पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के जदयू में विलय से पहले ही बीते शुक्रवार को दल में फूट पड़ गई थी और 30 से अधिक राज्य और ज़िला स्तर के पदाधिकारी राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए थे.
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के जदयू में विलय के बाद रविवार को कुशवाहा को तत्काल प्रभाव से पार्टी के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया.
पटना स्थित जदयू के प्रदेश मुख्यालय में रविवार को आयोजित एक समारोह के दौरान जदयू में रालोसपा के विलय पर खुशी जाहिर करते हुए नीतीश ने उक्त घोषणा की.
इससे पहले अपनी पुरानी पार्टी जदयू मुख्यालय पहुंचे कुशवाहा का नीतीश ने गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया.
रालोसपा के जदयू में विलय को लेकर आयोजित मिलन समारोह में भाग लिया। pic.twitter.com/zFUivSafKt
— Nitish Kumar (@NitishKumar) March 15, 2021
हाल ही में विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने से चूकी जदयू के प्रमुख नीतीश ने कहा कि चुनाव के बाद से इसको लेकर बातचीत चल रही थी.
कुशवाहा के अपने साथ आने पर नीतीश ने कहा, ‘हम पहले भी साथ थे. अब भी हम एक हैं और एकसाथ मिलकर प्रदेश और देश की सेवा करेंगे.’
इस अवसर पर जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, संजय कुमार झा और वशिष्ठ नारायण सिंह तथा तथा अब भंग हो गई रालोसपा के नेता माधव आनंद और फज़ल इमाम मल्लिक भी उपस्थित थे.
इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश के करीबी सहयोगियों में से एक अशोक चौधरी ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि सभी यह समझ रहे हैं कि आगे का राजनीतिक भविष्य नीतीश कुमार के ब्रांड में ही है.
हाल के दिनों में कई लोग दूसरे दल छोड़कर जदयू में शामिल हुए हैं. उपेंद्र कुशवाहा की वापसी एक और अध्याय जोड़ती है. भविष्य में कई और लोग भी इसका अनुसरण कर सकते हैं.
बिहार व देश की जनभावनाओं का सम्मान करते हुए रालोसपा के सभी समर्पित एवं संघर्षवान साथियों के साथ बड़े भाई, आदरणीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी की उपस्थिति में घर वापसी। सामाजिक न्याय एवं लोकसमतावादी विचारधाराओं के साथ लोगों का विकास हो, इसके लिए सदैव तत्पर और समर्पित रहेंगे । pic.twitter.com/eHwtSBaZqX
— Upendra Kushwaha (@UpendraKushRLJD) March 14, 2021
लोकदल के अलावा नीतीश के दल समता पार्टी और बाद में जदयू में रहे कुशवाहा जब 2004 में पहली बार विधायक बनकर आए तो कई वरिष्ठ विधायकों की नजरंअदाज करके नीतीश ने उन्हें बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाया था.
नीतीश कुर्मी समाज से आते हैं वहीं कुशवाहा कोयरी समाज से हैं. ऐसी चर्चा रही है कि नीतीश ने यह कदम कुर्मी और कुशवाहा (लव-कुश) जातियों के साथ एक शक्तिशाली राजनीतिक साझेदारी को ध्यान में रखकर किया था.
2013 में जदयू के राज्यसभा सदस्य रहे कुशवाहा ने विद्रोही तेवर अपनाते हुए जदयू ने नाता तोड़कर रालोसपा नामक नई पार्टी का गठन कर लिया तथा 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत राजग का हिस्सा बन गए. इस चुनाव बाद कुशवाहा नरेंद्र मोदी सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री बनाए गए थे.
जुलाई 2017 में जदयू की राजग में वापसी ने समीकरणों को एक बार फिर बदल दिया और रालोसपा ने इस गठबंधन ने नाता तोड़कर राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा बन गए थे.
2019 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा ने काराकाट और उजियारपुर लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार मिली.
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कुशवाहा ने महागठबंधन से नाता तोड़कर मायावती की बसपा और एआईएमआईएम के साथ नया गठबंधन बनाकर यह चुनाव लड़ा.
विधानसभा चुनाव में रालोसपा प्रमुख कुशवाहा को उनके गठबंधन द्वारा मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया था पर इनके गठबंधन में शामिल हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में जहां पांच सीट जीत पायी थी वहीं रालोसपा एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही थी.
विलय से पहले रालोसपा के 30 से अधिक पदाधिकारी राजद में शामिल हुए
पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के जदयू में विलय से पहले ही बीते शुक्रवार को उसमें फूट पड़ गई थी और उसके 30 से अधिक राज्य एवं जिला स्तर के पदाधिकारी राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए थे.
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव की मौजूदगी में उनकी पार्टी में शामिल होने वाले रालोसपा के नेताओं में राज्य के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र कुशवाहा, राज्य के प्रधान महासचिव निर्मल कुशवाहा और राज्य की महिला प्रकोष्ठ प्रमुख मधु मंजरी मेहता शामिल हैं.
रालोसपा छोड़ने वाले 35 सदस्यों में से अधिकतर बिहार और पड़ोसी सूबे झारखंड के राज्य स्तर के पदाधिकारी हैं. इनमें से अधिकतर पदाधिकारी मुंगेर और पटना जिले से हैं.
रालोसपा पार्टी के संस्थापकों सहित प्रमुख वरिष्ठ नेताओं द्वारा श्री उपेंद्र कुशवाहा जी को पार्टी से बर्खास्त कर रालोसपा का राजद में विलय करने पर सभी का हार्दिक स्वागत। pic.twitter.com/SvcQCEYmTC
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) March 14, 2021
शिक्षा जैसे मुद्दों पर पिछले कुछ वर्षों में नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ रालोसपा के विरोध को याद करते हुए, तेजस्वी यादव ने कहा, ‘शायद कुशवाहा के विचार अब अचानक बदल गए हैं.’
यादव ने ट्वीट कर कहा, ‘रालोसपा के संस्थापकों, प्रमुख नेताओं व पदाधिकारियों ने रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा जी को निष्कासित कर पार्टी का आज राजद में विलय कर दिया. प्रदेश की राजनीति में यह एक बड़ा बदलाव है. उपेंद्र कुशवाहा जी अब अकेले रह गए है. उनकी पार्टी अब राजद का हिस्सा बन चुकी है.’
रालोसपा के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता माधव आनंद ने इसकी आलोचना की थी.
कुशवाहा के प्रमुख सहयोगी आनंद ने एक बयान में कहा था, ‘रालोसपा पहले की तरह अटूट है और पार्टियां कुछ कमजोर सैनिकों के चले जाने से कमजोर नहीं होती हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)