वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी महीने की शुरुआत में बजट पेश करते हुए सरकार की विनिवेश योजना के तहत दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा था. इसके ख़िलाफ़ नौ यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने 15 और 16 मार्च को हड़ताल का आह्वान किया था.
नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के खिलाफ दो दिवसीय हड़ताल का मुद्दा मंगलवार को संसद में गूंजा. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे को उठाते हुए समस्या के समाधान के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बयान देने की मांग की. लोकसभा में भी वित्त मंत्री से इस संबंध में अपनी राय देने की मांग की गई.
उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए खड़गे ने कहा कि कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से बैंकों का कामकाज ठप पड़ गया है और आम जनता से लेकर कोराबारी तक इससे परेशान हैं.
उन्होंने कहा, ‘देश भर में लगभग 12 राष्ट्रीयकृत बैंक हैं और इनकी एक लाख शाखाएं हैं. इनमें करीब 13 लाख लोग काम करते हैं और 75 करोड़ से ज्यादा खातेदार हैं. ये खातेदार भी बैंक के हितधारक हैं और उनके पूछे बगैर सरकार ने निजीकरण का फैसला कर लिया.’
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की गलत नीतियों और अंधाधुंध निजीकरण के चलते आज यह स्थिति पैदा हुई है और उनक रोजी-रोटी पर भी संकट उत्पन्न हो गया है.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा कि वर्ष 2008 में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संकट आया था, तब राष्ट्रीयकृत बैंकों के कारण ही भारत की अर्थव्यवस्था संभली थी.
उन्होंने कहा, ‘आज बैक कर्मचारी रास्तों पर बैठे हैं. हड़ताल कर रहे हैं. उनकी समस्या को सुलझाने के लिए वित्त मंत्री को यहां बयान देना चाहिए.’
नौ यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने 15 और 16 मार्च को हड़ताल का आह्वान किया है. यूनियन का दावा है कि करीब 10 लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल में शामिल हैं.
यूएफबीयू के बैनर तले आने वाली बैंक यूनियनों में ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (एआईबीईए), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी), नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ बैंक एम्प्लॉइज (एनसीबीई), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए) और बैंक एम्प्लॉइज कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) के साथ ही इंडियन नेशनल बैंक एम्प्लॉइज फेडरेशन (आईएनबीईएफ), इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी), नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) और नेशनल ऑर्गइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (एनओबीओ) शामिल हैं.
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने की शुरुआत में बजट 2021-22 पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) का निजीकरण करके विनिवेश के तहत 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की थी.
उन्होंने कहा था, ‘वर्ष 2021-22 में आईडीबीआई बैंक के अलावा हम दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करने का प्रस्ताव करते हैं.’
सरकार इससे पहले आईडीबीआई बैंक का निजीकरण कर चुकी है. आईडीबीआई बैंक की बहुलांश हिस्सेदारी बीमा क्षेत्र की कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम को बेच दी गई. इसके अलावा सरकार पिछले चार साल के दौरान 14 बैंकों का आपस में विलय भी कर चुकी है.
उसके बाद बीते 25 फरवरी को वित्त मंत्रालय ने निजी क्षेत्र के सभी बैंकों को कर संग्रह, पेंशन भुगतान और लघु बचत योजनाओं जैसे सरकार से जुड़े कामकाज में शामिल होने की अनुमति दे दी थी.
एक आधिकारिक बयान में कहा था कि इस कदम से ग्राहकों के लिए सुविधा बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा और ग्राहकों को मिलने वाली सेवाओं के मानकों में दक्षता बढ़ेगी.
वहीं, बैंक अधिकारियों के संगठनों ने निजी बैंकों को सरकारी कामकाज करने की अनुमति देने का विरोध किया था.
वित्त मंत्री से संसद में बयान देने की मांग की
कांग्रेस ने मंगलवार को लोकसभा में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हड़ताल का विषय उठाते हुए वित्त मंत्री से सदन में इस विषय पर बयान देने की मांग की.
