प्रदर्शनस्थल के पास पक्की दीवार बनाने, बोरवेल की खुदाई को लेकर किसानों के ख़िलाफ़ केस दर्ज

सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थल पर नज़दीक इस संबंध में किसानों के ख़िलाफ़ दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं. मामला सामने आने के बाद नए कृषि क़ानूनों के विरोध में प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलनरत किसानों से दिल्ली की सीमाओं पर स्थायी ढांचे नहीं बनाने की अपील की है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थल पर नज़दीक इस संबंध में किसानों के ख़िलाफ़ दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं. मामला सामने आने के बाद नए कृषि क़ानूनों के विरोध में प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलनरत किसानों से दिल्ली की सीमाओं पर स्थायी ढांचे नहीं बनाने की अपील की है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

सोनीपत/नई दिल्ली: हरियाणा के सोनीपत जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर कथित तौर पर पक्की दीवार खड़ी करने और एक बोरवेल की खुदाई करने को लेकर पुलिस ने किसानों के खिलाफ दो अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं.

यह स्थान दिल्ली से लगे सिंघू बॉर्डर के नजदीक स्थित है, जो केंद्र के नए कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का एक मुख्य आंदोलन स्थल है.

कुंडली थाना प्रभारी एवं पुलिस निरीक्षक रवि कुमार ने रविवार को फोन पर बताया, ‘एनएच-44 पर पक्की दीवार खड़ी करने और एक बोरवेल की खुदाई करने वालों के खिलाफ दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं.’

उन्होंने बताया कि ये मामले भारतीय दंड संहिता और राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत दर्ज किए गए हैं. इस सिलसिले में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और स्थानीय नगर निकाय अधिकारियों से शिकायतें मिली थीं.

उन्होंने बताया कि पक्की दीवार खड़ी करना और बोरवेल की खुदाई का कार्य अवैध रूप से किया जा रहा.

कुमार ने कहा कि मामला दर्ज होने के बाद ईंट की दीवार खड़ी कर स्थायी ढांचा खड़ा करने और बोरवेल की खुदाई का कार्य रोक दिया गया है.

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कुछ किसानों ने सिंघू बॉर्डर प्रदर्शन स्थल के पास ईंट की दीवार खड़ी कर पक्का ढांचा निर्मित करने का कार्य शुरू किया था.

हाड़ कंपाने वाले सर्द मौसम और भारी बारिश का सामना करने के बाद अब प्रदर्शनकारी किसान चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी से बचने के लिए यह ढांचा तैयार कर रहे हैं.

हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी किसान तीन महीने से अधिक समय से दिल्ली के सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. इनमें से ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं.

वे कृषि कानूनों को रद्द करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सिंघू बॉर्डर के अलावा टिकरी बॉर्डर पर भी ऐसे निर्माण किए गए हैं. 12 मार्च को टिकरी बॉर्डर पर पहला ऐसा स्थायी ढांचा नजर आया था. खिड़की से कृत्रिम हरा तोता बांधकर गृह प्रवेश के रूप में चिह्नित किया गया था.

इसे बनाने वाले 30 वर्षीय रोहताश गिल ने बताया था, हमारे गांवों में गृह प्रवेश के दौरान इस तरह का रिवाज है. 10 से 12 लोगों ने मिलकर दो दिन में यह घर तैयार किर दिया है.

इसे बनाने की अनुमति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसी कोई अनुमति नहीं मिली है और दावा किया कि किसी ने भी अभी इस पर आपत्ति नहीं जताई है.

बीते शनिवार को 100 मीटर की दूरी पर एक दूसरा घर भी बनाया जा रहा था. तकरीबन 20 किसान एक के ऊपर एक ईंट रख रहे थे.

दिल्ली में प्रदर्शन स्थलों पर स्थायी ढांचे नहीं बनाए जाए: संयुक्त किसान मोर्चा

नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने आंदोलनरत किसानों से दिल्ली की सीमाओं पर स्थायी ढांचे नहीं बनाने की रविवार को अपील की.

इस संबंध में हरियाणा पुलिस ने किसानों के खिलाफ दो मामले दर्ज किए हैं. इसके बाद चालीस से अधिक किसान यूनियनों का संगठन संयुक्त किसान मोर्चा का यह बयान आया है.

बयान में कहा गया कि मोर्चा की बैठक के दौरान यह निर्णय हुआ कि प्रदर्शनकारी प्रदर्शन स्थलों पर कोई स्थायी निर्माण कार्य नहीं करेंगे.

वक्तव्य में यह भी कहा गया कि एसकेएम के कई नेता पश्चिम बंगाल गए हैं, जहां वे अपने आंदोलन के समर्थन में प्रचार करेंगे और मतदाताओं से ‘किसान विरोधी’ भाजपा को वोट नहीं देने की अपील करेंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)