाणी समूह को सौंपे जाने के खिलाफ केरल की विधानसभा ने प्रस्ताव पारित किया था.
इससे पहले केरल सरकार ने तिरुवंनतपुरम हवाई अड्डा अडाणी इंटरप्राइजेज को पट्टे पर देने पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)