बजट सत्र के दूसरे चरण के लिए सदन में कांग्रेस के नेता बनाए गए रवनीत सिंह बिट्टू ने इस विषय को उठाते हुए कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की नौ बैंकों के लाखों कर्मचारी हड़ताल पर हैं और वे बैंकों के निजीकरण को लेकर आशंकित हैं.
बिट्टू ने कहा कि बैंकों के निजीकरण से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों की नौकरियों पर सबसे ज्यादा खतरा है.
उन्होंने कहा कि इन राष्ट्रीयकृत बैंकों ने ही दुनिया में आर्थिक मंदी के समय देश को संकट से बचाया था.
बिट्टू ने कहा कि यदि इन बैंकों के निजीकरण के लिए इन्हें हो रहे नुकसान का हवाला दिया जा रहा है तो इन्हें नुकसान में ही चलने दिया जाए, लेकिन इनसे गरीबों का तो भला होगा, क्योंकि निजी बैंक कभी गरीबों का ध्यान नहीं रखेंगे.
कांग्रेस सांसद ने कहा कि इस विषय पर वित्त मंत्री (निर्मला सीतारमण) सदन में बयान दें.
सरकारी बैंकों में दूसरे दिन भी हड़ताल, सेवाओं पर असर
सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में दूसरे दिन भी हड़ताल रही. बैंकों की नौ कर्मचारी और अधिकारी यूनियनों के संयुक्त मंच ने दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है.
सरकारी बैंकों में हड़ताल से ग्राहकों को नकदी निकालने, धन जमा करने, चेक क्लीयरेंस और प्रेषण सेवाएं प्रभावित हुई हैं. इस दौरान निजी क्षेत्र के बैंकों आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक की शाखाएं रोजमर्रा की तरह काम करती रहीं. निजी क्षेत्र के बैंक इस हड़ताल में शामिल नहीं हैं.
नौ बैंक यूनियनों के संयुक्त मंच ‘यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू)’ ने 15 और 16 मार्च को बैंकों में हड़ताल का आह्वान किया है.
इन यूनियनों ने सोमवार को कहा कि बैंकों के करीब 10 लाख कर्मचारी हड़ताल पर रहे. उन्होंने अपनी हड़ताल को सफल बताया.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021- 22 के बजट भाषण में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की है. सरकार इससे पहले आईडीबीआई बैंक का निजीकरण कर चुकी है. बैंक की बहुलांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेची गई. इसके अलावा 14 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय भी किया गया है.
ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा, हड़ताल के आह्वान पर बैंकों के कर्मचारी और अधिकारियों ने हड़ताल में भाग लिया. उन्होंने हड़ताल को पूरी तरह सफल बताया. हड़ताल के कारण सामान्य बैंकिंग सेवाएं प्रभावित रहीं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में तकरीबन 50 हजार बैंक कर्मचारियों ने हड़ताल का समर्थन करते हुए काम नहीं किया. बैंक यूनियन के नेताओं ने दावा किया कि मुंबई में 6500 करोड़ रुपये के 86 लाख चेक मंगलवार को क्लियर नहीं हुए.
बैंकों के अलावा चार जनरल इंश्योरेंस कंपनियों की यूनियनें 17 मार्च को हड़ताल पर रहेंगी. 18 मार्च को एलआईसी की सभी यूनियनें हड़ताल पर रहेंगी.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बेचना देश की वित्तीय सुरक्षा के साथ समझौता होगा: राहुल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कई सरकारी बैंकों के कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर मंगलवार को सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ‘सांठगांठ वाले पूंजीपतियों’ (क्रोनी) के हाथों में बेचना देश की वित्तीय सुरक्षा के साथ समझौता होगा.
उन्होंने हड़ताल करने वाले बैंक कर्मचारियों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए यह दावा भी किया कि सरकार ‘लाभ का निजीकरण’ और ‘नुकसान का राष्ट्रीयकरण’ कर रही है.
कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया, ‘केंद्र सरकार लाभ का निजीकरण और नुकसान का राष्ट्रीयकरण कर रही है. सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को क्रोनी के हाथों में बेचना भारत की वित्तीय सुरक्षा के साथ समझौता होगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)