साल 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन और नकली नोटों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से नोटबंदी की ऐतिहासिक घोषणा की थी. तब 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर किया गया था. इसके बाद सरकार ने 500 तथा 2,000 रुपये के नए नोट जारी किए थे.
नई दिल्ली: भारत में सबसे अधिक कीमत वाले नोट की मात्रा में कमी आने के बावजूद पिछले दो सालों में दो हजार रुपये के नोट की छपाई नहीं हुई है. सोमवार को लोकसभा में यह जानकारी दी गई.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, एक लिखित जवाब में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि 30 मार्च, 2019 तक दो हजार रुपये के 33,620 लाख नोट सर्कुलेशन में थे, जबकि 26 फरवरी, 2021 के तक दो हजार रुपये के सिर्फ 24,990 लाख नोट सर्कुलेशन में बचे थे.
उन्होंने कहा, सरकार द्वारा जनता की लेन-देन की मांग को पूरा करने के लिए वांछित मूल्यवर्ग मिश्रण को बनाए रखने के लिए आरबीआई के परामर्श से एक विशेष मूल्य वर्ग के बैंक नोटों की छपाई का निर्णय लिया गया है. वर्ष 2019-20 और 2020-21 के दौरान 2,000 रुपये मूल्य वर्ग के नोटों की छपाई के लिए प्रेस के साथ कोई मांग-पत्र नहीं रखा गया है.
आरबीआई ने 2019 में कहा था कि वित्त वर्ष 2016-17 (अप्रैल 2016 से मार्च 2016) के दौरान 2,000 रुपये के 35,429.91 लाख नोट छापे गए थे.
हालांकि 2017-18 में केवल 1,115.07 लाख नोट छापे गए थे, जो वर्ष 2018-19 में घटकर 466.90 लाख नोट हो गए. अप्रैल 2019 से 2,000 रुपये के नए नोट नहीं छापे गए.
इस कदम को अधिक मूल्य वाले मुद्रा की जमाखोरी को रोकने और इस प्रकार काले धन पर अंकुश लगाने के प्रयास के रूप में देखा जाता है.
हालांकि, ठीक एक साल पहले वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने एक सवाल के लिखित जवाब में लोकसभा में कहा था कि सरकार के पास 2000 रुपये के बैंक नोट को प्रचलन से वापस लेने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
बता दें कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन और नकली नोटों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से नोटबंदी की ऐतिहासिक घोषणा की थी. तब 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर किया गया था. इसके बाद सरकार ने 500 व 2000 रुपये के नए नोट जारी किए थे.